चेनाब के जरिए पाकिस्तान की घेरेबंदी, अधिक से अधिक पानी स्टोर करने की तैयारी
पहलगाम हमले के बाद भारत ने सिंधु जल समझौते को सस्पेंड करने का फैसला किया। बगलीहार डैम से पानी को रोक दिया है। अब रुकी परियोजनाओं पर आगे बढ़ने का फैसला किया है।;
Baglihar Dam Desilting News: पिछले महीने पहलगाम आतंकी हमले के बाद भारत द्वारा सिंधु जल संधि (IWT) को निलंबित किए जाने के बाद अब देश ने पश्चिमी नदियों सिंधु, झेलम और चिनाब के जल प्रवाह को नियंत्रित करने के लिए एक विस्तृत योजना पर काम शुरू कर दिया है। इस योजना के तहत जम्मू-कश्मीर में चिनाब नदी पर स्थित दो रन-ऑफ-द-रिवर जलविद्युत परियोजनाओं बगलीहार और सलाल के जलाशयों की सीमित फ्लशिंग और डीसिल्टिंग की जा रही है। इसका उद्देश्य सर्दियों के दौरान पाकिस्तान को जाने वाले जल प्रवाह को नियंत्रित करने और जल संग्रहण की तैयारी करना है।
जलाशयों की सफाई: एक रणनीतिक कदम
फ्लशिंग एक ऐसी प्रक्रिया है जिसमें जलाशय में जमा गाद को तेज जल प्रवाह के माध्यम से हटाया जाता है, जबकि डीसिल्टिंग में ड्रेजिंग के माध्यम से भारी मात्रा में जमी गाद को हटाया जाता है। यह कार्य इन जलाशयों की उपयोगिता को लंबे समय तक बनाए रखने में मदद करेगा। मीडिया रिपोर्ट के मुताबित केंद्रीय जल आयोग (CWC) के पूर्व अध्यक्ष कुशविंदर वोहरा का कहना है कि “चूंकि अब संधि निलंबित है और भारत पर इसके प्रावधानों का पालन करने का कोई दायित्व नहीं है, इसलिए हम किसी भी परियोजना पर फ्लशिंग कर सकते हैं। यह इन परियोजनाओं की प्रभावी आयु को बढ़ाएगा।” उन्होंने कहा कि बगलीहार और किशनगंगा जैसे छोटे जलाशय वाले प्रोजेक्ट्स में फ्लशिंग की प्रक्रिया एक से दो दिनों में पूरी हो सकती है।
जल संरक्षण के लिए मध्य व दीर्घकालीन कदम
भारत की योजना के तहत यह डीसिल्टिंग और फ्लशिंग जैसे कार्य अल्पकालिक कदम हैं। वहीं, निर्माणाधीन जलविद्युत परियोजनाओं जैसे पक्कलडुल (1000 मेगावाट), रैटल (850 मेगावाट), किरू (624 मेगावाट) और क्वार (540 मेगावाट) को तेजी से पूरा करना मध्यकालीन रणनीति का हिस्सा है। किशनगंगा परियोजना से नौ क्यूसेक जल प्रवाह को रोकना और इसका उपयोग भारत में अधिक बिजली उत्पादन के लिए करना भी एक तात्कालिक उपाय हो सकता है।
दीर्घकालिक दृष्टिकोण के तहत चार और जलविद्युत परियोजनाएं प्रस्तावित हैं, जिनसे भारत पश्चिमी नदियों से अधिक मात्रा में जल का उपयोग कर सकेगा। इन परियोजनाओं के पूरा होने के बाद जम्मू-कश्मीर में भारत की हाइड्रोपावर क्षमता 4,000 मेगावाट से बढ़कर 10,000 मेगावाट से अधिक हो जाएगी, और जल संग्रहण क्षमता में भी भारी वृद्धि होगी, जिससे केंद्र शासित प्रदेश और उसके पड़ोसी राज्यों को लाभ मिलेगा।
झेलम पर परियोजनाओं गति देने की तैयारी
भारत की योजना में झेलम नदी पर ठप पड़ी तुलबुल परियोजना को पुनः शुरू करना भी शामिल है, साथ ही वुलर झील और झेलम नदी पर बाढ़ प्रबंधन के लिए काम, और जल उपयोग के लिए लिफ्ट परियोजनाएं भी प्रस्तावित हैं जो अपेक्षाकृत कम समय में लागू की जा सकती हैं। साथ ही जम्मू क्षेत्र के लिए रनबीर और प्रताप नहरों का भी बेहतर उपयोग सुनिश्चित करने की योजना है।