2035 तक भारत का खुद का अंतरिक्ष स्टेशन होगा: ISRO चीफ नारायणन

भारत का अंतरिक्ष कार्यक्रम अब सिर्फ वैज्ञानिक सफलता तक सीमित नहीं, बल्कि अंतरिक्ष व्यापार, सार्वजनिक सेवाओं और वैश्विक प्रतिस्पर्धा में एक मजबूत भूमिका निभाने के लिए तैयार हो रहा है। 2035 तक स्पेस स्टेशन और 150 उपग्रहों के साथ भारत दुनिया के अग्रणी अंतरिक्ष राष्ट्रों की कतार में खड़ा हो सकता है।;

Update: 2025-07-25 13:28 GMT

भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) के अध्यक्ष वी. नारायणन ने शुक्रवार को कहा कि भारत को आगामी तीन वर्षों में अपने मौजूदा 55 उपग्रहों की संख्या को तीन गुना बढ़ाकर लगभग 150 करना होगा। उन्होंने यह बात ‘जीपी बिड़ला मेमोरियल लेक्चर’ में कही, जिसका विषय था— भारतीय अंतरिक्ष कार्यक्रम: उपलब्धियां, चुनौतियां और भविष्य की दृष्टि।

आगामी लॉन्च मिशन

इसरो प्रमुख ने जानकारी दी कि इस वर्ष 12 लॉन्च व्हीकल मिशन तय किए गए हैं। इनमें अगला महत्वपूर्ण प्रक्षेपण है — NASA-ISRO Synthetic Aperture Radar (NISAR) मिशन, जिसे 30 जुलाई को GSLV F16 के माध्यम से लॉन्च किया जाएगा। उन्होंने कहा कि हम अपने खुद के स्पेस स्टेशन पर कार्य कर रहे हैं। इसके साथ ही हमारा लक्ष्य है कि चंद्रयान मिशन का लैंडिंग भी पूरी तरह भारत का अपना हो।

ट्रिपल सैटेलाइट्स की ज़रूरत

नारायणन ने कहा कि इस समय भारत के पास 55 सक्रिय उपग्रह हैं, जो देश की आम जनता की सेवा कर रहे हैं। लेकिन तेजी से बढ़ती मांग और आवश्यकताओं को देखते हुए यह संख्या तीन गुना तक बढ़ानी होगी। डिमांड इतनी ज्यादा है कि हमें लगातार नए सैटेलाइट्स बनाने होंगे और हम उसी दिशा में काम कर रहे हैं।

2035 तक अपना स्पेस स्टेशन

पत्रकारों से बातचीत में इसरो अध्यक्ष ने बताया कि भारत वर्ष 2035 तक पूर्ण रूप से अपना स्पेस स्टेशन बनाएगा और इसका पहला मॉड्यूल 2028 में कक्षा (Orbit) में स्थापित किया जाएगा। नारायणन ने यह भी स्पष्ट किया कि भारतीय अंतरिक्ष क्षेत्र में सुधार (Space Sector Reforms) तेजी से हो रहे हैं। जहां पहले इसरो सेवा आधारित मॉडल पर काम करता था। वहीं, अब वह वैश्विक स्तर पर व्यवसायिक अवसरों को भुनाने की दिशा में आगे बढ़ रहा है।

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