न्यायमूर्ति सूर्यकांत ने ली शपथ, छोटे कस्बे से सुप्रीम कोर्ट तक का सफ़र

न्यायमूर्ति सूर्यकांत ने राष्ट्रपति भवन में भारत के 53वें CJI के रूप में शपथ ली। छोटे कस्बे से सुप्रीम कोर्ट तक उनका सफर कई ऐतिहासिक फैसलों से जुड़ा रहा।

Update: 2025-11-24 07:38 GMT

न्यायमूर्ति सूर्यकांत ने सोमवार को राष्ट्रपति भवन में एक सादे मगर गरिमामय समारोह में भारत के 53वें मुख्य न्यायाधीश (CJI) के रूप में शपथ ली। उन्होंने न्यायमूर्ति बी.आर. गवई का स्थान लिया, जिनका कार्यकाल रविवार को पूरा हुआ। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने उन्हें पद की शपथ दिलाई। न्यायमूर्ति सूर्यकांत ने ईश्वर के नाम पर हिंदी में शपथ ली।

न्यायमूर्ति सूर्यकांत को 30 अक्टूबर को अगला मुख्य न्यायाधीश नियुक्त किया गया था। वे लगभग 15 महीने तक इस पद पर रहेंगे और 10 फरवरी 2027 को 65 वर्ष की आयु पूरी होने पर सेवानिवृत्त होंगे।

प्रधानमंत्री ने X पर तस्वीरें साझा करते हुए लिखा “न्यायमूर्ति सूर्यकांत के शपथ ग्रहण समारोह में शामिल हुआ। उनके कार्यकाल के लिए शुभकामनाएं। राष्ट्रपति, उपराष्ट्रपति, प्रधानमंत्री, CJI सूर्यकांत, पूर्व CJI गवई, और कानून मंत्री अर्जुन राम मेघवाल का एक औपचारिक ग्रुप फ़ोटो भी लिया गया। पूर्व उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने भी नए CJI को बधाई दी। समारोह के दौरान पूर्व CJI गवई ने अपने उत्तराधिकारी को गले लगाकर शुभकामनाएं दीं।

एक छोटे कस्बे से सर्वोच्च न्यायपालिका तक का सफ़र

10 फरवरी 1962 को हरियाणा के हिसार ज़िले में एक मध्यमवर्गीय परिवार में जन्मे न्यायमूर्ति सूर्यकांत का सफर प्रेरणादायक रहा है।

• उन्होंने कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय से कानून में ‘फर्स्ट क्लास फर्स्ट’ प्राप्त किया।

• पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट में कई महत्वपूर्ण फैसले लिखे।

• 5 अक्टूबर 2018 को वे हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश बने।

सुप्रीम कोर्ट में उनके कार्यकाल में कई राष्ट्रीय महत्व और संवैधानिक मुद्दों पर ऐतिहासिक निर्णय शामिल हैं—

• अनुच्छेद 370 की समाप्ति पर फैसला

• अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता और नागरिकता अधिकारों पर अहम आदेश

महत्वपूर्ण मामलों में निर्णायक भूमिका

न्यायमूर्ति सूर्यकांत कई महत्वपूर्ण पीठों का हिस्सा रहे—

 राज्यपाल और राष्ट्रपति की विधायी शक्तियों पर राष्ट्रपति संदर्भ

उन्होंने उस पीठ में भूमिका निभाई जिसने राज्यपालों और राष्ट्रपति द्वारा लंबित बिलों पर कार्रवाई से जुड़ी संवैधानिक व्याख्या की।

 औपनिवेशिक देशद्रोह कानून पर रोक

वे उस ऐतिहासिक आदेश का हिस्सा थे, जिसमें केंद्र सरकार की समीक्षा तक धारा 124A (देशद्रोह) के तहत कोई नई FIR दर्ज न करने का निर्देश दिया गया।

 बिहार में मतदाता सूची SIR पर निर्वाचन आयोग से जवाबदेही

उन्होंने निर्वाचन आयोग को बिहार में ड्राफ्ट सूची से बाहर किए गए 65 लाख मतदाताओं का विवरण सार्वजनिक करने को कहा।

महिला सरपंच को बहाल कर लैंगिक न्याय पर जोर

एक महत्वपूर्ण आदेश में उन्होंने एक महिला सरपंच को पद से हटाने के लैंगिक पक्षपात को रेखांकित करते हुए उसे उसके पद पर बहाल किया।

बार एसोसिएशनों में महिलाओं के लिए 33% आरक्षण

उनके नेतृत्व वाली पीठ ने सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन सहित देशभर की बार एसोसिएशनों में एक-तिहाई सीटें महिलाओं के लिए आरक्षित करने का निर्देश दिया।

अन्य अहम फैसले और जांचें

 वर्ष 2022 में प्रधानमंत्री मोदी की पंजाब यात्रा के दौरान सुरक्षा चूक की जांच के लिए न्यायमूर्ति इंदु मल्होत्रा की अध्यक्षता में पाँच सदस्यीय समिति का गठन भी उनकी पीठ ने किया।

उन्होंने सैन्य कर्मियों के लिए वन रैंक–वन पेंशन (OROP) योजना को भी संवैधानिक रूप से मान्य ठहराया।

 महिला सैन्य अधिकारियों को स्थायी नियुक्ति में समानता दिलाने वाली याचिकाओं की सुनवाई भी वे कर रहे हैं।

 वे सात-न्यायाधीशों की उस संविधान पीठ का हिस्सा थे जिसने 1967 के अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय (AMU) फैसले को पलटकर विश्वविद्यालय की अल्पसंख्यक दर्जे पर पुनः विचार का मार्ग खोला।

 वे पेगासस जासूसी मामले में बनी पीठ में भी शामिल थे, जिसने कहा  कि राष्ट्रीय सुरक्षा के नाम पर राज्य को खुले छूट नहीं दी जा सकती।

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