अप्रैल का मतलब आधी अंधड़ का महीना, कितने तरह के होते हैं अलर्ट

अप्रैल के महीने में आंधी अंधड़ का दौर शुरू हो जाता है। इससे निपटने के लिए अलर्ट भी जारी किए जाते हैं। आखिर इसके पीछे की वजह क्या है।;

By :  Lalit Rai
Update: 2025-04-12 10:23 GMT
अप्रैल के महीने में उत्तर भारत के राज्यों में आंधी का आना आम बात

Dust Storm Reason: आम तौर पर अप्रैल के आखिरी हफ्ते से आंधी और अंधड़ का आगाज होता था।  लेकिन अब तस्वीर बदल गई है। उत्तर भारत के इलाकों में अब आंधी का दौर शुरू हो चुका है। आंधी से बचाव के लिए भारतीय मौसम विभाग की तरफ से अलर्ट भी जारी किए जाते हैं। यहां पर विस्तार से बताएंगे कि आंधी के पीछे की वजह क्या है और अलर्ट जारी करने के पीछे मकसद क्या होता है। 

धूल भरी आंधियां (Dust Storms) तीव्र गति से चलने वाली हवाएं होती हैं जो सूखी सतह से ढीली रेत और धूल को उठाकर वायुमंडल में फैला देती हैं। इससे दृश्यता कम हो जाती है और वायु गुणवत्ता गंभीर रूप से प्रभावित होती है। इस मामले में  स्काईमेट के वाइस प्रेसिडेंट महेश पलावत से द फेडरल देश को खास जानकारी दी। उन्होंने कहा कि अप्रैल के महीने में भूमध्य सागर की तरफ से हवाएं नम आती हैं। लेकिन तिब्बत के पठार के पास दो हिस्सों में बंटती है। ठीक उसी समय मार्च के महीने से वातावरण गर्म होने लगता है और अप्रैल आते आते गर्म हवाएं ऊपर उठती हैं। अब ऐसे में वैक्यूम का निर्माण होता है। आसपास की ठंडी हवा उस जगह को भरने का काम करती है। इस प्रक्रिया में धूल भी साथ लेकर चलती हैं। लिहाजा आंधी आ जाती है। इसके साथ ही पश्चिमी विक्षोभ से मिलकर कुछ जगहों पर बारिश भी हो जाती है। हालांकि बारिश की तीव्रता कम ही रहती है। 

धूल भरी आंधियों के कई  कारण होते हैं। पहला प्राकृतिक वजह इसमें सूखा और शुष्क जलवायु, कम वनस्पति आवरण,तीव्र दबाव बदलाव (प्रेशर ग्रेडियंट)। दूसरा मानवजनित कारण इसमें अत्यधिक चराई (Overgrazing), वनों की कटाई,अस्थिर कृषि पद्धतियां,भूमि क्षरण (Land Degradation) है।

भारत में प्रभावित क्षेत्र

धूल भरी आंधियां विशेष रूप से राजस्थान, हरियाणा, दिल्ली, गुजरात और उत्तर प्रदेश के कुछ हिस्सों में प्री-मानसून महीनों में अधिक देखने को मिलती हैं।

धूल भरी आंधियों के खतरनाक नतीजे नजर आते हैं मसलन सांस संबंधी बीमारियां: जैसे अस्थमा और ब्रोंकाइटिस, जो PM2.5 और PM10 कणों के कारण बढ़ जाती हैं। उदाहरण: दिल्ली का वायु गुणवत्ता सूचकांक (AQI) 164 तक गिर गया, फिर भी जोखिम बना रहा।चोटें और मृत्यु का खतरा बना रहता है।  उड़ती वस्तुएं या गिरती दीवारें जानलेवा हो सकती हैं।

शासन और बुनियादी ढांचा:

बिजली आपूर्ति में बाधा, सार्वजनिक सेवाओं और संरचनाओं को नुकसान।हवाई और रेल यातायात प्रभावित: आपात सेवाएं और लॉजिस्टिक्स बाधित होती हैं।

पशु पर भी खतरनाक प्रभाव होता है। मवेशियों को धूल सांस में जाने, आंखों में जलन और पानी की कमी जैसी समस्याएं होती हैं।पक्षियों का प्रवास प्रभावित: कम दृश्यता और बदली हवा की दिशा से प्रवासी पक्षियों की उड़ान पर असर।

भौगोलिक/पर्यावरणीय प्रभाव

ऊपरी मिट्टी का कटाव: भूमि की उपजाऊ क्षमता घटती है, मरुस्थलीकरण बढ़ता है।धूल के साथ रोगजनक तत्वों का प्रसार: जल स्रोत और फसलें प्रभावित होती हैं।

धूल भरी आंधियों से निपटने के उपाय

पूर्व चेतावनी प्रणाली: IMD की अलर्ट सेवाएं, सैटेलाइट ट्रैकिंग और AI आधारित भविष्यवाणी प्रणाली।शहरी योजना और अवसंरचना: भूमिगत केबलिंग, धूल-प्रतिरोधी इमारतें, और ग्रीन बेल्ट का विकास। प्राकृतिक संसाधन प्रबंधन,वनीकरण, पुनः वनीकरण और टिकाऊ मृदा संरक्षण उपाय।स्वास्थ्य संबंधी तैयारियां चिकित्सा परामर्श, मास्क का मुफ्त वितरण, और मोबाइल हेल्थ यूनिट।अंतरराष्ट्रीय सहयोग UNCCD, WMO और क्षेत्रीय संस्थानों के सहयोग से नीति और रणनीति तैयार करना।

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