कांग्रेस की खुशी क्या हार की हैट्रिक पर है, राज्यसभा में PM ने कसा तंज
राष्ट्रपति के अभिभाषण पर पीएम नरेंद्र मोदी राज्यसभा में जवाब दे रहे हैं. उन्होंने कांग्रेस से कहा कि अभी तो सिर्फ 10 साल हुए हैं 20 साल बाकी है.
Narendra Modi Speech in Rajya Sabha: राष्ट्रपति के अभिभाषण पर पीएम नरेंद्र मोदी लोकसभा के बाद राज्यसभा में जवाब दे रहे हैं. उन्होंने कांग्रेस पर तंज कसते हुए कहा कि अभी तो सिर्फ 10 साल ही हुए हैं.राष्ट्रपति महोदया के भाषण में देशवासियों के लिए प्रेरणा भी थी, प्रोत्साहन भी था और एक प्रकार से सत्य मार्ग को पुरस्कृत भी किया गया था।पिछले दो-ढाई दिन में इस चर्चा में करीब 70 माननीय सांसदों ने अपने विचार रखे हैं। इस चर्चा को समृद्ध बनाने के लिए राष्ट्रपति महोदया के अभिभाषण को व्याख्यायित करने में आप सभी माननीय सांसदों ने जो योगदान दिया है, इसके लिए मैं आप सबका भी आभार व्यक्त करता हूं।
आप लोग तो इंडिया इज इंदिरा, इंदिरा इज इंडिया का नारा देकर के जिए हो।आप संविधान को कभी जी नहीं पाए हो। कांग्रेस संविधान की सबसे बड़ी विरोधी है, उसके जेहन में है।पिछली सरकार में 10 साल क्या हुआ था। ये कैबिनेट में थे खड़गे जी, प्रधानमंत्री संवैधानिक पद है। प्रधानमंत्री के ऊपर एनएससी बैठ जाना, कौन से संविधान में से लाए थे ये पद, कौन सा संविधान अनुमति देता है आपको।वह कौन सा संविधान है, जो एक सांसद को कैबिनेट के निर्णय को फाड़ देने का हक दे देता है।हमारे देश में लिखित प्रोटोकॉल की व्यवस्था है। कोई मुझे बताए, ये कौन सा संविधान था, जो संवैधानिक पदों पर बैठे लोगों को बाद में और एक परिवार को पहले प्राथमिकता देता है।
इस बार अगर संविधान की रक्षा का चुनाव था, तो संविधान की रक्षा के लिए देशवासियों ने हमें योग्य पाया है। संविधान की रक्षा के लिए देशवासियों को हम पर भरोसा हैं और संविधान की रक्षा के लिए देशवासियों ने हमें जनादेश दिया है।क्या आप 1977 का चुनाव भूल गए? जब रेडियो-अखबार सब बंद थे। देशवासियों ने लोकतंत्र की पुनर्स्थापना के लिए वोट किया था।संविधान की रक्षा के लिए पूरे विश्व में इससे बड़ा कोई चुनाव नहीं हुआ है। भारत की रगो में लोकतंत्र किस प्रकार जीवित है, ये 1977 में देश ने दिखा दिया था। आप देश को गुमराह कर रहे हो।
इस बीच हमारे कांग्रेस के लोग भी खुशी में मग्न हैं, लेकिन मैं समझ नहीं पा रहा हूं कि इस खुशी का कारण क्या है?क्या ये खुशी हार की हैट्रिक पर है?क्या ये खुशी नर्वस 90 का शिकार होने की है? क्या ये खुशी एक और असफल लॉन्च की है?
जो घटना संदेशखाली में हुई, जिसकी तस्वीरें रोंगटे खड़े कर देने वाली हैं, लेकिन बड़े बड़े दिग्गज जिनको मैं कल से सुन रहा हूं, पीड़ा उनके शब्दों में भी नहीं झलक रही है। इससे बड़ा शर्मिंदगी का चित्र क्या हो सकता है?जो लोग खुद को प्रगतिशील नारी नेता मानते हैं, वो भी मुंह पर ताले लगाकर बैठ गए हैं। क्योंकि घटना का संबंध उनके राजनीतिक जीवन से जुड़े दल से या राज्य से है।मैं किसी राज्य के खिलाफ नहीं बोल रहा हूं और न ही कोई राजनीतिक स्कोर करने के लिए बोल रहा हूं।कुछ समय पहले, मैंने बंगाल से आई कुछ तस्वीरों को सोशल मीडिया पर देखा। एक महिला को वहां सरेआम सड़क पर पीटा जा रहा है, वो बहन चीख रही है। वहां खड़े हुए लोग उसकी मदद के लिए नहीं आ रहे है, वीडियो बना रहे हैं।
मैं तो कर्तव्य से बंधा हुआ हूं, मैं यहां डिबेट पर स्कोर करने नहीं आया हूं। मैं तो देश का सेवक हूं, देशवासियों को मेरा हिसाब देने आया हूं।देश की जनता को मेरे पल-पल का हिसाब देना, मैं अपना कर्तव्य मानता हूं।आपकी वेदना मैं समझ सकता हूं, 140 करोड़ देशवासियों ने जो निर्णय दिया है, जो जनादेश दिया है, उसे ये पचा नहीं पा रहे हैं।कल उनकी सारी हरकतें फेल हो गईं, तो आज उनका वो लड़ाई लड़ने का हौसला भी नहीं था, इसलिए वो मैदान छोड़कर भाग गए।
वैश्विक संकटों की वजह से कुछ समस्याएं उत्पन्न हुईं, लेकिन हमने 12 हजार करोड़ रुपये की सब्सिडी देकर इसका असर किसानों पर नहीं पड़ने दिया।हमने कांग्रेस के मुकाबले कहीं अधिक पैसा किसानों तक पहुंचाया। अन्न भंडारण का विश्व का सबसे बड़ा अभियान हमने हाथ में लिया और इस दिशा में काम चल पड़ा है।
आज संविधान दिवस के माध्यम से स्कूलों और कॉलेजों को संविधान की भावना को, संविधान की रचना में क्या भूमिका रही है, देश के गणमान्य महापुरुषों ने संविधान के निर्माण में किन कारणों से कुछ चीजों को छोड़ने का निर्णय किया और किन कारणों से कुछ चीजों को स्वीकार करने का निर्णय किया इसके विषय में विस्तार से चर्चा हो।एक व्यापक रूप से संविधान के प्रति आस्था का भाव जगे और संविधान के प्रति समझ विकसित हो। संविधान हमारी प्रेरणा रहे इसके लिए हम कोशिश करते रहे हैं।
मेरे जैसे अनके लोग हैं, जिनको बाबा साहेब अंबेडकर द्वारा दिए गए संविधान के कारण यहां तक आने का अवसर मिला है।जनता-जनार्दन ने मुहर लगाई और तीसरी बार भी आने का अवसर मिला। जब लोकसभा में जब हमारी सरकार की तरफ से कहा गया कि हम 26 नवंबर को संविधान दिवस के रूप में मनाएंगे तो मैं हैरान हूं कि जो आज संविधान की प्रति लेकर घूमते रहते हैं, दुनिया में लहराते रहते हैं, उन्होंने विरोध किया था कि 26 जनवरी तो है, फिर संविधान दिवस क्यों लाएं?
10 साल के बाद किसी एक सरकार की लगातार फिर से वापसी हुई है और मैं जानता हूं कि भारत के लोकतंत्र में 6 दशक बाद हुई, ये घटना असामान्य घटना है।कुछ लोग जानबूझकर इससे अपना मुंह फेर कर बैठे रहे, कुछ लोगों को समझ नहीं आया और जिनको समझ आया उन्होंने हो-हल्ला कर देश की जनता के इस महत्वपूर्ण निर्णय पर छाया करने की कोशिश की।लेकिन मैं पिछले दो दिन से देख रहा हूं कि आखिर पराजय भी स्वीकार हो रही है और दबे मन से विजय भी स्वीकार हो रही है।
नतीजे आए तब से हमारे एक साथी की ओर से (हालांकि उनकी पार्टी उनका समर्थन नहीं कर रही थी) बार-बार ढोल पीटा गया था कि एक तिहाई सरकार...इससे बड़ा सत्य क्या हो सकता है कि हमारे 10 साल हुए हैं, 20 और बाकी हैं। एक तिहाई हुआ है, दो तिहाई और बाकी है और इसलिए उनकी इस भविष्यवाणी के लिए उनके मुंह में घी शक्कर।