भारतीय सेना ने खोला 1971 का पन्ना, अमेरिका पर परोक्ष हमला
भारतीय सेना ने 1971 की अख़बार कतरन साझा कर अमेरिका पर निशाना साधा, बताया कैसे उसने पाक को हथियार दिए और अब भारत पर दंड लगाने की बात कर रहा है।;
भारतीय सेना ने अमेरिका पर परोक्ष रूप से निशाना साधते हुए एक पुरानी अख़बार की कतरन साझा की, जिसमें बताया गया था कि कैसे अमेरिका और चीन ने 1971 के युद्ध की तैयारी के वर्षों में पाकिस्तान को दशकों तक हथियारों की आपूर्ति की थी। यह प्रतिक्रिया ऐसे समय में आई है जब अमेरिका भारत पर रूस से हथियार और कच्चा तेल खरीदने को लेकर आर्थिक दंड लगाने की योजना बना रहा है।
भारतीय सेना की ईस्टर्न कमांड ने ‘X’ (पूर्व में ट्विटर) पर “This Day That Year – Build Up of War – 05 Aug 1971 #KnowFacts” शीर्षक से एक पोस्ट में लिखा 1954 से अब तक अमेरिका द्वारा पाकिस्तान को भेजे गए 2 अरब डॉलर के हथियार)।
पाकिस्तान को अमेरिकी हथियारों की आपूर्ति
साझा की गई कतरन में उस समय के रक्षा उत्पादन मंत्री वी. सी. शुक्ला का बयान है, जो उन्होंने राज्यसभा में दिया था। उन्होंने बताया कि पाकिस्तान द्वारा बांग्लादेश में किए गए सैन्य ऑपरेशन के बाद भारत ने नाटो सदस्यों और तत्कालीन सोवियत संघ से पाकिस्तान को हथियार दिए जाने के बारे में संपर्क किया था।
शुक्ला के अनुसार, सोवियत संघ और फ्रांस ने पाकिस्तान को हथियार देने से इनकार किया, लेकिन अमेरिका लगातार पाकिस्तान को सैन्य सहायता देता रहा। रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि अमेरिका और चीन ने पाकिस्तान को “नाममात्र कीमतों” पर हथियार बेचे, जबकि फ्रांस ने किसी भी तरह की छूट के बिना पूरी कीमत पर बेचा। रिपोर्ट में सरकारी आकलन के हवाले से कहा गया कि 1954 में पाकिस्तान के साथ हथियार समझौते पर हस्ताक्षर के बाद से अमेरिका ने करीब 2 अरब डॉलर के हथियार भेजे थे।
ट्रंप का भारत पर शुल्क और दंड
यह विवाद तब गहरा गया जब पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने भारत पर 25% टैरिफ और रूस से तेल व हथियार खरीदने पर एक अनिर्दिष्ट दंड लगाने की घोषणा की। इसके उलट, पाकिस्तान पर लगाया गया शुल्क 29% से घटाकर 19% कर दिया गया।
ट्रंप ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म Truth Social पर लिखा है कि भारत न सिर्फ बड़ी मात्रा में रूसी तेल खरीद रहा है, बल्कि उसमें से काफी तेल खुले बाजार में बेचकर मुनाफा भी कमा रहा है। उन्हें इस बात की कोई परवाह नहीं कि यूक्रेन में कितने लोग मारे जा रहे हैं। इसी कारण मैं भारत पर लगने वाला शुल्क काफी बढ़ा दूंगा।
भारत का जवाब: MEA का बयान
भारत सरकार ने ट्रंप की आलोचना का जवाब देते हुए एक आधिकारिक बयान में कहा कि COVID-19 महामारी के बाद जब पारंपरिक तेल आपूर्ति बाधित हुई, तब अमेरिका ने ही भारत को रूस से तेल खरीदने के लिए प्रोत्साहित किया था।विदेश मंत्रालय (MEA) ने कहा कि भारत को रूस से तेल खरीदने के लिए अमेरिका और यूरोपीय संघ द्वारा निशाना बनाया गया है। जबकि सच्चाई यह है कि जब यूक्रेन युद्ध शुरू हुआ और यूरोप को तेल की आपूर्ति प्राथमिकता पर भेजी गई, तो अमेरिका ने ही भारत को रूसी तेल खरीदने के लिए कहा ताकि वैश्विक ऊर्जा बाजार की स्थिरता बनी रहे।
बयान में आगे कहा गया कि भारत का यह आयात भारतीय उपभोक्ता को सस्ती और स्थिर ऊर्जा आपूर्ति सुनिश्चित करने के लिए है, यह कोई विकल्प नहीं बल्कि वैश्विक परिस्थितियों से उत्पन्न हुई आवश्यकता है। विडंबना यह है कि जो देश आज भारत की आलोचना कर रहे हैं, वही खुद भी रूस से व्यापार कर रहे हैं और उनके लिए यह कोई राष्ट्रीय आवश्यकता भी नहीं है।
जहां अमेरिका भारत पर रूस से व्यापार को लेकर दबाव बना रहा है, वहीं भारतीय सेना ने ऐतिहासिक उदाहरण देते हुए यह याद दिलाया है कि अमेरिका और चीन स्वयं वर्षों तक पाकिस्तान को सस्ते हथियार देकर दक्षिण एशिया में असंतुलन पैदा करते रहे हैं। यह मामला सिर्फ भू-राजनीति का नहीं, बल्कि दोहरे मापदंड का भी है जिसे भारत अब अंतरराष्ट्रीय मंचों पर मजबूती से उजागर कर रहा है।