संविधान में नहीं, राजनीति में अहम: नितिन नवीन के वर्किंग प्रेसिडेंट बनने की कहानी
संविधान में पद नहीं, पर सत्ता का रास्ता यहीं से नितिन नवीन को राष्ट्रीय अध्यक्ष की रेस में सबसे आगे माना जा रहा है
BJP Working President : भारतीय जनता पार्टी में नेतृत्व परिवर्तन की पटकथा अब साफ दिखने लगी है। नितिन नवीन को पार्टी का नया वर्किंग प्रेसिडेंट बनाकर बीजेपी ने संकेत दे दिया है कि अगला बड़ा चेहरा कौन हो सकता है। पार्टी इतिहास में वह इस पद पर पहुंचने वाले केवल दूसरे नेता हैं। उनसे पहले यही जिम्मेदारी मौजूदा राष्ट्रीय अध्यक्ष जगत प्रकाश नड्डा को मिली थी।
ऐसा पद, जो पार्टी संविधान में नहीं… लेकिन ताकतवर है
दिलचस्प यह है कि बीजेपी के संविधान में “वर्किंग प्रेसिडेंट” नाम का कोई पद मौजूद ही नहीं है। इसके बावजूद 2019 के बाद यह पद राष्ट्रीय अध्यक्ष बनने से पहले का सबसे अहम पड़ाव बन चुका है। पार्टी के भीतर इसे अब “ट्रेनिंग ग्राउंड” माना जाता है, जहां अगला अध्यक्ष संगठन की कमान संभालना सीखता है।
नड्डा से नितिन नवीन तक: दोहराई जा रही वही कहानी
जून 2019 में जब अमित शाह केंद्र सरकार में गृह मंत्री बने, तब जगत प्रकाश नड्डा को वर्किंग प्रेसिडेंट बनाया गया था। करीब छह महीने बाद, जनवरी 2020 में नड्डा औपचारिक रूप से बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष बने। अब ठीक वही मॉडल नितिन नवीन पर लागू होता दिख रहा है।
बीजेपी संविधान के मुताबिक, राष्ट्रीय अध्यक्ष दो कार्यकाल यानी कुल छह साल तक पद पर रह सकता है। नड्डा का कार्यकाल अब अपने अंतिम चरण में है।
खरमास और राजनीति का टाइमिंग गेम
नितिन नवीन की नियुक्ति की टाइमिंग भी अपने आप में संदेश देती है। हिंदू कैलेंडर के अनुसार, खरमास की शुरुआत होने जा रही है, जिसमें शुभ राजनीतिक फैसले टाल दिए जाते हैं। यह अवधि 14 जनवरी, मकर संक्रांति तक चलेगी।
यही वजह है कि खरमास से ठीक पहले नितिन नवीन को वर्किंग प्रेसिडेंट घोषित किया गया। सूत्रों का कहना है कि 14 जनवरी के बाद राष्ट्रीय अध्यक्ष के चुनाव की औपचारिक प्रक्रिया शुरू हो सकती है।
संगठनात्मक चुनाव लगभग पूरे, मंच तैयार
बीजेपी देश के 37 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में से 30 में संगठनात्मक चुनाव पूरा कर चुकी है। राष्ट्रीय अध्यक्ष के चुनाव के लिए यह जरूरी शर्त होती है। पार्टी नेताओं के अनुसार, अध्यक्ष का चुनाव चार दिनों के भीतर पूरा हो सकता है।
हालांकि चुनाव होगा, लेकिन बीजेपी और आरएसएस की परंपरा आम सहमति से नाम तय करने की रही है। ऐसे में नितिन नवीन का अध्यक्ष बनना लगभग तय माना जा रहा है।
नड्डा के साथ रहकर सीखेंगे सत्ता का ‘ABC’
आने वाले महीनों में नितिन नवीन, जेपी नड्डा के साथ कंधे से कंधा मिलाकर काम करेंगे। ठीक उसी तरह, जैसे नड्डा ने छह साल पहले अमित शाह के साथ रहकर संगठन चलाना सीखा था। पार्टी के अंदर इसे “लीडरशिप ट्रांजिशन का सॉफ्ट लैंडिंग मॉडल” कहा जा रहा है।
कौन हैं नितिन नवीन, जिन पर लगी है भविष्य की मुहर?
45 वर्षीय नितिन नवीन बिहार सरकार में सड़क निर्माण मंत्री हैं और पटना की बैंकिपुर सीट से पांच बार विधायक चुने जा चुके हैं। उन्होंने महज 26 साल की उम्र में पहली बार विधानसभा पहुंचकर सबका ध्यान खींचा था। यह सीट उनके पिता और बीजेपी के दिग्गज नेता नवीन किशोर सिन्हा के निधन के बाद खाली हुई थी।
कायस्थ समुदाय से आने वाले नितिन नवीन अगर राष्ट्रीय अध्यक्ष बनते हैं, तो वे बिहार से आने वाले पहले बीजेपी अध्यक्ष होंगे और पूर्वी भारत से पहला चेहरा बनेंगे। साथ ही, बीजेपी के अब तक के सबसे युवा राष्ट्रीय अध्यक्ष होंगे। इससे पहले यह रिकॉर्ड 52 साल की उम्र में अध्यक्ष बने नितिन गडकरी के नाम था।
पीएम मोदी की खुली तारीफ, बड़ा संकेत
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने नितिन नवीन की नियुक्ति पर खुलकर तारीफ की। पीएम ने कहा “नितिन नवीन एक कर्मठ कार्यकर्ता हैं। संगठन का उन्हें गहरा अनुभव है और उन्होंने विधायक व मंत्री के रूप में लोगों की अपेक्षाओं पर खरा उतरने का प्रयास किया है। उनकी कार्यशैली विनम्र और जमीन से जुड़ी हुई है।”
राजनीतिक गलियारों में इसे शीर्ष नेतृत्व का मजबूत समर्थन माना जा रहा है।
संगठन का सिपाही, सत्ता का दावेदार
नितिन नवीन पहले छत्तीसगढ़ और सिक्किम में बीजेपी के प्रभारी भी रह चुके हैं। पार्टी में उनकी पहचान एक ऐसे नेता की है, जो संगठन को प्राथमिकता देता है और विवादों से दूर रहता है। बीजेपी में यह बदलाव सिर्फ एक नियुक्ति नहीं, बल्कि आने वाले समय की दिशा का संकेत माना जा रहा है।