संसद का पहला सत्र हो सकता है हंगामेदार, इन मुद्दों पर सरकार को घेर सकता है विपक्ष
विपक्ष द्वारा NEET-UG, UGC-NET विवादों और रेलवे सुरक्षा के मुद्दे पर सरकार पर दबाव बनाए जाने के कारण 18वीं लोकसभा का पहला सत्र हंगामेदार हो सकता है.
Lok Sabha First Session: विपक्ष द्वारा NEET-UG, UGC-NET विवादों और रेलवे सुरक्षा के मुद्दे पर सरकार पर दबाव बनाए जाने के कारण 18वीं लोकसभा का पहला सत्र हंगामेदार हो सकता है. विपक्षी नेताओं ने आरोप लगाया है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी में विभिन्न राजनीतिक दलों की चिंताओं पर विचार करने की क्षमता नहीं है. ऐसे में सोमवार से शुरू होने वाले पहले सत्र के हंगामेदार होने की आशंका बढ़ गई है. क्योंकि कांग्रेस केंद्र सरकार के खिलाफ गैर-एनडीए दलों का एक मुद्दा-आधारित साझा मोर्चा बनाने की कोशिश कर रही है.
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, इंडिया ब्लॉक शुरू में स्पीकर और डिप्टी स्पीकर के चयन जैसे मुद्दों पर केंद्र के साथ आम सहमति बनाने के पक्ष में था. लेकिन लोकसभा में सबसे वरिष्ठ और आठ बार के कांग्रेस सांसद कोडिक्कुन्निल सुरेश को प्रोटेम स्पीकर के रूप में न चुनने के सरकार के फैसले ने माहौल को खराब कर दिया है. गुरुवार को राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने घोषणा की कि भाजपा के सात बार के कटक सांसद भर्तृहरि महताब प्रोटेम स्पीकर के रूप में काम करेंगे. जिसकी कांग्रेस ने आलोचना की और कहा कि यह परंपरा के खिलाफ है.
कांग्रेस सांसद मनीष तिवारी ने एक मीडिया हाऊस से बातचीत में कहा कि के सुरेश के दावों को खारिज करने का फैसला सदन को चलाने के लिए आवश्यक बहुदलीयता की भावना के अनुरूप नहीं है. सरकार को यह समझने की जरूरत है कि मुख्य घटक दल के पास लोकसभा में बहुमत नहीं है. अगर उन्हें लगता है कि वे साल 2014 से 2024 तक जो कर रहे थे, वह कर सकते हैं, तो उन्हें जल्द ही पता चल जाएगा कि वे गलत हैं और यह उनके लिए जोखिम भरा होगा.
वहीं, कांग्रेस सांसद मणिकम टैगोर ने पूछा कि के सुरेश आठ बार के दलित सांसद हैं और भाजपा ने प्रोटेम स्पीकर पद के लिए भी दलित की बजाय सात बार के उच्च वर्ग के सांसद को चुना. यह क्या दर्शाता है?" कांग्रेस नेता गौरव गोगोई ने एक्स पर एक पोस्ट में आरोप लगाया कि मोदी सरकार भारत में दलित समुदाय के एक व्यक्ति को भारत के विभिन्न धर्मों, लिंग, जाति और क्षेत्रों का प्रतिनिधित्व करने वाले 543 सांसदों के शपथ ग्रहण की अध्यक्षता करते देखने के ऐतिहासिक अवसर से वंचित कर रही हैं.
गोगोई ने कहा कि उन्हें भाजपा से कुछ अलग की उम्मीद नहीं है. उन्होंने 17वीं लोकसभा के दौरान सत्ता पक्ष और विपक्ष के बीच लगातार टकराव का जिक्र किया. शीतकालीन सत्र के दौरान, संसद की सुरक्षा भंग के मुद्दे पर विरोध प्रदर्शन करने के कारण 146 विपक्षी सांसदों को निलंबित कर दिया गया, जिससे विपक्ष की बेंच लगभग खाली हो गई. मुझे नहीं लगता कि प्रधानमंत्री मोदी संसद के अंदर वैसा ही व्यवहार करेंगे, जैसा वे पिछले 10 सालों से करते आ रहे हैं. वे संसद से अनुपस्थित रहेंगे. वे संसद भवन के बाहर पहले दिन मीडिया से बात करेंगे और सवालों के जवाब देने से बचेंगे. वे सदन के अंदर इंडिया गठबंधन से कोई सवाल नहीं लेंगे, जिससे उनके जूनियर मंत्री उनकी छवि बचाने के लिए आगे आ जाएंगे. नीट-यूजी या अग्निवीर या किसी भी चीज पर कोई बयान नहीं दिया जाएगा.
गोगोई ने कहा कि मुझे नहीं लगता कि मोदी संसद में विभिन्न राजनीतिक दलों की चिंताओं का ख्याल रख पाएंगे. वे एक प्रतिध्वनि कक्ष में काम करते हैं. वे अपने मंत्रिमंडल को भी विश्वास में लेने के लिए तैयार नहीं हैं. अब कांग्रेस की सदन में ताकत 52 से बढ़कर 99 हो गई है और उसके गठबंधन सहयोगी जनादेश से "उत्साहित" हैं. स्थिति बदल गई है. वे पराजित हो चुके हैं और हम विजयी होकर संसद में प्रवेश करेंगे.
भाजपा के एक वरिष्ठ नेता ने कहा कि माहौल ऐसा है कि विपक्ष ऐसा व्यवहार कर रहा है, जैसे उसने 400 सीटें जीती हैं और हमने 240 जीती हैं और यह रवैया सदन में भी दिखाई देगा. गैर-एनडीए दलों के संपर्क सूत्रों ने कहा कि विपक्षी नेता कुछ मुद्दों पर सरकार को घेरने के लिए शिरोमणि अकाली दल (एसएडी) और आंध्र प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री जगन मोहन रेड्डी की वाईएसआर कांग्रेस पार्टी (वाईएसआरसीपी) जैसे गैर-एनडीए दलों के संपर्क में हैं. मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, कुछ पहल भी हुई है. तेलंगाना में रेवंत रेड्डी सरकार ने इस सप्ताह की शुरुआत में एक आईएएस अधिकारी का तबादला कर दिया, जिसके एक दिन बाद ही उन्होंने हैदराबाद के जुबली हिल्स इलाके में जगन के घर के बाहर फुटपाथ पर बने दो अस्थायी शेडों को गिराने की अनुमति दे दी.