चीन के साथ कुछ मसले सुलझे कुछ अब भी कायम, विदेश मंत्री ने 'गश्त' का किया जिक्र

भारत-चीन संबंध LACपर विदेश मंत्री डॉ एस जयशंकर ने बड़ी बात कही। उनके मुताबिक बॉर्डर पर डिस्इंगेजमेंट को लेकर 75 फीसद प्रगति है लेकिन गश्त वाला मसला नहीं सुलझा है।

By :  Lalit Rai
Update: 2024-09-26 05:19 GMT

India China Border Issue:  भारत और चीन के बीच सीमा विवाद ऐतिहासिक है। दोनों देशों की सीमाओं का निर्धारण मैक्मोहन लाइन के जरिए किया तो गया है। लेकिन सहमति से अधिक असहमति और उसका असर दिखाई भी देता है। चीन कभी लद्दाख तो कभी उत्तरांचल तो कभी अरुणाचल में घुसपैठ की कोशिश करता है। गलवान घाटी में चीनी सैनिकों की घुसपैठ जगजाहिर है। इन सबके बीच विदेश मंत्री ने एक बयान दिया कि चीन के साथ 75 फीसद मुद्दों पर बातचीच प्रगति पर है तो उसका अर्थ समस्या के एक हिस्से से है। डिस्इंगेजमेंट के 75 फीसद मुद्दों को सुलझाया गया है। इसके साथ वो ये भी कहते हैं कि कोविड महामारी के दौरान चीन ने सीमा को लेकर समझौते और सैनिकों की तैनाती के विषय पर जो सहमति बनी थी उसका उल्लंघन किया था। 

गश्त वाला मुद्दा जटिल
एशिया सोसाइटी पॉलिसी इंस्टीट्यूट में एशिया सोसाइटी में बोलते हुए जयशंकर ने कहा कि चीन द्वारा पिछले सीमा समझौतों का उल्लंघन और कोविड-19 महामारी के दौरान सेना की तैनाती में वृद्धि के कारण पूर्वी लद्दाख में तनाव बढ़ा और अंत में झड़पें हुईं। विदेश मंत्री ने बताया कि झड़पों ने बीजिंग के साथ द्विपक्षीय संबंधों के अन्य क्षेत्रों को प्रभावित किया है।चीन के साथ हमारा इतिहास मुश्किलों भरा रहा है। चीन के साथ हमारे स्पष्ट समझौतों के बावजूद, हमने कोविड के बीच में देखा कि चीन ने इन समझौतों का उल्लंघन करते हुए वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) पर बड़ी संख्या में सेना भेजी। यह संभावना थी कि कोई दुर्घटना होगी और वैसा हुआ भी। इसलिए, झड़प हुई और दोनों तरफ़ से कई सैनिक मारे गए। इसने एक तरीके से संबंधों को प्रभावित किया है।  

टकराव के प्रमुख बिंदुओं पर सहमति बना ली गई है। लेकिन सीमा क्षेत्रों में गश्त के अधिकार तय करने में चुनौतियां अभी भी बनी हुई हैं। नई दिल्ली के द्विपक्षीय संबंधों में अन्य क्षेत्रों में सुधार के लिए अगले महत्वपूर्ण कदम के रूप में डी-एस्केलेशन की आवश्यकता पर भी ज़ोर दिया। उन्होंने कहा कि इसलिए हम टकराव बिंदुओं पर बहुत हद तक विघटन को सुलझाने में सक्षम हैं। लेकिन गश्त के कुछ मुद्दों को हल करने की आवश्यकता है और इसके लिए अगला कदम डी-एस्केलेशन होगा।

कोर कमांडर स्तर की 22वें दौर की बातचीत

भारत और चीन के बीच कोर कमांडर स्तर पर 22वें दौर की सैन्य वार्ता जल्द ही होने की उम्मीद है, जिसमें आपसी सहमति के आधार पर दोनों पक्षों की ओर से सैनिकों की तैनाती की रूपरेखा तय की जाएगी। वर्तमान में एलएसी पर तैनात सैनिक अलर्ट की स्थिति में हैं। हालांकि वे किसी भी टकराव से बच रहे हैं जिससे विश्वास में कमी आ सकती है और फिर से तैनाती की योजना में देरी हो सकती है। विश्वास बहाली के उपाय के तौर पर दोनों पक्षों के स्थानीय कमांडर भी टकराव से बचने के लिए बैठक कर रहे हैं।

पूर्वी लद्दाख में तैनात 50,000-60,000 अतिरिक्त सैनिकों के लिए सर्दियों का भंडारण जो इस साल चल रहा है जारी रहेगा और एलएसी पर सैनिकों की फिर से तैनाती हो सकती है। लेकिन वापसी और डी-एस्केलेशन एक लंबा मामला होने की संभावना है। ताजा घटनाक्रम के बारे में इस तरह की जानकारी है कि  लद्दाख के लिए एक अतिरिक्त डिवीजन बनाने की योजना पहले से ही चल रही है और कम से कम एक ब्रिगेड आंशिक रूप से स्थान पर जा रही है। इस डिवीजन को  शायद 72 डिवीजन को  अगले वर्ष के मध्य तक स्थापित करने की योजना है, जिसका उद्देश्य राष्ट्रीय राइफल्स के यूनिफॉर्म फोर्स को 16 कोर में अपने मूल स्थान पर वापस जाने के लिए मुक्त करना है।

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