ईडी ने अनिल अंबानी के खिलाफ जारी किया लुकआउट सर्कुलर, पूछताछ के लिए 5 अगस्त को बुलाया

ईडी (प्रवर्तन निदेशालय) ने पिछले सप्ताह 50 कंपनियों और 25 व्यक्तियों के ठिकानों पर तलाशी अभियान चलाया, जिनमें रिलायंस अनिल धीरूभाई अंबानी ग्रुप की कंपनियों के वरिष्ठ अधिकारी भी शामिल थे।;

Update: 2025-08-01 14:44 GMT
अनिल अंबानी के खिलाफ ईडी की कार्रवाई लोन फ्रॉड मामले में की जा रही है

प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने कारोबारी अनिल अंबानी के खिलाफ लुकआउट सर्कुलर (LOC) जारी किया है। यह कदम उनकी समूह कंपनियों के खिलाफ हजारों करोड़ रुपये के लोन घोटाले के आरोपों की जांच के तहत उठाया गया है। इस मामले से जुड़े सूत्रों ने शुक्रवार को यह जानकारी दी।

अधिकारियों ने बताया कि अनिल अंबानी को धनशोधन निवारण अधिनियम (PMLA) के तहed-issues-loc-against-anil-ambani-asks-him-to-appear-before-it-on-august-5त पूछताछ के लिए 5 अगस्त को दिल्ली में उपस्थित होने के लिए समन जारी किया गया है।

LOC का उद्देश्य किसी व्यक्ति को देश छोड़ने से रोकना होता है, ताकि वह कानूनी प्रक्रिया से बच न सके।

एक अधिकारी ने कहा,“हमने अनिल अंबानी के खिलाफ LOC जारी किया है और उन्हें 5 अगस्त को दिल्ली में बयान दर्ज कराने के लिए बुलाया है। यह कार्रवाई लोन फ्रॉड जांच के तहत की जा रही है।”

उन्होंने यह भी कहा कि अनिल अंबानी से विभिन्न लोन और बाजार नियामक SEBI की जांच रिपोर्ट को लेकर सवाल पूछे जा सकते हैं।

पिछले सप्ताह ED ने 50 कंपनियों और 25 व्यक्तियों के ठिकानों पर छापेमारी की थी। इनमें अनिल अंबानी की रिलायंस समूह की कंपनियों के वरिष्ठ अधिकारी भी शामिल थे।

अधिकारियों के अनुसार यह कार्रवाई वित्तीय गड़बड़ियों और ₹17,000 करोड़ से अधिक की कर्ज हेराफेरी के मामले में की गई थी, जिसमें रिलायंस इंफ्रास्ट्रक्चर (R Infra) और अन्य कंपनियाँ शामिल हैं।

क्या है SEBI रिपोर्ट का आधार?

SEBI की रिपोर्ट के अनुसार, R Infra ने कथित रूप से एक कंपनी CLE के माध्यम से इंटर-कारपोरेट डिपॉजिट (ICD) के रूप में पैसे ट्रांसफर किए, जिन्हें अनिल अंबानी के नेतृत्व वाली रिलायंस ग्रुप कंपनियों को फंड ट्रांसफर करने का तरीका बताया गया है।

इसके अलावा, आरोप है कि R Infra ने CLE को अपनी 'संबंधित पार्टी' घोषित नहीं किया, जिससे वह शेयरहोल्डरों और ऑडिट पैनल्स से अनुमति लेने से बच गई।

रिलायंस ग्रुप का जवाब

रिलायंस ग्रुप के प्रवक्ता ने एक बयान में कहा कि ₹10,000 करोड़ की कथित हेराफेरी का मामला 10 साल पुराना है और कंपनी ने अपने वित्तीय विवरणों में यह स्पष्ट किया है कि उसकी एक्सपोजर सिर्फ ₹6,500 करोड़ की थी।

बयान में यह भी कहा गया कि, “यह मामला 9 फरवरी 2025 को सार्वजनिक रूप से खुलासा किया गया था और एक सेवानिवृत्त सुप्रीम कोर्ट जज की मध्यस्थता में ₹6,500 करोड़ की पूरी राशि की वसूली के लिए समझौता हो चुका है, जिसे बॉम्बे हाईकोर्ट में दर्ज भी किया गया है।”

प्रवक्ता ने यह भी बताया कि अनिल अंबानी मार्च 2022 से R Infra के बोर्ड में नहीं हैं।

यस बैंक लोन हेराफेरी की जांच

ED, यस बैंक द्वारा 2017 से 2019 के बीच रिलायंस होम फाइनेंस लिमिटेड (RHFL) और रिलायंस कमर्शियल फाइनेंस लिमिटेड (RCFL) को दिए गए ₹3,000 करोड़ के लोन की गैरकानूनी डायवर्जन की जांच भी कर रहा है।

एजेंसी का कहना है कि लोन पास होने से पहले यस बैंक के प्रमोटरों के खातों में पैसे ट्रांसफर हुए थे।

एक अलग मामला -नकली बैंक गारंटी रैकेट

ED ने शुक्रवार को ओडिशा की एक कंपनी पर भी छापेमारी की, जो नकली बैंक गारंटी जारी करने वाला रैकेट चलाने के आरोप में है। इस कंपनी ने रिलायंस समूह की एक कंपनी के लिए ₹68 करोड़ की कथित गारंटी दी थी।

इस पर रिलायंस समूह के प्रवक्ता ने कहा, “कंपनी और उसकी सहायक कंपनियों ने ईमानदारी से काम किया है और यह धोखाधड़ी, जालसाजी और साजिश का शिकार बनी हैं। इस संबंध में 7 नवंबर 2024 को स्टॉक एक्सचेंजों को पूरी जानकारी दे दी गई थी।”

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