अब मुस्लिम समाज को सोच समझ कर देंगे टिकट, मायावती क्यों हो गईं नाराज?

यूपी से आए आम चुनाव 2024 के नतीजे बीजेपी के साथ बीएसपी को भी हैरान कर रहे हैं. बीएसपी मुखिया मायावती ने कहा कि अब मुस्लिम समाज को टिकट सोच समझ कर ही देंगे.;

By :  Lalit Rai
Update: 2024-06-05 07:10 GMT
अब मुस्लिम समाज को सोच समझ कर देंगे टिकट, मायावती क्यों हो गईं नाराज?
मायावती, बीएसपी की मुखिया
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क्या उत्तर प्रदेश में बीएसपी अंतिम सांस गिन रही है. अगर लोकसभा और विधानसभा में मिली जीत को पैमाना माना जाए तो बीएसपी का वजूद करीब करीब खत्म है, ऐसा कहने के पीछे दो वजह है. दो साल पहले विधानसभा के चुनाव में बीएसपी को सिर्फ एक सीट बलिया के रसड़ा से मिली थी. उस सीट से उमाशंकर सिंह विजयी रहे और कहा जाता है कि बीएसपी का योगदान सिर्फ इतना सा था कि वो हाथी सिंबल पर किस्मत आजमा रहे थे. अब अगर आम चुनाव 2024 के नतीजों की बात करें तो बीएसपी को एक भी सीट नहीं मिली है. बीएसपी ने 2014 के प्रदर्शन को एक बार फिर दोहराया है. 2014 में भी मायावती को लोकसभा चुनाव में एक भी सीट नहीं मिली थी.

मायावती ने किया खास ट्वीट
आम चुनाव 2024 के बारे में ट्वीट के जरिए मायावती ने अपनी बात रखी है. उन्होंने लिखा कि किस तरह से गर्मी की वजह से सात चरणों का चुनाव आम लोगों के लिए कष्टकारी साबित हुआ. इसके साथ ही वो भारत के भविष्य पर पर अपनी चिंता जाहिर करती हैं. लेकिन अहम बात मुसलमानों के संबंध में हैं. वो लिखती है कि पार्टी से मुस्लिम उम्मीदवारों को टिकट दिए लेकिन उसका फायदा जमीन पर नजर नहीं आया. अब आगे टिकट वितरण में मुस्लिम समाज के बारे में सोच समझ कर फैसला करेंगी.


1989 में बीएसपी ने लड़ा था पहला लोकसभा चुनाव

बीएसपी ने पहली दफा लोकसभा का चुनाव 1989 में लड़ा था उस वक्त पार्टी खुद के लिए जमीन बना रही थी. बावजूद उसके 9.90 फीसद मत पार दो सीटों पर जीत दर्ज की. लेकिन 2024के नतीजों की बात करें तो मत प्रतिशत में गिरावट के साथ ही एक भी सीट पर जीत नहीं मिली. बता दें कि 2024 में बीएसपी का वोट शेयर 9.14 फीसद है. यहां एक और दिलचस्प आंकड़े पर गौर करने वाली बात है जिन चरणों में मायावती के भतीजे आकाश आनंद ने रैली की है वहां पार्टी का प्रदर्शन बेहतर रहा है. आकाश आनंद ने कुल तीन चरणों में 26 सीटों पर सभा की. उनमें से 19 सीटों पर बीएसपी उम्मीदवार को 50 हजार से अधिक और 6 सीटों पर एक लाख से अधिक मत मिले हैं. तीसरे चरण के चुनाव के बादी ही मायावती ने उन्हें पद से हटाया और प्रचार की जिम्मेदारी ले ली. बाद के 64 सीटों पर हुए चुनाव में 24 सीट पर 50 हजार से अधिर 11 सीट पर एक लाख से अधिक वोट और शेष सीट पर निराशाजनक प्रदर्शन रहा. इसका अर्थ यह है कि मायावती के अपने वोटर्स ही शिफ्ट हो गए.

मुस्लिम समाज के वोटिंग पैटर्न पर नाराजगी
अब बात मूल प्रश्न कि मायावती ने मुसलमानों के बारे में टिकट सोच समझ कर देने की बात क्यों कही. दरअसल बीएसपी ने सर्वाधिक 35 सीटों पर मुस्लिम कैंडिडेट उतारे थे. लेकिन कोई भी उम्मीदवार जीत न सका. जानकार कहते हैं कि मुस्लिम समाज के टैक्टिकल वोटिंग की वजह से बीएसपी को खामियाजा उठाना पड़ा. मुस्लिम समाज ने उस गठबंधन को पसंद किया जिनमें बीजेपी को हराने की माद्दा थी. इसे देखते हुए इंडिया गठबंधन, बीएसपी पर भारी पड़ा और मायावती ने तल्ख अंदाज में ट्वीट किया.

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