दुश्मन का ड्रोन-मिसाइल नहीं बचेगा अब IGLA-S की नजर से, सेना को मिले रूसी एयर डिफेंस मिसाइल

भारतीय सेना को ये मिसाइलें कुछ हफ्ते पहले प्राप्त हुई थीं और इन्हें अग्रिम पंक्ति की टुकड़ियों को सौंपा जा रहा है ताकि दुश्मन के लड़ाकू विमानों, हेलीकॉप्टरों और ड्रोन से सुरक्षा प्रदान की जा सके.;

Update: 2025-05-04 08:12 GMT
इगला-एस कंधे पर रखकर दागी जाने वाली वायु रक्षा मिसाइल

पहलगाम में आतंकी हमले के बाद पाकिस्तान के साथ एलओसी और इंटरनेशनल बॉर्डर पर बढ़ते तनाव के बीच भारतीय सेना ने अपनी वायु रक्षा क्षमताओं और मजबूत कर लिया है. सेना ने रूसी मूल की इगला-एस (Igla-Sदुश्मन का ड्रोन-मिसाइल नहीं बचेगा अब IGLA-S की नजर से, सेना को मिले 250 करोड़ के नए एयर डिफेंस मिसाइल) मिसाइलों की नई खेप प्राप्त हुई है. बहुत कम दूरी की वायु रक्षा प्रणालियाँ (VSHORADS) भारतीय सेना की वायु सुरक्षा का एक अहम हिस्सा हैं, और इगला-एस मिसाइलों की यह नई खेप उस अनुबंध के तहत प्राप्त की गई है जिसे केंद्र सरकार द्वारा सेनाओं को दी गई आपातकालीन खरीद शक्तियों के तहत हस्ताक्षरित किया गया है.

सूत्रों के मुताबिक, भारतीय सेना को ये मिसाइलें कुछ हफ्ते पहले प्राप्त हुई थीं और इन्हें अग्रिम पंक्ति की टुकड़ियों को सौंपा जा रहा है ताकि दुश्मन के लड़ाकू विमानों, हेलीकॉप्टरों और ड्रोन से सुरक्षा प्रदान की जा सके. करीब 260 करोड़ रुपये के इस अनुबंध से विशेष रूप से पश्चिमी क्षेत्र में अग्रिम मोर्चों पर तैनात वायु रक्षा इकाइयों की ताकत में इज़ाफा होगा. भारतीय वायुसेना ने भी इन्हीं इन्फ्रारेड सेंसर आधारित VSHORADS मिसाइलों के लिए समान अनुबंध किया है.

पिछले कुछ वर्षों में भारतीय सेनाएं आपातकालीन और त्वरित प्रक्रिया के तहत अपनी जरूरत की वस्तुओं और उपकरणों की खरीद कर अपनी युद्धक क्षमताओं को लगातार बढ़ा रही हैं. इसका खास ध्यान ऐसे स्पेयर पार्ट्स और सिस्टम्स पर रहा है जो उच्च गति वाले सैन्य अभियानों को सुचारू बनाए रखते हैं. इगला-एस मिसाइलों की इस नई आपूर्ति के साथ ही भारतीय सेना ने त्वरित प्रक्रिया के तहत 48 अतिरिक्त लॉन्चर और लगभग 90 मिसाइलें खरीदने के लिए निविदा भी जारी की है. सेना निकट भविष्य में लेज़र बीम-राइडिंग तकनीक पर आधारित VSHORADS के नए संस्करण खरीदने की योजना भी बना रही है।

इगला-एस: एक उन्नत प्रणाली

इगला-एस, 1990 के दशक से उपयोग में रही इगला मिसाइलों का उन्नत संस्करण है. पुरानी इगला मिसाइलों की मौजूदा खेप का भी देश में ही एक भारतीय कंपनी द्वारा आधुनिकीकरण किया गया है. पश्चिमी मोर्चे पर पाकिस्तान सेना द्वारा इस्तेमाल किए जा रहे विभिन्न प्रकार के मानव रहित हवाई वाहनों (UAV) से उत्पन्न खतरे को देखते हुए, भारतीय सेना को बड़ी संख्या में मिसाइलों और बेहतर ड्रोन पहचान तथा विनाश क्षमताओं की आवश्यकता है.

सेना ने स्वदेशी इंटीग्रेटेड ड्रोन डिटेक्शन एंड इंटरडिक्शन सिस्टम के मार्क-1 संस्करण को तैनात किया है, जो 8 किलोमीटर से अधिक की दूरी से ड्रोन का पता लगाने, उन्हें जैम करने, गुमराह करने और नष्ट करने में सक्षम है. इस प्रणाली में लेजर लगे होते हैं जो ड्रोन को जलाकर गिरा सकते हैं. जम्मू क्षेत्र में 16 कोर के सामने सेना की वायु रक्षा इकाइयों ने एक पाकिस्तानी ड्रोन को इस प्रणाली की मदद से गिराया था. 

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