गांव-गांव में बचत का सर्वे, सरकार जानना चाहती है आपकी राय

भारत सरकार ने 4.8 लाख गांवों में डाकघर सेवाओं और बचत योजनाओं पर सर्वे शुरू किया है। इसका उद्देश्य ग्रामीण भारत में बचत की संस्कृति को मजबूत बनाना है।

Update: 2025-10-08 01:46 GMT
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क्या आपके गांव में या उसके पास कोई डाकघर है? क्या आपने डाकघर की बचत योजनाओं के बारे में सुना है? क्या आपके परिवार में किसी के पास ऐसी कोई योजना है? क्या आप ग्रामीण डाक जीवन बीमा या इंडिया पोस्ट पेमेंट बैंक (IPPB) के बारे में जानते हैं?  ऐसे सवाल पूछे जा रहे हैं एक नए राष्ट्रीय सर्वे में, जिसे संचार मंत्रालय ने शुरू किया है।

इस सर्वे का उद्देश्य ग्रामीण भारत में डाकघर आधारित बचत और बैंकिंग योजनाओं की पहुंच और प्रभाव का मूल्यांकन करना है, ताकि ग्रामीण परिवारों में व्यक्तिगत बचत की दर को बढ़ाया जा सके।

गिरती बचत और बढ़ता कर्ज

रेटिंग एजेंसी CareEdge Ratings की जून 2025 में जारी रिपोर्ट के अनुसार, भारतीय परिवारों की बचत सात साल के सबसे निचले स्तर पर पहुंच गई है, जबकि पिछले दस वर्षों में घरेलू कर्ज दोगुना हो चुका है। यह लगातार तीसरा साल है जब घरेलू बचत में गिरावट दर्ज की गई है।इसी पृष्ठभूमि में, सरकार अब छोटी बचत योजनाओं (Small Savings Schemes) को आक्रामक रूप से बढ़ावा देने की तैयारी में है जैसे कि किसान विकास पत्र (KVP), सार्वजनिक भविष्य निधि (PPF), राष्ट्रीय बचत प्रमाणपत्र (NSC), आवर्ती जमा, मासिक आय योजना और सावधि जमा (Term Deposit)।

पोस्ट ऑफिस ग्रामीण भारत में वित्तीय समावेशन (Financial Inclusion) की रीढ़ हैं, लेकिन इन सेवाओं के प्रति जागरूकता और संतुष्टि को लेकर सरकार के पास पर्याप्त डेटा नहीं था। इसीलिए अब यह व्यापक सर्वे लॉन्च किया गया है।

 4.8 लाख गांवों में सर्वे

डाक विभाग के सूत्रों के अनुसार, यह सर्वे देशभर के 4.8 लाख गांवों में किया जा रहा है  इस पैमाने पर यह अपनी तरह का पहला सर्वे है।पश्चिम बंगाल में ही 7,000 से अधिक गांवों के 1.43 लाख घरों को शामिल किया गया है। ग्रामीण शाखा डाकघरों में कार्यरत ग्राम डाक सेवक (Gramin Dak Sevaks) को यह जिम्मेदारी दी गई है कि वे प्रत्येक गांव में 20 परिवारों से व्यक्तिगत रूप से मुलाकात कर फॉर्म भरें और फीडबैक जुटाएं।इन फॉर्म में नाम, पता, पेशा, उम्र और परिवार की वार्षिक आय जैसी जानकारी मांगी जा रही है।

सर्वे का उद्देश्य

इस सर्वे का मुख्य मकसद यह जानना है कि ग्रामीण लोगों में डाकघर की छोटी बचत योजनाओं, डाक जीवन बीमा और इंडिया पोस्ट पेमेंट बैंक (IPPB) को लेकर कितनी जानकारी है।साथ ही, यह भी आंका जाएगा कि क्या ग्रामीण परिवारों ने इन योजनाओं में निवेश किया है, उन्हें इससे क्या लाभ मिला, और वे किन सेवाओं का नियमित उपयोग करते हैं।

ग्रामीणों से यह भी पूछा जा रहा है कि वे डाकघर और IPPB की सेवाओं को 1 से 5 के पैमाने पर रेट करें  जैसे बैंकिंग, बीमा, बिल भुगतान, मोबाइल बैंकिंग, मनी ट्रांसफर और घर-घर सेवा।

पिछला सर्वे क्यों असफल हुआ

सूत्रों के अनुसार, इससे पहले किया गया एक पायलट सर्वे कई त्रुटियों के कारण विफल रहा था।उसमें गलत मोबाइल नंबर, अधूरी जानकारी और गलत आंकड़े दर्ज किए गए थे।कई बार ग्राम डाक सेवकों ने अपनी सुविधा के अनुसार परिवार चुने, जिससे नमूना प्रतिनिधित्व (sampling) गलत हो गया।कई उत्तरदाताओं ने बिना अनुभव के ही सभी सेवाओं को "उत्कृष्ट" बताया, जिससे फीडबैक की विश्वसनीयता पर सवाल उठे।इस बार सरकार ने सटीकता सुनिश्चित करने के लिए सर्वे डेटा की क्रॉस-वेरिफिकेशन (cross-verification) की जिम्मेदारी युवा मामले मंत्रालय (Ministry of Youth Affairs) के कर्मचारियों को दी है।

 इस सर्वे से क्या बदलेगा 

यह सर्वे सरकार को यह समझने में मदद करेगा कि ग्रामीण भारत में कौन सी बचत योजनाएं सबसे लोकप्रिय हैं, किन योजनाओं तक लोगों की पहुंच नहीं है, और किन सेवाओं में सुधार की जरूरत है।

सरकार का लक्ष्य है 

ग्रामीण परिवारों में बचत की प्रवृत्ति बढ़ाना

डाकघरों को ग्रामीण वित्तीय ढांचे का केंद्र बनाना

हर गांव तक सुरक्षित व सुलभ बैंकिंग पहुंचाना

संचार मंत्रालय को उम्मीद है कि इस सर्वे से प्राप्त निष्कर्षों के आधार पर ग्रामीण भारत में ‘बचत संस्कृति’ (Savings Culture) को मजबूत किया जा सकेगा, ताकि परिवार आर्थिक रूप से अधिक सुरक्षित और आत्मनिर्भर बनें।

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