क्या बॉलीवुड क्या मलयालम इंडस्ट्री, दामन पर बदनामी की छींट

फिल्म इंडस्ट्री की चमक दमक आंखों को चौंधिया देती है। लेकिन उसका स्याह पक्ष है। मी टू हो या कास्टिंग काउच शायद ही कोई पेशा अछूता हो।

By :  Lalit Rai
Update: 2024-08-28 08:15 GMT

Kerala Film Industry:  केरल फिल्म इंडस्ट्री पर आई एक रिपोर्ट ने देश भर में सनसनी मचा दी है यह रिपोर्ट मलयालम फिल्म इंडस्ट्री में महिलाओं के होने वाले यौन उत्पीड़न पर है चकाचौंध और ग्लैमर की दुनिया की कड़वी और काली सच्चाई को जानकर हर कोई दंग है  मलयालम फिल्म इंडस्ट्री देश की एक बड़ी इंडस्ट्री है...यहां बहुत अच्छी अच्छी फिल्में बनी हैं और बनती हैं यहां एक से बढ़कर एक उम्दा कलाकार हैं। प्रोड्यूसर और डाइरेक्टर एक से बढ़कर एक फिल्में बनाते हैं। लेकिन रिपोर्ट सामने आने के बाद  बाहर से इतना एलीट और सभ्य दिखने वाली मलयालम फिल्म इंडस्ट्री कई तरह के सवालों के घेरे में आ गई है। हां एक बात बतानी जरूरी है कि हम यहां पूरी मलयालम इंडस्ट्री की बात नहीं कर रहे हैं। 

2017 का है मामला

दरअसल, यौन उत्पीड़न का यह पूरा मामला फरवरी 2017 से जुड़ा है। केरल की एक अभिनेत्री का अपहरण हुआ। कार में इस अभिनेत्री का सामूहिक दुष्कर्म हुआ। जांच में पता चला कि इस गैंगरेप में केरल का ही एक मशहूर अभिनेता शामिल है। उस समय फिल्मों में काम करने वाली महिलाओं ने सरकार से इसकी शिकायत की। उन्होंने अपनी शिकायत में कहा कि फिल्मों में काम देने के बदले में उनसे सेक्स की मांग की जाती है। फिल्म इंडस्ट्री की महिलाओं की इन शिकायतों की जांच करने के लिए उस समय की केरल सरकार ने जस्टिस हिमा की अगुवाई में एक कमेटी बनाई..इस कमेटी ने फिल्म इंडस्ट्री की इन महिलाओं से बात की और शिकायतें सुनी फिर इस समिति ने अपनी रिपोर्ट 2019 में केरल सरकार को सौंप दी। 

इतने साल बाद रिपोर्ट आई सामने
साढ़े चार सालों के बाद केरल की सरकार ने इस रिपोर्ट को जारी किया। इतने सालों तक रिपोर्ट सार्वजनिक न करने के लिए। केरल सरकार विपक्ष के निशाने पर है। विपक्ष पूछ रहा है कि साढ़े चार साल तक सरकार रिपोर्ट क्यों दबाई रही। उसने कार्रवाई क्यों नहीं की।समिति की इस रिपोर्ट में फिल्म इंडस्ट्री की महिलाओं के यौन उत्पीड़न की कई शिकायतें सामने आई हैं।  एसोसिएशन ऑफ मलयालम मूवीज आर्टिस्ट्स के वरिष्ठ सदस्यों पर भी आरोप लगे हैं। रविवार को डायरेक्टर और केरल राज्य चलचित्र अकादमी के अध्यक्ष रंजीत और एक्टर्स एसोसिएशन के महासचिव सिद्दीकी ने अपने ऊपर लगे आरोपों के बाद अपने-अपने पदों से इस्तीफा दे दिया। महिला एक्ट्रेस की शिकायत के आधार पर रंजीत के खिलाफ गैर-जमानती केस दर्ज किया गया है हालांकि रंजीत ने अपनी सफाई में कहा है कि यह आरोप इसलिए लगाया गया है, क्योंकि उन्होंने अकादमी के अध्यक्ष बनने के बाद 'ठोस कदम' कदम उठाने शुरू कर दिए थे।

जस्टिस हिमा ने दी थी रिपोर्ट

दरअसल, जस्टिस हिमा ने केरल के फिल्मों में काम करने वाली महिलाओं से जब बात की तो उन्होंने शिकायत दी कि वहां की फिल्म इंडस्ट्री में महिलाओं को काम देने के बदले में उनसे सेक्सुअल फेवर मांगा जाता है। इससे पता चलता है कि केरल की अभिनेत्रियों को फिल्मों में रोल मिलने के लिए अपना यौन शोषण कराना पड़ा है। अभिनेत्रियों का यौन उत्पीड़न कोई करने वाले कोई और नहीं बल्कि उनके सीनियर कलाकार और फिल्मकार हैं जिनका मलयालम फिल्म इंडस्ट्री में बड़ा नाम और दबदबा है।

इस समिति की रिपोर्ट कहती है कि मलयालम फिल्म इंडस्ट्री में कुछ लोगों को एक नेक्सस है जो महिलाओं को काम देने के बदले उनसे यौन संबंध बनाने के लिए मजबूर करता है। इसमें फिल्म निर्माता, फिल्म प्रोड्यूसर..एक्टर और अभिनेत्रियां शामिल हैं जो महिलाएं उनकी बात नहीं मानतीं उन्हें काम नहीं मिलता और उन्हें परेशान किया जाता है इन महिलाओं का करियर खराब कर दिया जाता है और जो महिलाएं न चाहते हुए भी यौन उत्पीड़न के लिए हां कहती है। उन्हें बार-बार यह गंदा काम करना पड़ता है...वे कहती है कि यह एक ऐसा दलदल है जिसमें एक बार फंसने के बाद इससे बाहर निकलना संभव नहीं है।

जस्टिस हिमा की रिपोर्ट सामने आने के बाद केरल की राजनीति भी गरमा गई है। राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान ने कहा कि वह मुख्यमंत्री पिनाराई विजयन पर भरोसा करते हैं । अगर मलयालम इंडस्ट्री में यौन शोषण की शिकार महिलाएं सामने आएंगी तो वह कानूनी प्रक्रिया तेजी से शुरू करेंगे। केरल सरकार ने यौन शोषण के इन आरोपों की जांच के लिए ...एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी के नेतृत्व में एक विशेष जांच दल गठित करने की बात कही है।

काम के बदले समझौता

काम के बदले कम्प्रोमाइज और समझौता करने के इस दबाव के आगे बहुत सारी अभिनेत्रियों को झुकना पड़ता है...हम यह नहीं कह रहे कि सभी अभिनेत्रियां इसी तरह के दलदल से होकर गुजरती हैं। बहुत सारी ऐसी अभिनेत्रियां भी हैं जो बिना किसी तरह का समझौता किए .कामयाबी और करियर की बुलंदियों पर पहुंची हैं लेकिन मलयालम फिल्म इंडस्ट्री के इस कास्टिंग काउच ने फिल्म इंडस्ट्री में महिलाओं के यौन उत्पीड़न और उनकी मजबूरी का फायदा उठाने की कड़वी सच्चाई को एक बार फिर उजागर किया है। आपको याद होगा 2018 में भारत में भी मी टू अभियान चला था। इस कैम्पेन में फिल्म जगत, मीडिया और सरकारी महकमों की महिलाएं सामने आईं और अपने खिलाफ हुए यौन उत्पीड़न के मामलों को उजागर किया यानी केवल फिल्म जगत ही नहीं बल्कि कहिए हर क्षेत्र में अपनी बात मनवाने के लिए महिलाओं को विवश किया जाता है उनकी मजबूरी का फायदा उठाया जाता है कास्टिंग काउच ऐसा ही एक दाग है जो फिल्म इंडस्ट्री को हर बार शर्मसार करता है।

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