Talking Sense With Srini| ईरान पर हमला थमा, पर क्या संकट टला?

ईरान-इजरायल तनाव धीरे धीरे नरम पड़ रहा है। लेकिन मूल प्रश्न अब भी कायम है। क्या ईरान का परमाणु कार्यक्रम पटरी से उतर गया है? क्या युद्धविराम कायम रहेगा?;

Update: 2025-06-26 09:23 GMT

पश्चिम एशिया में सैन्य तनाव के महीनों बाद एक अस्थिर संघर्ष विराम लागू है। अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की मध्यस्थता के बाद इज़रायल और ईरान के बीच युद्धविराम हुआ है, लेकिन क्या यह स्थायी समाधान की ओर बढ़ता कदम है या सिर्फ एक अस्थायी विराम? द फेडरल के प्रधान संपादक एस. श्रीनिवासन ने टॉकिंग सेंस के नवीनतम एपिसोड में इस पूरे घटनाक्रम पर गहराई से अपने विचारों को पेश किया।  उन्होंने कहा कि शब्दों में यह युद्ध समाप्त होता दिख रहा है, हाँ, लेकिन शांति? यह सुनिश्चित नहीं है।

संघर्ष की जड़ें और फिलिस्तीनी प्रश्न

श्रीनिवासन के अनुसार, यह टकराव 7 अक्टूबर 2023 को हमास द्वारा इज़रायल पर रॉकेट हमलों के साथ शुरू हुआ था, जिसमें इज़रायल का आयरन डोम सिस्टम भेद दिया गया और कई नागरिक मारे गए। इसके जवाब में इज़रायल ने गाजा पर जबरदस्त बमबारी की, जिससे तनाव और बढ़ा।इसमें हिज़बुल्लाह के शामिल होने के बाद इज़रायल ने ईरान के सैन्य ठिकानों पर भी हमले किए, क्योंकि ईरान हमास और हिज़बुल्लाह  दोनों का समर्थन करता है। इज़रायल ने “ख़तरे की जड़ों” को मिटाने की बात कहकर ईरान को खुला लक्ष्य बना लिया।

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ट्रंप की 'जीत', लेकिन क्या वाकई?

इसके बाद अमेरिका ने भी संघर्ष में सीधे दखल दिया और ईरानी परमाणु ठिकानों, जिनमें फोर्डो भी शामिल है, पर जीबीयू-57 बमों से हवाई हमले किए। ट्रंप ने इस अभियान को सफल बताया, लेकिन अमेरिकी खुफिया एजेंसियों ने चेताया कि ईरान का परमाणु ढांचा पूरी तरह नष्ट नहीं हुआ हो सकता है।

श्रीनिवासन ने संदेह व्यक्त किया कि ईरान ने हमले की आशंका में समृद्ध यूरेनियम को पहले ही स्थानांतरित कर दिया होगा। उन्होंने कहा कि ट्रंप, नेतन्याहू और खामेनेई तीनों ने जीत का दावा किया है। लेकिन क्या वाकई ईरान की परमाणु क्षमता अपंग हुई है, यह स्पष्ट नहीं है।

गाजा और दो-राज्य समाधान

श्रीनिवासन ने साफ शब्दों में कहा कि जब तक फिलिस्तीनी मुद्दे का हल, विशेष रूप से दो-राज्य समाधान, सामने नहीं आता, तब तक यह क्षेत्र बार-बार हिंसा की ओर लौटता रहेगा। "आप गाज़ा को खत्म नहीं कर सकते," उन्होंने कहा।"इन फ्लैशपॉइंट्स से बचाव का एकमात्र रास्ता राजनीतिक समाधान है।"

ट्रंप ने हाल ही में ईरान को "मिडिल ईस्ट का बुली" (धौंसिया) कहा। श्रीनिवासन ने इसे अमेरिकी रणनीतिक राजनीति का हिस्सा बताया और ‘बुराई की धुरी’ (Axis of Evil) जैसे अतीत के अमेरिकी नैरेटिव की याद दिलाई।उनका कहना था,"ईरान खुद को 'प्रतिरोध की धुरी' (Axis of Resistance) का हिस्सा कहता है। ये सब राजनीतिक लेबल हैं, सच्चाई नहीं।"

भारत और तेल संकट

जहां उम्मीद थी कि युद्ध से तेल की कीमतों में भारी उछाल आएगा, वहीं कीमतें $70 प्रति बैरल पर स्थिर बनी रहीं। श्रीनिवासन ने इसका श्रेय भारत के तेल आपूर्ति स्रोतों के विविधीकरण को दिया, खासकर रूस से बढ़े हुए आयात को।

अमेरिकी प्रतिक्रिया: प्रतीकात्मक कार्रवाई

श्रीनिवासन ने यह खुलासा भी किया कि हां, अमेरिका ने मिसाइलें भेजीं, लेकिन पहले से सूचना दे दी थी। कतर स्थित अमेरिकी बेस पहले ही खाली कर दिया गया था।यह केवल प्रतीकात्मक प्रतिशोध था, न कि निर्णायक हमला।

उठते सवाल

क्या ईरान का परमाणु कार्यक्रम वास्तव में नष्ट हुआ है?

क्या संघर्ष विराम लंबा चलेगा?

क्या मध्य-पूर्व बिना राजनीतिक समाधान के स्थायी शांति प्राप्त कर सकता है? श्रीनिवासन का निष्कर्ष था:"युद्ध रुका है, लेकिन शांति अभी भी इस क्षेत्र से बहुत दूर है। 

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