दिल्ली जल बोर्ड के पूर्व सीईओ को 5 करोड़ रुपये घूस मिली, ईडी ने किया बड़ा दावा

पिछले साल मई में, दिल्ली सरकार की भ्रष्टाचार निरोधक शाखा (ACB) ने इस मामले में छह कंपनियों और कुछ सरकारी अधिकारियों के खिलाफ भ्रष्टाचार के आरोपों में केस दर्ज किया था।;

Update: 2025-07-22 12:42 GMT
बताया गया है कि ये कथित लेन-देन उस दौरान हुए जब IAS अधिकारी उदित प्रकाश राय दिल्ली जल बोर्ड (DJB) के सीईओ के पद पर थे, और उन पर एक फर्म को टेंडर प्रक्रिया में अनुचित लाभ पहुंचाने का आरोप है

प्रवर्तन निदेशालय की मनी लॉन्ड्रिंग मामले में चल रही जांच में दावा किया गया है कि आईएएस अधिकारी उदित प्रकाश राय और उनकी सास के खातों में छह कंपनियों से करीब 5 करोड़ रुपये की कथित रूप से रिश्वत की रकम पहुंचाई गई। ये लेन-देन उस दौरान हुए जब राय दिल्ली जल बोर्ड (DJB) के सीईओ पद पर तैनात थे। उन पर आरोप है कि उन्होंने टेंडर प्रक्रिया में एक फर्म को पक्ष में लाभ पहुंचाया।

पिछले साल मई में, दिल्ली सरकार की भ्रष्टाचार निरोधक शाखा (ACB) ने इस मामले में छह कंपनियों और कुछ सरकारी अधिकारियों के खिलाफ भ्रष्टाचार के आरोपों में केस दर्ज किया था। इसी मामले में ईडी ने मनी लॉन्ड्रिंग रोकथाम अधिनियम (PMLA), 2002 के तहत प्रवर्तन मामला सूचना रिपोर्ट (ECIR) दर्ज की थी। मीडिया रिपोर्ट्स में कहा गया है कि राय से संपर्क करने के कई प्रयास विफल रहे।

जांच एजेंसी ने इस महीने की शुरुआत में एसीबी को एक पत्र लिखा, जिसमें कंपनियों द्वारा किए गए ‘जटिल लेन-देन के जाल’ का उल्लेख किया गया है।

दिल्ली ज़ोनल ऑफिस-I के सहायक निदेशक द्वारा हस्ताक्षरित इस पत्र में बताया गया कि एसीबी द्वारा 11 मई 2024 को भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम और आईपीसी की विभिन्न धाराओं के तहत जो एफआईआर दर्ज की गई थी, उसमें शामिल छह फर्मों-

एम/एस यूरोटेक एनवायर्नमेंटल प्रा. लि.,

एम/एस अय्यप्पा इन्फ्रा प्रोजेक्ट्स प्रा. लि.,

एम/एस खिलारी इंफ्रास्ट्रक्चर प्रा. लि.,

एम/एस जीएसजे एनवो लिमिटेड,

एम/एस शुभाष इंफ्राएक्जीनियर्स प्रा. लि.,

एम/एस दिनेशचंद्र आर अग्रवाल इंफ्राकॉन प्रा. लि. के खिलाफ और कुछ अज्ञात सरकारी अधिकारियों, निजी व्यक्तियों आदि के खिलाफ ECIR 13 मई 2024 को दर्ज की गई।

पत्र में दावा किया गया कि जांच के दौरान पता चला कि जब राय दिल्ली जल बोर्ड के सीईओ थे, तब उन्होंने कुछ ठेकेदारों को टेंडर आवंटित किए। “हालांकि, टेंडर की शर्तें ऐसी बनाई गई थीं कि वे एक विशेष तकनीकी प्रदाता,  एम/एस यूरोटेक एनवायर्नमेंटल प्रा. लि., को लाभ पहुंचाएं।

जांच में यह सामने आया कि राय और उनकी सास के बैंक खातों में कुल 1.52 करोड़ रुपये की रकम पहुंचाई गई... यह रकम एक मालिकाना फर्म AN एंटरप्राइजेज (मालिक नागेंद्र यादव) के जरिए भेजी गई थी, जो कि यूरोटेक एनवायर्नमेंटल प्राइवेट लिमिटेड और उससे जुड़ी संस्थाओं से जटिल ट्रांजेक्शनों के जरिए स्थानांतरित हुई थी।”

पत्र में आगे दावा किया गया कि जांच के दौरान यह भी पाया गया कि यूरोटेक और अय्यप्पा इंफ्रा प्रोजेक्ट्स प्रा. लि. के निदेशक सतीश वर्मा ने नागेंद्र यादव और उनके सहयोगियों को कमीशन आदि के रूप में कुल 4.82 करोड़ रुपये का भुगतान किया, जिसमें पहले बताए गए 1.52 करोड़ रुपये भी शामिल हैं।

ईडी ने इन लेनदेन का विस्तृत ब्यौरा एक नोट में साझा किया है।

मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, एसीबी के वरिष्ठ अधिकारियों ने बताया कि कुछ लोगों के खिलाफ धारा 17A के तहत अभियोजन की अनुमति मांगी गई है। “हमें ईडी का पत्र मिला है और हम मामले की जांच कर रहे हैं,” एसीबी के एक अधिकारी ने कहा।

अधिकारी ने आगे बताया, “कुछ व्यक्तियों के खिलाफ अभियोजन की अनुमति मिल चुकी है जबकि बाकी के लिए मंजूरी लंबित है। हमारी शुरुआती जांच में यह सामने आया था कि कुछ कंपनियों को टेंडर में फायदा पहुंचाया गया था।”

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