महज 3 घंटे के भीतर 4 देशों में भूकंप, आखिर कितना बड़ा है खतरा?
पिछले कुछ वर्षों में भूकंप के मामले में तेजी आई है। 28 फरवरी को महज तीन घंटे के चार देश कांप उठे। सवाल ये है कि कम समय में और बार बार भूकंप आने की वजह क्या है।;
Earthquake News: पिछले एक हफ्ते में दुनिया के अलग अलग हिस्सों में धरती डोल गई। कहने का अर्थ ये कि भूकंप या जलजले ने दस्तक दी। इसके पीछे की वजह तो आमतौर पर हर किसी को मालूम है कि धरती के अंदर हो रही हलचल का असर जमीन पर दिखाई देता है।दिल्ली में 17 फरवरी को भूकंप आया था। वैसे तो तीव्रता रिक्टर स्केल पर 4.0 थी। लेकिन केंद्र दिल्ली होने की वजह से झटका तेज महसूस किया गया।
- 25 फरवरी को बंगाल की खाड़ी में 5.3 तीव्रता का भूकंप आया था।
- 26 फरवरी को इंडोनेशिया में 6.1 तीव्रता का भूकंप आया।
- असम के मोरीगांव में 27 फरवरी को 5.3 तीव्रता का भूकंप आया था
- नेपाल में 28 फरवरी को 6.1 तीव्रता वाले भूकंप ने दस्तक दी।
- पाकिस्तान में 28 फरवरी को 4.5 तीव्रता का भूकंप
- तिब्बत में 4.1 तीव्रता का भूकंप
धरती पर पानी और जमीन का अंश प्लेट पर टिका है, इसे टेक्टोनिक प्लेट कहते हैं। अब इन प्लेट की गति में बदलवा की वजह से धरती में ऊर्जा संचित हो रही है और वो दरारों के जरिए पृथ्वी की सतह पर आ रही है। अगर भारतीय उप महाद्वीप की बात करें तो हिमालयी इलाकों में भूकंप की घटना के पीछे की बड़ी वजह एशियन प्लेट का यूरोपीय प्लेट की तरफ खिसकना है। एशियन प्लेट ज्यादा घनत्व की हैं और वो यूरोपिन प्लेट को धक्का दे रही हैं और उसकी वजह से तनाव पैदा हो रहा है। इसका मतलब यह हुआ कि यह भूगर्भीय प्रक्रिया है जिसे आप रोक नहीं सकते। ऐसे में सवाल यह कि भूकंप से होने वाले नुकसान को कैसे रोका जा सकता है।
जानकार कहते हैं कि जिस तरह से दुनिया के सभी हिस्सों में विकास की प्रक्रिया में प्राकृतिक संसाधनों को दोहन हो रहा है, उसे या तो कम या बुद्धिमानी से इस्तेमाल करने की जरूरत है। हिमालयी इलाकों में जिस जरह से हाइड्रो पावर प्रोजेक्ट की तरफ ध्यान केंद्रित हुआ है, पहाड़ी इलाकों में सड़क निर्माण, टनल निर्माण, नदियों के पानी को रोकने के लिए बांध बनाए जा रहे हैं उसकी वजह से भी भूकंप की तीव्रता और आवृत्ति पर असर देखा जा रहा है।