EXPLAINED: कैसे ‘सुदर्शन चक्र मिशन’ भारत की रक्षा क्षमता को देगा नई ताकत
‘सुदर्शन चक्र मिशन’ न केवल भारत के रक्षा क्षेत्र को नई दिशा देगा, बल्कि यह दिखाता है कि भारत अब हर क्षेत्र में स्वावलंबन की ओर तेजी से बढ़ रहा है। प्रधानमंत्री मोदी की यह घोषणा एक रणनीतिक और तकनीकी नजरिए से देश की सुरक्षा नीति को सशक्त करती है।;
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 15 अगस्त को लाल किले से अपने स्वतंत्रता दिवस भाषण में भारत के पहले पूरी तरह स्वदेशी एयर डिफेंस सिस्टम ‘सुदर्शन चक्र मिशन’ के लॉन्च का ऐलान किया। यह प्रणाली भारत के सामरिक और नागरिक प्रतिष्ठानों को किसी भी दुश्मन हमले से बचाने और तत्काल जवाब देने में सक्षम होगी। यह कदम भारत की पाकिस्तान और चीन से जुड़ी सुरक्षा चिंताओं के बीच सामने आया है।
स्वदेशी रक्षा तकनीक की ओर बड़ा कदम
प्रधानमंत्री मोदी ने देश में रक्षा क्षेत्र में आत्मनिर्भरता पर ज़ोर देते हुए भारतीय नवाचारकर्ताओं से आग्रह किया कि वे स्वदेशी जेट इंजन का निर्माण करें। उन्होंने कहा कि अब भारत को विदेशी रक्षा तकनीकों पर निर्भर नहीं रहना चाहिए और अपने दम पर हाई-टेक हथियार प्रणाली विकसित करनी होगी। हालांकि पीएम मोदी ने इस नई प्रणाली की विस्तृत तकनीकी जानकारी साझा नहीं की, लेकिन रक्षा विशेषज्ञों का मानना है कि यह प्रणाली इज़राइल के ‘आयरन डोम’ की तरह हो सकती है — जो एक प्रभावी मिसाइल सुरक्षा कवच के रूप में जानी जाती है।
कृष्ण के सुदर्शन चक्र से प्रेरणा
जन्माष्टमी से एक दिन पहले दिए गए इस भाषण में मोदी ने भगवान श्रीकृष्ण के सुदर्शन चक्र से प्रेरणा की बात करते हुए कहा कि भारत अपनी सांस्कृतिक विरासत से आधुनिक रक्षा प्रणाली की प्रेरणा ले रहा है। उन्होंने कहा कि 2035 तक इस सुरक्षा कवच को मजबूत, विस्तारित और अत्याधुनिक बनाया जाएगा। यह पूरा सिस्टम भारत में ही शोध, विकास और निर्माण के जरिए तैयार किया जाएगा।
'राष्ट्र सुरक्षा कवच' के तहत होगा तैनात
प्रधानमंत्री ने कहा कि यह प्रणाली ‘राष्ट्र सुरक्षा कवच’ पहल के तहत देश के हर संवेदनशील क्षेत्र — जैसे अस्पताल, धार्मिक स्थल और अन्य रणनीतिक ठिकानों की सुरक्षा के लिए तैयार की जाएगी। उन्होंने कहा कि इसका उद्देश्य है कि हर नागरिक सुरक्षित महसूस करे।
समग्र एयर डिफेंस सिस्टम का हिस्सा
'सुदर्शन चक्र मिशन' भारत की मौजूदा Integrated Air Command and Control System (IACCS) का विस्तार करेगा। यह प्रणाली सेना, नौसेना और वायुसेना की एयर डिफेंस इकाइयों को जोड़ती है और हवाई खतरों के खिलाफ त्वरित प्रतिक्रिया देने में सक्षम है। IACCS ने हाल ही में ऑपरेशन सिंदूर के दौरान पाकिस्तान की मिसाइलों को लगभग 100 घंटों तक भारत की सीमाओं में प्रवेश करने से रोके रखा था।
साझा रक्षा परियोजना
मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, यह मिशन केवल मिसाइल रोधी रक्षा तक सीमित नहीं रहेगा, बल्कि इसमें सटीक प्रतिघात और साइबर युद्ध से निपटने की क्षमताएं भी शामिल होंगी। यह एक सहयोगी परियोजना होगी, जिसमें रक्षा अनुसंधान संगठन (DRDO), सशस्त्र बल और निजी क्षेत्र के तकनीकी स्टार्टअप्स शामिल होंगे। यह आत्मनिर्भर भारत के विजन को साकार करने की दिशा में एक अहम कदम है।
पाकिस्तान-चीन से बढ़ती टेंशन
यह घोषणा ऐसे समय में हुई है, जब पाकिस्तान के आर्मी चीफ जनरल असीम मुनीर ने भारतीय प्रतिष्ठानों पर हमले के संकेत दिए थे। साथ ही पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज़ शरीफ ने चीन की तर्ज पर रॉकेट फोर्स बनाने की घोषणा की है।
ऑपरेशन सिंदूर का उल्लेख
प्रधानमंत्री ने अपने भाषण में ऑपरेशन सिंदूर का भी ज़िक्र किया, जिसे भारतीय सेना ने 22 अप्रैल को पहलगाम आतंकी हमले के बाद अंजाम दिया था। उन्होंने इसे भारत की रक्षा में आत्मनिर्भरता का उदाहरण बताया और कहा कि स्वदेशी हथियारों ने पाकिस्तान और POK में आतंकी ठिकानों पर निर्णायक कार्यवाही संभव की।