Places of Worship act: धार्मिक स्थलों पर दावे के नए मामलों पर फिलहाल सुप्रीम कोर्ट की रोक
सर्वोच्च न्यायालय ने कहा कि ज्ञानवापी जैसे लंबित मुकदमों में अदालतों को सर्वेक्षण के आदेश सहित प्रभावी अंतरिम या अंतिम आदेश पारित नहीं करना चाहिए
By : Abhishek Rawat
Update: 2024-12-12 11:32 GMT
Places of Worship Act, 1991 : सुप्रीम कोर्ट ने प्लेसेस ऑफ वर्शिप (स्पेशल प्रोविज़न्स) एक्ट, 1991 से संबंधित मामलों को लेकर एक महत्वपूर्ण आदेश दिया है। शीर्ष अदालत ने साफ कर दिया है कि जब तक इस कानून को लेकर सुप्रीम कोर्ट में मामला पेंडिंग है, तब तक देश की कोई भी अदालत धार्मिक स्थलों पर दावों को लेकर नए मुकदमे स्वीकार नहीं करेगी।
आदेश के मुख्य बिंदु:
1. नए मुकदमों पर रोक:
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि देशभर की अदालतें इस कानून के तहत धार्मिक स्थलों पर दावे को लेकर कोई नया मुकदमा स्वीकार नहीं करेंगी।
2. पेंडिंग मामलों पर कार्रवाई सीमित:
सुप्रीम कोर्ट ने यह भी स्पष्ट किया कि जिन मामलों में पहले से सुनवाई चल रही है, उन मामलों में कोई अदालत प्रभावी या अंतिम आदेश जारी नहीं करेगी।
3. सर्वेक्षण पर भी रोक:
पेंडिंग मामलों के तहत अदालतें किसी भी प्रकार के सर्वेक्षण या जांच का आदेश नहीं देंगी।
प्लेसेस ऑफ वर्शिप एक्ट, 1991 क्या है?
यह कानून धार्मिक स्थलों की स्थिति को 15 अगस्त 1947 की स्थिति के अनुसार बनाए रखने के लिए बनाया गया था। इस कानून का उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि धार्मिक स्थलों को लेकर विवाद न हो और सांप्रदायिक सौहार्द्र बना रहे। अयोध्या का अपवाद: इस कानून में अयोध्या के राम जन्मभूमि-बाबरी मस्जिद विवाद को छूट दी गई थी।
यह कानून धार्मिक स्थलों की स्थिति बदलने, उनके स्वामित्व पर दावा करने या उनके स्वरूप में किसी भी प्रकार का परिवर्तन करने पर रोक लगाता है।
सुप्रीम कोर्ट का रुख क्यों अहम है?
यह आदेश धार्मिक स्थलों को लेकर हो रहे विवादों को नियंत्रित करने और सांप्रदायिक तनाव को रोकने के लिए महत्वपूर्ण है। सांप्रदायिक सौहार्द्र बनाए रखने का प्रयास: सुप्रीम कोर्ट ने अपने आदेश के जरिए यह संदेश दिया है कि किसी भी धार्मिक स्थल को लेकर भावनात्मक और संवेदनशील मुद्दों पर कानूनी प्रक्रिया का दुरुपयोग न हो।
लंबित मामलों पर स्पष्टता: शीर्ष अदालत का यह निर्देश लंबित मामलों की स्थिति को स्पष्ट करता है और उन पर किसी भी प्रकार की कार्रवाई को रोकता है।
क्या है प्लेसेस ऑफ वर्शिप एक्ट पर विवाद?
कुछ पक्षों का कहना है कि यह कानून ऐतिहासिक अन्याय को संबोधित करने से रोकता है, जबकि अन्य इसे सांप्रदायिक सौहार्द्र बनाए रखने के लिए जरूरी मानते हैं। 1991 के कानून के खिलाफ याचिकाएं सुप्रीम कोर्ट में लंबित हैं। इन याचिकाओं में तर्क दिया गया है कि यह कानून नागरिकों के धार्मिक अधिकारों को प्रभावित करता है और ऐतिहासिक तथ्यों की अनदेखी करता है।
सुप्रीम कोर्ट का यह आदेश सांप्रदायिक शांति बनाए रखने के प्रयास का हिस्सा है। हालांकि, फिलहाल यह आदेश उन लोगों के लिए चुनौतीपूर्ण हो सकता है, जो धार्मिक स्थलों पर दावे करने की तयारी में हैं। जब तक प्लेसेस ऑफ वर्शिप एक्ट, 1991 को लेकर सुप्रीम कोर्ट अंतिम फैसला नहीं देता, तब तक यह आदेश विवादों को सीमित रखने में अहम भूमिका निभाएगा।