भारत में 2050 तक दोगुनी हो जाएगी गाड़ियों की संख्या, सड़कों पर होगा 50 करोड़ वाहनों का बोझ?

Vehicle Projection 2050: रिपोर्ट के मुताबिक, भारत में आने वाले 25 सालों में सड़कों पर गाड़ियों की संख्या बहुत तेजी से बढ़ने वाली है.;

Update: 2025-06-18 15:44 GMT

Vehicle Growth 2050: क्या आपने कभी सोचा है कि आने वाले कुछ दशकों में भारत की सड़कों का हाल कैसा होगा? बाइक, स्कूटर, कारें– चारों तरफ केवल गाड़ियां ही गाड़ियां. यही नहीं, कुछ शहर तो ऐसे होंगे, जहां हर 10 में से 7 लोग खुद की गाड़ी चला रहे होंगे. इसको लेकर एक नई रिपोर्ट चेतावनी देती है कि साल 2050 तक भारत में वाहनों की संख्या दोगुनी से भी ज्यादा हो सकती है. ऐसा हुआ तो देश में होने वाले प्रदूषण और ट्रैफिक की चुनौतियों को और गंभीर बना सकती है.

काउंसिल ऑन एनर्जी, एनवायरनमेंट एंड वॉटर (CEEW) की एक नई रिपोर्ट के मुताबिक, भारत में आने वाले 25 सालों में सड़कों पर गाड़ियों की संख्या बहुत तेजी से बढ़ने वाली है. साल 2023 में देश में करीब 22.6 करोड़ वाहन थे. लेकिन 2050 तक यह आंकड़ा 50 करोड़ तक पहुंच सकता है. इस तेजी की सबसे बड़ी वजह दोपहिया वाहन (स्कूटर-बाइक) और निजी कारों की बढ़ती संख् है. इससे देश में ईंधन की मांग, सड़कें और पार्किंग जैसी सुविधाओं की जरूरत और बढ़ जाएगी.

दोपहिया वाहन होंगे सबसे ज्यादा

रिपोर्ट के अनुसार, 2050 तक सड़कों पर 70% से ज्यादा वाहन सिर्फ स्कूटर और बाइक होंगे. इसका मतलब है कि करीब 35 करोड़ दोपहिया वाहन भारत की सड़कों पर होंगे. इसके साथ ही, निजी कारों की संख्या भी तीन गुना बढ़कर 9 करोड़ तक हो सकती है. इस बढ़ती संख्या से पहले से ही परेशान शहरों में भीड़भाड़, प्रदूषण और बुनियादी ढांचे की दिक्कतें और बढ़ जाएंगी.

उत्तर और पश्चिम भारत में सबसे ज्यादा असर

गाड़ियों की यह बढ़त पूरे देश में एक समान नहीं होगी. रिपोर्ट के मुताबिक, उत्तर प्रदेश, बिहार, महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश और गुजरात** जैसे राज्यों में सबसे ज्यादा गाड़ियां बढ़ेंगी. उत्तर प्रदेश में अकेले साल 2050 तक 9 करोड़ वाहन होने का अनुमान है.

वहीं, दक्षिण भारत में जहां जनसंख्या की बढ़त थोड़ी धीमी है, वहां वाहन वृद्धि की रफ्तार भी कम रहेगी. लेकिन दिल्ली, बेंगलूरु, पुणे, ठाणे और अहमदाबाद जैसे शहर वाहन स्वामित्व के बड़े केंद्र बने रहेंगे और इनका देश की कुल गाड़ियों में 10% तक योगदान हो सकता है.

इलेक्ट्रिक स्कूटर और तिपहिया

रिपोर्ट में बताया गया है कि आज के समय में इलेक्ट्रिक दोपहिया और तिपहिया वाहन पेट्रोल गाड़ियों की तुलना में काफी सस्ते हैं:-

- इलेक्ट्रिक स्कूटर की चलने की लागत: ₹1.48 प्रति किलोमीटर

- पेट्रोल स्कूटर की लागत: ₹2.46 प्रति किलोमीटर

- इलेक्ट्रिक तिपहिया: ₹1.28 प्रति किलोमीटर

- पेट्रोल तिपहिया: ₹3.21 प्रति किलोमीटर

कार और टैक्सी सेगमेंट में भी इलेक्ट्रिक वाहन धीरे-धीरे लोकप्रिय हो रहे हैं. जहां छोटी गाड़ियों में इलेक्ट्रिक वाहन फायदे का सौदा हैं. वहीं, बड़े वाहन जैसे ट्रक और बसें अभी भी डीजल, CNG पर ही चल रहे हैं. रिपोर्ट के अनुसार, साल 2040 तक मीडियम और हैवी गाड़ियों के लिए LNG सबसे सस्ता ईंधन रहेगा.

अगर EV तकनीक सस्ती नहीं हुई और चार्जिंग नेटवर्क मजबूत नहीं बना तो ट्रक और बसों में 2040 के बाद भी डीजल का इस्तेमाल होता रहेगा. अनुमान है कि डीजल की मांग 2047 तक सबसे ऊपर पहुंचेगी. जबकि पेट्रोल की मांग 2032 तक स्थिर हो सकती है.

Tags:    

Similar News