खराब मौसम के चलते एक्सिओम-4 मिशन में देरी, शुभांशु शुक्ला की अंतरिक्ष यात्रा 11 जून को
एक्सिओम-4 मिशन अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा और भारत की इसरो की एक संयुक्त पहल है। इस मिशन के तहत चारों अंतरिक्ष यात्री ISS की यात्रा पर जाएंगे.;
मौसम की प्रतिकूल स्थिति के कारण अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन (ISS) के लिए प्रस्तावित एक्सिओम-4 मिशन को 11 जून तक के लिए स्थगित कर दिया गया है। इस मिशन में भारत के अंतरिक्ष यात्री ग्रुप कैप्टन शुभांशु शुक्ला तीन अन्य अंतरिक्ष यात्रियों के साथ रवाना होने वाले थे। इस बात की जानकारी भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) ने अपने आधिकारिक एक्स (पूर्व ट्विटर) हैंडल से साझा की। इसरो के अनुसार, अब यह मिशन 11 जून की शाम 5:30 बजे लॉन्च किया जाएगा।
शुभांशु शुक्ला भारत के अगले अंतरिक्ष यात्री
शुभांशु शुक्ला, जो अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन पर जाने वाले पहले भारतीय बन सकते हैं, साल 1984 में राकेश शर्मा की यात्रा के बाद किसी भारतीय की यह पहली मानव अंतरिक्ष यात्रा होगी। राकेश शर्मा ने सोवियत संघ के सोयुज अंतरिक्ष यान से उड़ान भरी थी।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 2018 में लाल किले से अपने संबोधन में भारतीयों को जल्द अंतरिक्ष में भेजने की घोषणा की थी, जिसके बाद 2019 में शुभांशु को इसरो की अंतरिक्ष यात्री चयन प्रक्रिया में शामिल किया गया।
नासा-इसरो की साझेदारी में एक्सिओम मिशन
एक्सिओम-4 मिशन अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा और भारत की इसरो की एक संयुक्त पहल है। इस मिशन के तहत चारों अंतरिक्ष यात्री ISS की यात्रा पर जाएंगे, जहां वे वैज्ञानिक प्रयोगों, पब्लिक आउटरीच और व्यावसायिक प्रयासों पर काम करेंगे। शुभांशु शुक्ला को जनवरी 2025 में एक्स-4 मिशन के लिए पायलट के रूप में चुना गया।
मिशन में शुभांशु की भूमिका
शुभांशु ने कहा कि वे इस मिशन के दौरान पायलट की भूमिका निभाएंगे और अंतरिक्ष यान के सिस्टम को मैनेज करेंगे। उन्होंने बताया, "मैं वाहन को नेविगेट करूंगा और उपलब्ध सभी डेटा को मॉनिटर करूंगा।" शुक्ला ने भारत की स्पेस स्टार्टअप इकोनॉमी और उसमें शामिल प्रतिभाओं की भी सराहना की।
चालक दल में कौन-कौन?
एक्सिओम-4 मिशन के तहत जो चार अंतरिक्ष यात्री ISS की यात्रा पर जाएंगे,उनमें शुभांशु शुक्ला (भारत) मिशन पायलट, स्लावोस्ज उजनांस्की-विस्नीवस्की (पोलैंड), टिबोर कापू (हंगरी) और पैगी व्हिटसन (अमेरिका) अनुभवी अंतरिक्ष यात्री शामिल हैं. यह मिशन न केवल भारत बल्कि वैश्विक अंतरिक्ष सहयोग की दृष्टि से भी एक अहम कड़ी साबित हो सकता है।