पूरे देश में SIR शुरू करने की तैयारी में चुनाव आयोग, राज्यों के अधिकारियों को 30 सितंबर तक तैयार रहने के निर्देश

अधिकांश राज्यों में पिछली SIR 2002 और 2004 के बीच हुई थी और अब तक वर्तमान मतदाताओं को उस समय की सूची से मिलान करने का काम लगभग पूरा हो चुका है।

Update: 2025-09-21 13:27 GMT
राज्यों में पिछली SIR कट-ऑफ डेट मानी जाएगी, ठीक वैसे ही जैसे बिहार की 2003 की मतदाता सूची का उपयोग चुनाव आयोग इंटेंसिव रिवीजन के लिए कर रहा है।

चुनाव आयोग ने अपने राज्य चुनाव अधिकारियों से कहा है कि वे 30 सितंबर तक स्पेशल इंटेंसिव रिवीजन (SIR) के लिए तैयार रहें। यह संकेत है कि मतदाता सूची की सफाई का अभियान आयोग अक्टूबर-नवंबर से ही शुरू कर सकता है।

अधिकारियों के अनुसार, इस महीने की शुरुआत में राज्य के मुख्य निर्वाचन अधिकारियों (CEOs) के सम्मेलन में चुनाव आयोग के शीर्ष अधिकारियों ने कहा कि अगले 10 से 15 दिनों में SIR की शुरुआत के लिए तैयार रहें। लेकिन स्पष्टता के लिए 30 सितंबर की अंतिम तिथि तय कर दी गई।

CEOs को निर्देश दिया गया है कि वे अपनी-अपनी राज्यों की मतदाता सूची, जो पिछली बार हुए SIR के बाद प्रकाशित हुई थी, उसे तैयार रखें। कई राज्यों के CEOs ने पहले ही अपनी वेबसाइट पर पिछली SIR के बाद प्रकाशित मतदाता सूचियाँ डाल दी हैं।

दिल्ली CEO की वेबसाइट पर 2008 की मतदाता सूची उपलब्ध है, जब राजधानी में पिछली बार इंटेंसिव रिवीजन हुआ था। उत्तराखंड में पिछली SIR 2006 में हुई थी और उस वर्ष की मतदाता सूची अब राज्य CEO की वेबसाइट पर उपलब्ध है।

राज्यों में पिछली SIR कट-ऑफ डेट मानी जाएगी, ठीक वैसे ही जैसे बिहार की 2003 की मतदाता सूची का उपयोग चुनाव आयोग इंटेंसिव रिवीजन के लिए कर रहा है।

अधिकांश राज्यों में पिछली SIR 2002 और 2004 के बीच हुई थी और अब तक वर्तमान मतदाताओं को उस समय की सूची से मिलान करने का काम लगभग पूरा हो चुका है। आयोग ने कहा है कि बिहार के बाद पूरे देश में SIR लागू किया जाएगा। दरअसल, असम, केरल, पुडुचेरी, तमिलनाडु और पश्चिम बंगाल में 2026 में विधानसभा चुनाव होने हैं।

इंटेंसिव रिवीजन का मुख्य उद्देश्य मतदाताओं की जन्म-स्थली की जाँच कर विदेशी अवैध प्रवासियों को सूची से बाहर करना है। यह कदम इसलिए भी अहम माना जा रहा है क्योंकि कई राज्यों में बांग्लादेश और म्यांमार से आए अवैध विदेशी प्रवासियों के खिलाफ कार्रवाई चल रही है।

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