संसद में नकदी विवाद: ध्यान भटकाने की चाल या गंभीर मुद्दा?

राज्यसभा के सभापति जगदीप धनखड़ ने घोषणा की कि सीट नंबर 222 के नीचे, जो कांग्रेस नेता अभिषेक मनु सिंघवी को आवंटित है, एक एंटी-सैबोटाज जांच के दौरान नकदी की गड्डी मिली है.;

Update: 2024-12-07 06:32 GMT

Rajya Sabha cash controversy: पिछले दो दिनों में भारतीय संसद में बड़े नाटकीय घटनाक्रम देखने को मिले. जब विपक्षी कांग्रेस पार्टी ने मोदी सरकार और अडानी समूह के कथित संबंधों के खिलाफ अपने विरोध प्रदर्शन जारी रखे. इस राजनीतिक खींचतान के बीच राज्यसभा में ₹50,000 नकदी मिलने की अप्रत्याशित घटना ने एक नया विवाद खड़ा कर दिया.

नकदी मिलना और इसके प्रभाव

राज्यसभा के सभापति जगदीप धनखड़ ने घोषणा की कि सीट नंबर 222 के नीचे, जो कांग्रेस नेता अभिषेक मनु सिंघवी को आवंटित है, एक एंटी-सैबोटाज जांच के दौरान नकदी की गड्डी मिली. सभापति ने इस मामले की गहन जांच की आवश्यकता पर जोर दिया. लेकिन यह भी स्पष्ट किया कि उन्हें नहीं पता कि नोट असली हैं या नकली. इस घोषणा के तुरंत बाद संसद में हंगामा मच गया. सत्ता पक्ष ने जवाब मांगे. जबकि विपक्ष ने इस रहस्योद्घाटन की समयिंग और मंशा पर सवाल उठाए. कांग्रेस नेता मल्लिकार्जुन खड़गे ने इस समय से पहले की गई घोषणा की आलोचना की. इसे सिंघवी की छवि पर बेवजह आक्षेप लगाने वाला बताया. सिंघवी ने भी इस नकदी से किसी भी संबंध को सिरे से खारिज किया और जांच की मांग की.

बीजेपी के आरोप और विपक्ष की प्रतिक्रिया

बीजेपी ने इस घटना को कांग्रेस की ईमानदारी पर सवाल उठाने का अवसर बना लिया. पीयूष गोयल और किरण रिजिजू जैसे नेताओं ने नकदी मिलने को सरकार को अस्थिर करने की कथित साजिश से जोड़ा. कुछ भाजपा नेताओं ने इसे विदेशी ताकतों की संलिप्तता का खुलासा बताया. हालांकि, विपक्षी नेताओं खासकर कांग्रेस ने इन आरोपों को ध्यान भटकाने की चाल बताया. उन्होंने अडानी विवाद किसानों के विरोध और मणिपुर संकट जैसे महत्वपूर्ण मुद्दों पर सरकार की चुप्पी की ओर इशारा किया. कांग्रेस ने आरोप लगाया कि यह विवाद इन मुद्दों पर चर्चा को रोकने के लिए रचा गया है.

विश्वसनीयता पर सवाल

राजनीतिक टिप्पणीकारों और विश्लेषकों ने इस मामले के प्रबंधन पर चिंता जताई है. वरिष्ठ पत्रकार और राजनीतिक टिप्पणीकार शरद गुप्ता ने जांच पूरी होने से पहले सिंघवी का नाम लेने के सभापति के फैसले की आलोचना की. उन्होंने कैपिटल बीट कार्यक्रम में कहा कि यह उपराष्ट्रपति के पद की गरिमा को कम करता है और अनावश्यक सनसनी फैलाता है.

द फेडरल के वरिष्ठ संपादक पुनीत निकोलस यादव ने धनखड़ की घोषणा में स्पष्टता की कमी की ओर इशारा किया. उन्होंने कहा कि ऐसे महत्वपूर्ण विवरण, जैसे कि नकदी कहां मिली या पूरे सत्र के दौरान कौन उस सीट पर बैठा था, अभी तक सामने नहीं आए हैं. संसद पूरी तरह से वीडियोग्राफ होती है. इसलिए तथ्य स्थापित करना मुश्किल नहीं होना चाहिए.

क्या यह ध्यान भटकाने की चाल है?

इस घटना के समय ने कई सवाल खड़े किए हैं. उसी दिन, कांग्रेस सांसदों ने “मोदी-अडानी भाई भाई” जैसे नारे लिखे मास्क पहनकर विरोध प्रदर्शन किया और दिल्ली की ओर मार्च कर रहे किसानों की पुलिस से झड़प हुई. विश्लेषकों का मानना है कि नकदी विवाद इन विरोधों के प्रभाव को कम करने का एक प्रयास हो सकता है. यादव ने कहा कि सरकार कई मोर्चों पर घिरी हुई है—बढ़ती महंगाई, अडानी विवाद और किसानों की नाराजगी. यह घटना सुर्खियों को मोड़ने और ध्यान भटकाने के लिए रची गई लगती है.

क्या नकदी विवाद संसद की बड़ी बहसों को छिपा देगा?

नकदी मिलने की घटना ने भले ही हंगामा खड़ा किया हो. लेकिन इसके राजनीतिक परिणाम अभी स्पष्ट नहीं हैं. ठोस सबूतों के अभाव में विपक्ष इसे एक गढ़ा हुआ विवाद मानकर खारिज करेगा. जबकि बीजेपी कांग्रेस की साख पर सवाल उठाने का सिलसिला जारी रखेगी. अभी के लिए, सत्र के दौरान यह देखना बाकी है कि यह विवाद ठंडा पड़ जाएगा या एक बड़े राजनीतिक संघर्ष का रूप ले लेगा.

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