सभापति जगदीप धनखड़ के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव खारिज, वजह भी दिलचस्प
राज्य सभा के सभापति जगदीप धनखड़ के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव खारिज हो चुका है। आखिर इसके पीछे क्या वजह रही उपसभापति ने विस्तार से बताया;
Jagdeep Dhankhar No Confidence Case: संसद का शीतकालीन सत्र आज समाप्त हो रहा है। लेकिन इस सत्र को चर्चा नहीं बल्कि हंगाना, धक्काकांड और राज्यसभा के सभापति के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव के लिए जाना जाएगा। वैसे सभापति के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव खारिज हो चुका है। लेकिन वजह बेहद दिलचस्प है। दिलचस्प इसलिए कि क्या कांग्रेस सिर्फ राजनीति कर रही थी। क्या इस सभापति जगदीप धनखड़ ( Jagdeep Dhankhar) के मुद्दे पर सिर्फ सनसनी पैदा करना था। पूरा देश इस मुद्दे पर सन्न था क्योंकि राज्यसभा के इतिहास में यह पहला मौका था जब सभापति के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाया गया हो।
बीजेपी (BJP on No Confidence Motion)ने तो कांग्रेस पर निशाना साधते हुए कि अब जब कांग्रेस के पास कोई मुद्दा नहीं बचा था तो अविश्वास प्रस्ताव का विषय लाने में गुरेज नहीं की। संविधान के जानकारों ने कहा कि कांग्रेस को यह अच्छी तरह से पता है कि नोटिस को 14 दिन पहले लाना जरूरी होता है। कांग्रेस (Congress) ने जिस दिन का चुनाव किया उसके पहले ही संसद के सत्र को खत्म होना था। यानी कि कांग्रेस सिर्फ लोकप्रियता हासिल करना चाहती थी। अब सवाल यह है कि 14 दिन वाले मसले के अलावा और क्या वजह रही जब राज्यसभा के उपसभापति हरिवंश (Rajya Sabha Deputy Speaker Harivansh) ने अविश्वास प्रस्ताव नोटिस को खारिज कर दिया।
राज्यसभा के उपसभापति ने अविश्वास प्रस्ताव ( No Confidence Motion) की नोटिस को तथ्यों से परे बताते हुए खारिज कर दिया। उन्होंने अपनी टिप्पणी में कहा कि इस नोटिस के जरिए सभापति जैसी संवैधानिक व्यवस्था और पद की गरिमा को कम करने की कोशिश की गई। कांग्रेस और दूसरे विपक्षी दलों में अनुच्छेद 67बी के तहत नोटिस दी थी। हरिवंश ने कहा कि नोटिस खामियों से भरी है। नोटिस को लापरवाह तरीके से तैयार किया गया है। मसलन नोटिस जिसके लिए लिखी गई है उसमें नाम नहीं है। उपराष्ट्रपति (Vice President Name spellings Mistakes) के नाम की स्पेलिंग में खामी है, जरूरी दस्तावेजों की कमी है। मीडिया रिपोर्ट्स के आधार पर नोटिस बनाया है। बड़ी बात यह है कि उपराष्ट्रति की छवि को धुमिल करने की कोशिश की गई है।
उपसभापति ने कहा कि 20 दिसंबर को राज्यसभा का सत्र समाप्त हो रहा है और विपक्ष उस समय नोडिस ला रहा है जो समय सीमा के दायरे से बाहर है। इसका अर्थ यह है कि सिर्फ और सिर्फ सस्ती लोकप्रियता हासिल करने के लिए यह कदम उठाया गया। अब विपक्ष को जगदीप धनखड़ (Sabhapati Jagdeep Dhankhar) से इतनी आपत्ति क्यों है। दरअसल कांग्रेस (Congress on no confidence motion) समेत दूसरे विपक्षी दलों का मानना है कि जगदीप धनखड़ पक्षपातपूर्ण रवैया अपनाते हैं। सत्ता पक्ष के लिए अलग नजरिया, विपक्ष के लिए अलग, सत्ता पक्ष के लिए कोई कानून नहीं। हम लोगों के लिए नियमों की बाध्यता। हमारा मकसद सभापति के इस तरह के निर्णयों के खिलाफ आवाज उठाना था।