'छोटे- मझोले नेताओं को इग्नोर करिए', इंडी गठबंधन में खटपट पर राहुल राग
Indi Alliance: ममता बनर्जी इंडी गठबंधन का हिस्सा नहीं है। लेकिन उनकी इच्छा कमान अगुवाई करने की है। क्या वो उचित मौके का तलाश कर रही थीं जो उन्हें मिल चुका है।;
Indi Alliance News: इंडी गठबंधन के अंदर से जब आवाज उठी कि ममता बनर्जी (Mamata Banerjee)की अगुवाई सही रहेगी तो यह साफ होने लगा का हरियाणा (Haryana Elections result 2024) और महाराष्ट्र के नतीजे कांग्रेस पर भारी पड़ रहे हैं। ममता को कमान देने के मुद्दे पर ना तो अखिलेश यादव (Akhilesh Yadav) को, ना ही शरद पवार, ना लालू यादव को और ना ही शिवसेना को मोटे तौर पर ऐतराज है। अब जब आवाज इन दिग्गजों की तरफ आई तो कांग्रेस की तरफ से सवालों के गोलों का दगना तय था। मीडिया जगत से जुड़े लोगों ने राहुल गांधी (Rahul Gandhi) से इस सवाल को तब किया जब वो दिल्ली में ग्रॉसरी की दुकान पर पहुंचे थे। उन्होंने कहा कि मझोले और छोटे नेताओं की बात पर ध्यान मत दीजिए।
राहुल गांधी की यह सलाह ऐसे समय में आई है जब इंडिया गठबंधन के नेता नेतृत्व के मुद्दे पर विचार कर रहे हैं और टीएमसी नेता पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी को विपक्षी गठबंधन का नेतृत्व सौंपने के लिए आक्रामक तरीके से प्रयास कर रहे हैं। गांधी ने नेताओं से अन्य विपक्षी दलों के "मध्यम और निम्न-स्तरीय" नेताओं की टिप्पणियों पर प्रतिक्रिया न करने का आग्रह किया और इस बात पर जोर दिया कि विपक्षी समूह में सबसे बड़ी पार्टी होने के नाते कांग्रेस (Congress largest party Indi Alliance) मुद्दों को सुलझाने में सक्षम है।
गांधी ने कहा कि अडानी मुद्दे पर विपक्ष के विरोध से सरकार परेशान है और उन्हें लोगों के मुद्दे उठाते रहना चाहिए। पार्टी सूत्रों ने बताया कि लोकसभा में विपक्ष के नेता ने इस बात पर जोर दिया कि वह चाहते हैं कि सदन चले ताकि विपक्ष की आवाज सुनी जा सके। ऐसा माना जा रहा है कि वायनाड से सांसद प्रियंका गांधी वाड्रा (Priyanka Gandhi Vadra) ने सांसदों से विरोध के नए-नए विचार सामने लाने का आग्रह किया है जैसा कि पिछले कुछ दिनों में देखा गया है।
यहां सवाल ये है कि जब आम चुनाव में बीजेपी (BJP) के बाद कांग्रेस दूसरी सबसे बड़ी पार्टी है, कांग्रेस के पास 99 सांसद है वैसी सूरत में ममता बनर्जी के मन में इंडी गठबंधन (Indi Alliance News) की अगुवाई करने की इच्छा क्यों जगी। क्या वो हरियाणा और महाराष्ट्र के चुनावी नतीजों का इंतजार कर रही थीं। अखिलेश यादव, शिवसेना यूबीटी गुट और शरद पवार की कांग्रेस से मनमुटाव की वजह हो सकती है। क्योंकि इन दलों का मानना है कि कांग्रेस कहीं न कहीं दबाव की राजनीति करने में कामयाब रही। अखिलेश यादव (Akhilesh Yadav) की पार्टी कहती भी है कि हरियाणा और महाराष्ट्र में उनके साथ रुखा व्यवहार किया गया। शिवसेना यूबीटी (Shivsena UBT) और शरद पवार की पार्टी को भी ऐतराज था। चुनाव की वजह से वो कुछ नहीं बोल पाए। लेकिन अब नतीजों से साफ है कि कांग्रेस को अभी और संघर्ष करना है। ऐसे में इन दलों के नेताओं को लगता है कि अब इंडी की कमान किसी और के हाथ होनी चाहिए।