जम्मू-कश्मीर से संबंधित 25 किताबों पर बैन, अरुंधति रॉय की 'आजादी' भी शामिल

जम्मू-कश्मीर सरकार ने अरुंधति रॉय सहित 25 लेखकों की किताबें प्रतिबंधित की हैं. सरकार ने इन्हें युवाओं को भड़काने और अलगाववाद फैलाने वाला बताया है.;

Update: 2025-08-07 04:33 GMT

जम्मू-कश्मीर सरकार ने 25 पुस्तकों पर प्रतिबंध लगाने का आदेश जारी किया है, जिन पर कथित रूप से "झूठा नैरेटिव और अलगाववाद को बढ़ावा देने" का आरोप है. इनमें लेखिका और सामाजिक कार्यकर्ता अरुंधति रॉय की चर्चित पुस्तक ‘आज़ादी’, संविधान विशेषज्ञ ए. जी. नूरानी की ‘The Kashmir Dispute 1947–2012’, और राजनीतिक वैज्ञानिक सुमंत्र बोस की ‘Kashmir at the Crossroads’ तथा ‘Contested Lands’ जैसी पुस्तकें शामिल हैं.

युवाओं के मानसिक प्रभाव का हवाला

5 अगस्त को जारी गृह विभाग की अधिसूचना, जिस पर प्रमुख सचिव चंद्रेकर भारती के हस्ताक्षर हैं, में कहा गया है कि यह साहित्य, जो अक्सर ऐतिहासिक या राजनीतिक टिप्पणी के रूप में सामने आता है, "युवाओं को हिंसा और आतंकवाद की ओर ले जाने में बड़ी भूमिका निभाता है."

अधिसूचना में यह भी कहा गया है,

"यह साहित्य पीड़ित भावना, आतंकवादियों की नायक-संस्कृति और सुरक्षा बलों की छवि को धूमिल करने जैसे विचारों को युवाओं के मन में गहराई से बैठा देता है. सरकार का मानना है कि इन पुस्तकों ने इतिहास को तोड़-मरोड़ कर प्रस्तुत किया है, आतंकवादियों का महिमामंडन किया है, धार्मिक कट्टरता को बढ़ावा दिया है, और युवाओं को देश से विमुख करने तथा हिंसा की ओर प्रेरित करने का काम किया है.

प्रकाशकों और कानूनी धाराओं का हवाला

प्रतिबंधित पुस्तकों को प्रकाशित करने वाले प्रकाशकों में Routledge, Stanford University Press, और Oxford University Press जैसे प्रतिष्ठित नाम भी शामिल हैं. ये पुस्तकें अब भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता (BNSS) 2023 की धारा 98 के तहत "जब्त" की गई हैं.

इसके अतिरिक्त, इन पुस्तकों पर भारतीय न्याय संहिता (BNS) 2023 की धारा 152, 196 और 197 भी लगाई गई हैं, जो क्रमशः बिना उकसावे के हमला, सरकारी कर्मचारियों के काम में बाधा और सहायता न करने से संबंधित हैं.

यह निर्णय ऐसे समय आया है जब सुप्रीम कोर्ट 8 अगस्त (शुक्रवार) को केंद्र सरकार को जम्मू-कश्मीर को राज्य का दर्जा वापस देने संबंधी याचिका पर सुनवाई करने जा रहा है. गौरतलब है कि 5 अगस्त 2019 को केंद्र सरकार ने जम्मू-कश्मीर को विशेष दर्जा देने वाले अनुच्छेद 370 को समाप्त कर राज्य को दो केंद्रशासित प्रदेशों जम्मू-कश्मीर और लद्दाख  में विभाजित कर दिया था.

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