सिर्फ 35 दिन में मोदी 3.O पर इतने सवाल, क्या100 दिन के एजेंडे पर लगा ग्रहण?

नरेंद्र मोदी 3.O सरकार के कार्यकाल के 35 दिन पूरे हो चुके हैं. इन 35 दिनों में सरकार ने कोई बड़े अहम फैसले तो नहीं लिए लेकिन विवादों का ग्रहण लग गया.

By :  Lalit Rai
Update: 2024-07-15 05:52 GMT

Narendra Modi 3.O Government: देश की सत्ता पर नरेंद्र मोदी एक बार फिर काबिज हैं. हालांकि इस दफा ताकत पूरी तरह से खुद के दम पर नहीं बल्कि दो बैशाखी पर है. यानी कि किसी भी बैशाखी ने कंधा छोड़ा तो सरकार का डगमगाना तय है. इन सबके बीच आपको भी याद आ रहा होगा वो बयान जब पहले चरण के चुनाव से ठीक चार दिन पहले पीएम मोदी ने अपने साक्षात्कार में कहा था कि हमने 100 दिन का एजेंडा तय कर रखा. कुछ बड़े फैसले करेंगे. पिछले दो कार्यकाल के 100 दिन तो महज ट्रेलर थे. ऐसे में आपके दिल दिमाग में यह सवाल जरूर कौंध रहा होगा कि इस कार्यकाल में मोदी सरकार ने अब तक के 35 दिन में कौन से बड़े फैसले किए हैं. अगर पिछले 35 दिन पर नजर डालें तो क्रांतिकारी फैसले की जगह ग्रहण जरूर लग चुका है.

35 दिन में बड़े फैसले तो नहीं विवादों से स्वागत
लोगों को बेसब्री से इंतजार था कि मोदी सरकार अपने पहले और दूसरे कार्यकाल की तरह तीसरी पारी में शुरुआती 100 दिनों में कुछ बड़े फैसले करेगी. वैसे तो 100 दिन अभी नहीं पूरे हुए हैं. लेकिन पिछले 35 दिनों में बड़े फैसले तो दूर बड़े ग्रहण लग गए. आप को याद होगा कि चार जून 2024 को जब आम चुनाव के लिए मतगणना का काम जारी था. ठीक उसी दिन नीट-यूजी 2024 के नतीजे घोषित किए गए. नतीजा घोषित होते ही बवाल बढ़ा. मामला अदालत की दहलीज तक जा पहुंचा. सरकार को सफाई दर सफाई देनी पड़ी. यह सिर्फ एक ग्रहण नहीं है बल्कि अग्निवीर के मुद्दे को जिस तरह से संसद में नेता प्रतिपक्ष ने उठाया उसके बाद सरकार को यह कहना पड़ा कि हम खुले दिल से बदलाव पर जरूरत के मुताबिक विचार कर रहे हैं. 

सबसे पहले आप यह समझिए कि मोदी सरकार के100 दिन में बड़े एजेंडे क्या थे

  • यूनिफॉर्म सिविल कोड
  • वन नेशन,वन इलेक्शन
  • मुस्लिम आरक्षण को खत्म करना
  • वक्फ बोर्ड को समाप्त करना
  • दिल्ली मास्टर प्लान
  • अग्निवीर स्कीम में बदलाव
  • सीएए को पूरी तरह से लागू करना
  • जनगणना क्योंकि 2026 में परिसीमन होना है
  • दुनिया की तीसरी बड़ी अर्थव्यवस्था बनाना

सरकार के सामने मुश्किल

अगर नरेंद्र मोदी सरकार के एजेंडे को देखें तो इसमें से अधिकांश ऐसे मुद्दे हैं जो उसके दो प्रमुख सहयोगी जेडीयू और टीडीपी के एजेंडे से मेल नहीं खाते. खासतौर से मुस्लिम आरक्षण, वक्फ बोर्ड को खत्म करने जैसा मुद्दा इस तरह का है कि दोनों सहयोगी दल यानी नीतीश कुमार और चंद्रबाबू नायडू तलवार खींच सकते हैं. अग्निवीर के मुद्दे पर राष्ट्रपति के अभिभाषण के दौरान एक तरफ राहुल गांधी हमलावर रहे तो दूसरी तरफ जेडीयू दबी जुबान ही सही दबाव बनाने की कोशिश करती हुई नजर आती है.

जेडीयू के नेता सधे अंदाज में कहते हैं कि जब कोई नीति बनती है तो उसमें सुधार की गुंजाइश हमेशा बनी रहती है. जहां तक सरकार की बात है तो निश्चित तौर पर हम मानते हैं कि वो युवाओं की जवभावना के मुताबिक ही फैसले लेगी. लेकिन मुस्लिम आरक्षण , वक्फ बोर्ड और सीएए को लेकर भी नीतीश कुमार और टीडीपी का रुख साफ है. यानी के दो दलों के समर्थन पर टिकी मोदी सरकार के लिए फैसले खासतौर से विवादित मुद्दों पर फैसला लेना आसान नहीं होगा.

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