देशव्यापी SIR के पहले चरण की तारीखों का एलान आज होगा, 10-15 राज्यों को शामिल किया जाएगा
सूत्रों के अनुसार, देशभर में SIR चरणबद्ध रूप से आयोजित की जाएगी, जिसमें राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों को तीन मुख्य श्रेणियों में विभाजित किया गया है।
भारत का चुनाव आयोग आज (सोमवार को) देशव्यापी विशेष गहन पुनरीक्षण (Special Intensive Revision - SIR) के पहले चरण की घोषणा करेगा, जिसमें 10 से 15 राज्य और केंद्र शासित प्रदेश शामिल होंगे — जिनमें चुनावी राज्यों पश्चिम बंगाल, तमिलनाडु, केरल, असम और पुडुचेरी को प्राथमिकता दी गई है।
चुनाव आयोग के सूत्रों के अनुसार, पहले चरण में महाराष्ट्र जैसे राज्य शामिल नहीं होंगे, जहां स्थानीय निकाय चुनाव सुप्रीम कोर्ट के निर्देशानुसार 31 जनवरी 2026 तक कराए जाने हैं। इसके अलावा, बर्फ़ से ढके जम्मू-कश्मीर, हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड, सिक्किम और लद्दाख जैसे राज्य/केंद्र शासित प्रदेश भी फिलहाल इस प्रक्रिया से बाहर रखे जाएंगे। भारत में मतदाता सूची का अंतिम बार गहन पुनरीक्षण करीब दो दशक पहले किया गया था।
राजनीतिक विवाद और तमिलनाडु की प्रतिक्रिया
चुनाव आयोग की प्रेस कॉन्फ्रेंस से पहले, तमिलनाडु के मुख्यमंत्री और डीएमके प्रमुख एम. के. स्टालिन ने भाजपा पर आरोप लगाया कि वह "राज्य चुनावों से पहले मतदाता सूची से नाम हटाने की साज़िश" कर रही है — जैसा कि बिहार में हुआ था।
स्टालिन ने आरोप लगाया, “इस (SIR) ने बिहार में करीब 65 लाख मतदाताओं को उनके मताधिकार से वंचित कर दिया।”
उन्होंने पार्टी कार्यकर्ताओं को लिखे पत्र में कहा कि बिहार के विपरीत, देशव्यापी SIR की घोषणा प्रेस कॉन्फ्रेंस में की जाएगी, ताकि सभी प्रश्न और संदेह वहीं सुलझाए जा सकें। डीएमके और अन्य INDIA गठबंधन दलों ने चेतावनी दी है कि “भाजपा सरकार चुनाव आयोग को अपनी कठपुतली बनाकर तमिलनाडु में वही प्रयोग दोहराने की कोशिश कर रही है।”
स्टालिन ने कहा, “भाजपा और उसकी सहयोगी एआईएडीएमके का मानना है कि यदि श्रमिक वर्ग, अल्पसंख्यक, अनुसूचित जाति, महिलाएं और गरीब मतदाताओं के नाम SIR के ज़रिए हटा दिए जाएं, तो वे जनता का सामना किए बिना ही जीत हासिल कर लेंगे। लेकिन यह गणित तमिलनाडु में फेल हो जाएगा।”
तीन चरणों में लागू होगी देशव्यापी प्रक्रिया
बिहार के विपरीत, जहां चुनाव आयोग ने SIR को लिखित आदेश से शुरू किया था, देशव्यापी SIR की घोषणा अब एक प्रेस कॉन्फ्रेंस के माध्यम से की जाएगी।
सूत्रों के अनुसार, देशभर में SIR चरणबद्ध रूप से आयोजित की जाएगी, जिसमें राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों को तीन मुख्य श्रेणियों में विभाजित किया गया है:
1. वे राज्य/केंद्रशासित प्रदेश जो जल्द ही कठोर सर्दी और बर्फ़ की चपेट में आने वाले हैं।
2. वे क्षेत्र जहाँ अगले तीन महीनों में स्थानीय निकाय चुनाव होने वाले हैं और जहाँ मतदाता सूची Representation of the People Act के तहत तैयार की जाती है।
3. वे राज्य जहाँ पहले से 75%-80% मतदाताओं का डेटा पुरानी सूची से मिलान किया जा चुका है — और केवल शेष 20% लोगों को संविधान के अनुच्छेद 326 के तहत अपनी पात्रता सिद्ध करने वाले दस्तावेज़ जमा करने की आवश्यकता है।
दस्तावेज़ और समय-सारिणी
EC के सूत्रों के मुताबिक, पात्रता प्रमाणित करने वाले दस्तावेज़ों की सूची बिहार जैसी ही रहेगी — यह केवल संकेतात्मक होगी, न कि पूर्ण।
आधार कार्ड केवल पहचान प्रमाण के रूप में स्वीकार किया जाएगा, पात्रता के प्रमाण के रूप में नहीं।
बिहार में तीन महीने चले SIR शेड्यूल को देखते हुए, पहले चरण में नामांकन की प्रक्रिया 1 नवंबर से शुरू हो सकती है। पात्र मतदाता को नामांकन फॉर्म पर हस्ताक्षर करना होगा और जहाँ आवश्यक हो, पात्रता प्रमाण प्रस्तुत करना होगा।
दावे-आपत्तियाँ निपटाने के बाद अंतिम मतदाता सूची जनवरी के अंत या फरवरी की शुरुआत तक प्रकाशित की जाएगी।
दो दशक बाद सबसे बड़ा मतदाता पुनरीक्षण अभियान
देशव्यापी SIR की तैयारी पिछले दो महीनों से चल रही है। बिहार में SIR के लिए EC द्वारा 24 जून की अधिसूचना में इसका संकेत दिया गया था। सितंबर और अक्टूबर में दो बार सभी राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों के मुख्य निर्वाचन अधिकारियों (CEOs) की बैठकें आयोजित की गईं।
22-23 अक्तूबर को हुई हालिया CEO कॉन्फ्रेंस में EC ने सभी राज्यों की तैयारियों की समीक्षा की, खासतौर पर उनके पुराने मतदाता डेटा से मिलान (mapping) की प्रगति की जाँच की।
सूत्रों के अनुसार, बिहार के अनुभव के बाद अब राज्य अधिक तैयार हैं। EC को भरोसा है कि इस बार दोहराए गए नाम, अवैध प्रवासियों, मृत और स्थानांतरित मतदाताओं को हटाकर मतदाता सूची को अधिक स्वच्छ और त्रुटिहीन बनाया जा सकेगा।
सभी राज्य/केंद्रशासित प्रदेशों की मतदाता सूचियाँ अब डिजिटाइज्ड हैं और पिछले SIR की सूची से जोड़ी जा चुकी हैं। लगभग 50%-70% मतदाताओं का डेटा पहले ही लिंक हो चुका है।
मतदान केंद्र स्तर पर अधिकारियों को प्रशिक्षण दिया गया है, और राजनीतिक दलों से पर्याप्त बूथ लेवल एजेंट नियुक्त करने का आग्रह किया गया है।