अमित शाह ने फिर की हिंदी की पैरवी, कहा-विज्ञान से लेकर न्यायपालिका और पुलिस की भाषा बने हिंदी

केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने कहा कि हिंदी भारतीय भाषाओं की प्रतिस्पर्धी नहीं है। हिंदी भारतीय भाषाओं की सहेली है। हिंदी और भारतीय भाषाओं में कोई टकराव नहीं है।;

Update: 2025-09-15 10:27 GMT
गांधीनगर में रविवार को आयोजित अखिल भारतीय राजभाषा सम्मेलन के दौरान केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह, मुख्यमंत्री भूपेंद्र पटेल और केंद्रीय मंत्री अर्जुन राम मेघवाल

गांधीनगर में रविवार को आयोजित अखिल भारतीय राजभाषा सम्मेलन में केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने कहा कि हिंदी अन्य भारतीय भाषाओं की प्रतिद्वंद्वी (प्रतिस्पर्धी) नहीं बल्कि सहेली (सखी) है और दोनों के बीच कोई टकराव नहीं है।

हिंदी दिवस पर 5वें अखिल राजभाषा सम्मेलन के उद्घाटन के दौरान शाह ने कहा: “हिंदी केवल बातचीत या प्रशासन की भाषा न रहे। हिंदी को विज्ञान, प्रौद्योगिकी, न्यायपालिका और पुलिस की भाषा भी बनना चाहिए। जब ये काम भारतीय भाषाओं में होंगे तो नागरिकों के साथ स्वतः ही गहरा संबंध बनेगा।”

उन्होंने कहा,“हिंदी भारतीय भाषाओं की प्रतिस्पर्धी नहीं है। हिंदी भारतीय भाषाओं की सहेली है। हिंदी और भारतीय भाषाओं में कोई टकराव नहीं है। इसका सबसे बड़ा उदाहरण गुजरात है। गुजरात हिंदीभाषी राज्य नहीं है; यहाँ की भाषा गुजराती है। लेकिन गुजरात में आरंभ से ही दयानंद सरस्वती, महात्मा गांधी, सरदार वल्लभभाई पटेल, के.एम. मुंशी जैसे विद्वानों ने हिंदी को स्वीकार किया और उसका प्रसार किया। गुजरात इसका सबसे अच्छा उदाहरण बना। हिंदी और गुजराती दोनों भाषाएँ साथ-साथ विकसित हुईं। यहाँ शिक्षा में हिंदी का स्थान है और बच्चे हिंदी सीखते, बोलते और पढ़ते हैं।”

शाह ने कहा,“महात्मा गांधी गुजराती थे, लेकिन वे कहते थे कि हिंदी ही वह भाषा है जो देश को एक सूत्र में पिरोती है।”

उन्होंने केंद्र सरकार की दो पहलों का भी उल्लेख किया:

बहुभाषी अनुवाद सारथी- अनुवाद के लिए एक एप्लिकेशन

हिंदी शब्द सिंधु— हिंदी भाषा का शब्दकोश

छत्रपति शिवाजी महाराज का उदाहरण देते हुए शाह ने कहा, “स्वराज की लड़ाई में शिवाजी महाराज ने तीन सूत्र दिए: स्वराज, स्वधर्म और स्वभाषा। ये तीनों एक-दूसरे से जुड़े हुए हैं और देश के स्वाभिमान से भी जुड़े हैं। जिस देश की अपनी बातचीत की भाषा नहीं होती, वह स्वतंत्रता की कामना नहीं कर सकता। वह स्वाभिमान भी महसूस नहीं कर सकता। यह तभी संभव है जब हमें अपनी भाषाओं पर गर्व हो। इसी कारण हमने शब्द सिंधु बनाया। इसकी शुरुआत 51,000 शब्दों से हुई थी और अब यह 7 लाख से अधिक हो चुका है। 2029 तक हिंदी शब्द सिंधु दुनिया का सबसे बड़ा शब्दकोश बन जाएगा।”

हिंदी को लचीला बनाने पर शाह ने कहा, “…कई हिंदी विद्वान जोर देते हैं कि हिंदी संस्कृतनिष्ठ हो। इसमें कोई आपत्ति नहीं। लेकिन जो रिक्तता है, उसे भारतीय भाषाओं से भरना होगा। तभी सभी भारतीय भाषाओं और उनके बोलने वालों को लगेगा कि हिंदी उनकी अपनी है। हिंदी तभी संवाद की भाषा बन सकती है जब वह लचीली बने। जो समय के साथ नहीं बदलते, वे इतिहास बन जाते हैं। और मेरा मानना है कि हमारी भाषा इतिहास नहीं बनेगी। हमारी भाषा इतिहास है, वर्तमान है और भविष्य भी है।”

शाह ने अंत में अभिभावकों से अपील की कि वे अपने बच्चों से मातृभाषा में संवाद करें।

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