निठारी कांड में रिहा होगा सुरेंद्र कोली, सुप्रीम कोर्ट ने कोली को अंतिम लंबित मामले में बरी किया
निठारी हत्याकांड का खुलासा 29 दिसंबर 2006 को नोएडा में कारोबारी मोनिंदर सिंह पंढेर के घर के पीछे नाले से आठ बच्चों के कंकाल मिलने के बाद हुआ था।
सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को निठारी सीरियल किलिंग से जुड़े एक मामले — एक किशोरी के साथ बलात्कार और हत्या — में सुरेंद्र कोली की सजा को रद्द कर दिया। मुख्य न्यायाधीश बी.आर. गवई, न्यायमूर्ति सूर्यकांत और न्यायमूर्ति विक्रम नाथ की पीठ ने कोली की क्यूरेटिव याचिका स्वीकार करते हुए उसकी सजा को पलट दिया और निर्देश दिया कि यदि वह किसी अन्य मामले में वांछित नहीं है तो उसे रिहा किया जाए।
निठारी हत्याकांड का पर्दाफाश तब हुआ जब 29 दिसंबर 2006 को नोएडा स्थित व्यापारी मोनिंदर सिंह पंढेर के घर के पीछे नाले से आठ बच्चों के कंकाल बरामद हुए। कोली पंढेर के घर पर काम करता था।
पंढेर के घर के आसपास और खुदाई करने पर और भी कई कंकाल मिले। इनमें से ज्यादातर अवशेष उन गरीब बच्चों और युवतियों के थे जो आसपास के इलाके से लापता हो गई थीं।
पंढेर और कोली, दोनों को उसी महीने गिरफ्तार किया गया था। उन पर बच्चों और महिलाओं के अपहरण, बलात्कार, नरभक्षण जैसी अमानवीय गतिविधियों और शवों को नाले में फेंकने का आरोप लगा। कोली पर आरोप था कि वह लड़कियों की हत्या करने के बाद उनके शरीर के टुकड़े कर देता था और उन्हें घर के पीछे फेंक देता था।
16 अक्टूबर 2023 को इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कोली को 12 मामलों में और पंढेर को दो मामलों में बरी कर दिया था। दोनों को पहले विशेष सीबीआई अदालत, गाजियाबाद ने बलात्कार, हत्या और सबूत मिटाने के मामलों में फांसी की सजा सुनाई थी।
पंढेर पर कुल छह मामलों में आरोप लगे थे — जिनमें से तीन में ट्रायल कोर्ट और एक में हाईकोर्ट ने पहले ही उसे बरी कर दिया था। उसे अनैतिक व्यापार (रोकथाम) अधिनियम, 1956 के तहत भी दोषी ठहराया गया था और निठारी हत्याकांड से जुड़े एक अन्य मामले में भी सजा हुई थी, जिसके खिलाफ कोई अपील दायर नहीं की गई थी। हालांकि, हाईकोर्ट ने कहा कि उसने उस मामले की सजा पहले ही पूरी कर ली है।
इस साल जुलाई में सुप्रीम कोर्ट की बेंच ने सीबीआई और पीड़ित परिवारों द्वारा दायर सभी अपीलों को खारिज कर दिया था, जिन्होंने बरी किए जाने को चुनौती दी थी।
हालांकि, कोली जेल में ही रहा क्योंकि वह एक अन्य मामले में दोषी ठहराया गया था और इलाहाबाद हाईकोर्ट ने उसे उम्रकैद की सजा दी थी। यह मामला 14 वर्षीय लड़की की मौत से जुड़ा था।
विशेष सीबीआई अदालत ने इस मामले में कोली और पंढेर दोनों को दोषी ठहराया था। अपील में इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कोली की सजा बरकरार रखी और उसकी फांसी की सजा को मंजूरी दी, लेकिन पंढेर को बरी कर दिया।
इसके बाद कोली ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की, जिसे 2011 में खारिज कर दिया गया। उसकी पुनर्विचार याचिका भी सुप्रीम कोर्ट ने नामंजूर कर दी थी।
जनवरी 2015 में इलाहाबाद हाईकोर्ट ने दया याचिका के निपटारे में लंबी देरी का हवाला देते हुए कोली की फांसी की सजा को उम्रकैद में बदल दिया था।