सरकार नहीं चाहती कि आप AC का तापमान 20°C से कम रखें, नए नियम जानिए

सरकार AC के तापमान के लिए जो नया नियम लागू करने वाली है वो सिर्फ घरों में नहीं, होटलों और कारों में भी लागू होगा।;

Update: 2025-06-11 07:16 GMT
नए नियमों के अनुसार हम AC को 20°C से नीचे या 28°C से ऊपर नहीं सेट कर सकेंगे

भारत सरकार एक नया नियम लाने की योजना बना रही है, जिसके तहत आप अपने एयर कंडीशनर (AC) का तापमान 20 डिग्री सेल्सियस से नीचे सेट नहीं कर सकेंगे, चाहे गर्मी कितनी भी ज्यादा क्यों न हो। अगर यह नियम लागू होता है, तो यह न केवल घरों, बल्कि होटलों और कारों में भी लागू होगा।

यह फैसला क्यों लिया जा रहा है?

ऊर्जा मंत्री मनोहर लाल खट्टर के अनुसार, यह निर्णय बिजली बचाने और भारत की बढ़ती ऊर्जा मांग को नियंत्रित करने के लिए लिया जा रहा है।

उन्होंने दिल्ली में एक कार्यक्रम में कहा, "एयर कंडीशनिंग के मानकों को लेकर एक नया प्रावधान जल्द ही लागू किया जा रहा है। AC के तापमान को 20°C से 28°C के बीच मानकीकृत किया जाएगा, यानी हम AC को 20°C से नीचे या 28°C से ऊपर नहीं सेट कर सकेंगे। यह अपने आप में एक अनोखा प्रयोग है।"



सरकार क्यों चाहती है AC तापमान में मानकीकरण?

गर्मियों के मौसम में बिजली की सबसे ज्यादा खपत होती है, और बहुत से लोग अपने AC को 16°C जैसे बेहद कम तापमान पर चलाते हैं, जिससे बिजली ग्रिड पर अत्यधिक दबाव पड़ता है।

ऊर्जा मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी पंकज अग्रवाल के हवाले से मीडिया रिपोर्ट्स में बताया गया है कि भारत में कुल बिजली खपत का लगभग एक-पांचवां हिस्सा, करीब 50 गीगावाट, केवल एयर कंडीशनरों पर खर्च होता है।

उनके हवाले से मीडिया रिपोर्ट्स में कहा गया है कि, “अध्ययन बताते हैं कि हर 1°C तापमान बढ़ाने से AC की बिजली खपत में 6% की कमी आती है। यानी अगर सभी लोग AC का तापमान सिर्फ 1 डिग्री बढ़ा दें, तो हम पीक समय में लगभग 3 गीगावाट बिजली बचा सकते हैं।”

AC की संख्या और संभावित बचत

भारत में इस समय करीब 10 करोड़ AC हैं और हर साल 1.5 करोड़ नए AC लगाए जा रहे हैं। इस संख्या को देखते हुए छोटे बदलावों से भी बड़ी बचत हो सकती है।

कैलिफोर्निया विश्वविद्यालय, बर्कले के एक अध्ययन के अनुसार, अगर AC के उपयोग को नियंत्रित किया जाए तो भारत 2035 तक 60 गीगावाट की पीक डिमांड बचा सकता है। इससे देश को लगभग 7.5 लाख करोड़ रुपये (88 अरब डॉलर) की लागत से नए पावर प्लांट और ग्रिड बनाने की जरूरत नहीं पड़ेगी।

हीटवेव और ब्लैकआउट से निपटना

गर्मी के मौसम में भारत को सबसे बड़ी चुनौती बिजली कटौती की होती है। पिछले साल बिजली की मांग 250 गीगावाट तक पहुंच गई थी, और इस साल यह 270 गीगावाट तक जाने की संभावना है। मई में भारी बारिश के कारण मांग कम रही, लेकिन जून की शुरुआत में हीटवेव के कारण फिर से खपत बढ़ गई है। सोमवार को ही मांग 241 गीगावाट तक पहुंच गई, जो इस साल की अब तक की सबसे अधिक थी।

मंत्री खट्टर ने कहा, “अगर पीक डिमांड 270 गीगावाट तक भी जाती है, तो हम उसे पूरा करने के लिए पूरी तरह तैयार हैं।” AC के तापमान को मानकीकृत करने से ग्रिड पर दबाव कम होगा और बिजली कटौती की संभावना घटेगी।

हरित ऊर्जा और बैटरी स्टोरेज को बढ़ावा

AC के लिए ऊर्जा बचत नियमों के साथ-साथ सरकार नवीकरणीय ऊर्जा (ग्रीन एनर्जी) को भी बढ़ावा दे रही है।

खट्टर ने बताया कि केंद्र सरकार 30 गीगावाट-घंटे की बैटरी स्टोरेज क्षमता के लिए कंपनियों को आमंत्रित करेगी। ये बैटरियां सौर और पवन ऊर्जा को स्टोर करने में मदद करेंगी, जिससे जीवाश्म ईंधन पर निर्भरता कम होगी।

सरकार इस परियोजना में निवेश करने वाली कंपनियों को ₹5,400 करोड़ की सब्सिडी देगी। अगले तीन महीने में इसके लिए टेंडर जारी किए जाएंगे।

Tags:    

Similar News