शांति मध्यस्थता पर श्रेय न मिलने से अमेरिका का दबाव, पूर्व राजनयिक का दावा

पूर्व राजनयिक विकास स्वरूप के मुताबिक ट्रंप भारत के ब्रिक्स सदस्यता और शांति सौदे में श्रेय न मिलने से नाराज थे। यही नहीं टैरिफ़ के जरिए कृषि-डेयरी में दबाव बना रहे।;

Update: 2025-08-14 04:39 GMT

पूर्व राजनयिक और कनाडा में भारत के पूर्व उच्चायुक्त विकास स्वरूप ने कहा कि अमेरिका द्वारा भारत पर लगाए गए दंडात्मक टैरिफ़ का एक कारण यह है कि अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप इस बात से नाराज हैं कि भारत ने मई में सैन्य संघर्ष के बाद पाकिस्तान के साथ कथित शांति समझौते में उनकी भूमिका को नज़रअंदाज़ किया। स्वरूप के अनुसार, अमेरिका का पाकिस्तान के साथ वर्तमान रिश्ता एक अल्पकालिक, सामरिक व्यवस्था है, जो मुख्य तौर परआर्थिक हितों से प्रेरित है, जबकि अमेरिका-भारत संबंध रणनीतिक बने हुए हैं।

टैरिफ़ के कारण

स्वरूप ने न्यूज एजेंसी एएनआई से एक साक्षात्कार में कहा, हमें समझना होगा कि ये टैरिफ़ क्यों लगाए गए हैं। पहला कारण यह है कि ट्रंप भारत से नाखुश हैं क्योंकि हम ब्रिक्स (BRICS) के सदस्य हैं। उनके दिमाग में यह धारणा है कि ब्रिक्स एक अमेरिकी-विरोधी संगठन है, जो डॉलर के विकल्प के रूप में दूसरी मुद्रा बनाने पर तुला है। उनका मानना है कि भारत को ब्रिक्स का हिस्सा नहीं होना चाहिए।”

दूसरा कारण, स्वरूप के मुताबिक, यह है कि भारत ने मई में हुए ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के बाद पाकिस्तान के साथ संघर्षविराम में ट्रंप को कोई श्रेय नहीं दिया। भारत ने शुरू से ही साफ़ कर दिया था कि इस युद्धविराम में अमेरिका की कोई भूमिका नहीं थी, क्योंकि भारत बाहरी मध्यस्थता को स्वीकार नहीं करता। यह समझौता पाकिस्तान के डायरेक्टर जनरल ऑफ़ मिलिट्री ऑपरेशंस के अनुरोध पर दोनों देशों की सेनाओं के बीच सीधे हुआ था।

स्वरूप ने कहा, ट्रंप लगभग 30 बार कह चुके हैं कि उन्होंने ही दोनों देशों को युद्ध के कगार से पीछे खींचा, और उपमहाद्वीप में परमाणु संघर्ष को टाल दिया। उन्हें गुस्सा है कि भारत ने उनकी भूमिका को स्वीकार नहीं किया, जबकि पाकिस्तान ने न केवल उनकी भूमिका को स्वीकार किया बल्कि उन्हें नोबेल शांति पुरस्कार के लिए नामित भी कर दिया।”

ऑपरेशन सिंदूर और भारत का रुख़

भारत ने मई की शुरुआत में पहलगाम आतंकी हमले के जवाब में ‘ऑपरेशन सिंदूर’ चलाया, जिसमें पाकिस्तान और पाकिस्तान-अधिकृत कश्मीर में आतंकी ढांचे पर सटीक हमले किए गए। इसके बाद पाकिस्तान की ओर से हुई आक्रामकता को भी भारत ने नाकाम किया और उसके वायुसेना अड्डों पर प्रहार किए।

पूर्व राजनयिक ने बताया कि भारत ने व्यापार वार्ता में अमेरिकी दबाव के आगे झुकते हुए अपने कृषि और डेयरी क्षेत्र को अतिरिक्त बाज़ार पहुंच नहीं दी, जिसके चलते अमेरिका अधिकतम मांगों को मनवाने के लिए दबाव बना रहा है।

उन्होंने कहा, यह दबाव डालने की रणनीति का हिस्सा है ताकि भारत अमेरिका की अधिकतम मांगों पर हस्ताक्षर कर दे, जिनमें हमारे डेयरी और कृषि क्षेत्र, और जेनेटिकली मॉडिफ़ाइड (GM) फसलों तक पहुंच शामिल है। हम नहीं झुके हैं, और यह रूस को भी एक तरह का संदेश है क्योंकि ट्रंप इस बात से भी निराश हैं कि वे राष्ट्रपति पुतिन को उस युद्धविराम के लिए तैयार नहीं कर पाए हैं, जिस पर ज़ेलेंस्की सहमत हो चुके हैं।

ट्रंप और पुतिन शुक्रवार को अलास्का में मिलने वाले हैं, जहां कीव और उसके सहयोगियों को चिंता है कि दोनों नेता साढ़े तीन साल से चल रहे युद्ध में अपनी शर्तों पर शांति थोपने की कोशिश कर सकते हैं।

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