गूगल मैप्स से पार की एलओसी: नागपुर की महिला ने पूछताछ में किया खुलासा
महिला पहले भूटान और नेपाल की यात्रा पर गई थी, जिनमें वीजा की जरूरत नहीं पड़ी। सुनीता ने इसी आधार पर यह मान लिया कि पाकिस्तान जाने के लिए भी वीजा नहीं लगेगा।;
नागपुर की रहने वाली 43 वर्षीय सुनीता जमगड़े, जो बीते महीने कारगिल के हुंडरमन गांव से नियंत्रण रेखा (LOC) पार कर पाकिस्तान पहुंच गई थीं, ने पूछताछ में खुलासा किया कि उसने गूगल मैप्स की मदद से सीमा पार की। पुलिस सूत्रों के अनुसार, सुनीता ने दावा किया कि वही लोकप्रिय नेविगेशन ऐप उसकी मार्गदर्शिका बनी और उसी के निर्देशों पर वह पाकिस्तान पहुंची।
फोन में संदिग्ध ऐप,फोरेंसिक जांच जारी
कपिल नगर पुलिस स्टेशन के निरीक्षक सतीश आड़े ने बताया कि सुनीता के मोबाइल फोन में एक संदिग्ध एप्लिकेशन पाया गया है, जिसे अब तक खोला नहीं गया है। जांचकर्ता इस एप के उद्देश्य और उससे जुड़े संभावित खतरों को लेकर सतर्क हैं। मोबाइल को फोरेंसिक जांच के लिए भेज दिया गया है और यह भी पता लगाया जा रहा है कि क्या उसमें कोई ट्रैकिंग चिप इंस्टॉल की गई थी।
मानसिक स्थिति पर संदेह
पुलिस अधिकारियों का कहना है कि पूछताछ के दौरान सुनीता की मानसिक स्थिति अस्थिर प्रतीत हो रही थी। वह कई बार पूछे गए सवालों से असंबंधित और उलझे हुए जवाब दे रही थीं।
बेटा CWC की निगरानी में, भूटान-नेपाल यात्राओं का जिक्र
सुनीता का 12 वर्षीय बेटा भी नागपुर लाया गया है और फिलहाल वह बाल कल्याण समिति (CWC) की देखरेख में है। पुलिस ने उसकी गवाही भी दर्ज की है। बच्चे के अनुसार, वे पहले भूटान और नेपाल की यात्राओं पर गए थे, जिनमें वीजा की आवश्यकता नहीं पड़ी। सुनीता ने इसी आधार पर यह मान लिया कि पाकिस्तान जाने के लिए भी वीजा नहीं लगेगा।
पहले व्यापार, फिर ज़ुल्फ़िकार से मिलने की बात; जासूसी का मामला दर्ज
पूछताछ के दौरान सुनीता ने शुरुआत में कहा कि वह पाकिस्तान व्यापारिक अवसर तलाशने गई थीं, लेकिन बाद में उसने स्वीकार किया कि उसका उद्देश्य ज़ुल्फ़िकार नामक व्यक्ति से मुलाकात करना था। अब नागपुर पुलिस ने उसके खिलाफ जासूसी के आरोप में मामला दर्ज किया है।
सोमवार को पुलिस हिरासत की अवधि समाप्त होने के बाद, सुनीता को न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया है।
क्या किसी ने LOC पार करने में मदद की?
पुलिस अब इस बात की जांच कर रही है कि क्या सुनीता को LOC पार करने में किसी स्थानीय व्यक्ति से मदद मिली थी। इसके लिए वे कारगिल पुलिस से संपर्क में हैं। साथ ही, यह भी जांच का विषय है कि पाकिस्तान में सुरक्षा एजेंसियों की हिरासत में रहते हुए सुनीता के साथ क्या व्यवहार हुआ।