रेलवे को मिला नया बूस्ट, मोदी कैबिनेट ने दी दो बड़े रेलवे प्रोजेक्ट्स को मंजूरी
Modi Cabinet Railway Decisions: केंद्रीय मंत्री अश्विनी वैष्णव ने बताया कि ये दोनों परियोजनाएं न सिर्फ पर्यावरण संरक्षण में मददगार होंगी, बल्कि स्थानीय लोगों को रोजगार और बेहतर आर्थिक अवसर भी प्रदान करेंगी.;
Railway Infrastructure Project 2025: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में बुधवार को हुई कैबिनेट बैठक में रेलवे इंफ्रास्ट्रक्चर को मज़बूत करने और क्षेत्रीय कनेक्टिविटी को बढ़ावा देने के लिए दो महत्वपूर्ण रेल परियोजनाओं को मंज़ूरी दी गई. इनमें झारखंड के कोडरमा–बरकाकाना डबलिंग प्रोजेक्ट और कर्नाटक–आंध्र प्रदेश के बल्लारी–चिकजाजूर डबलिंग प्रोजेक्ट शामिल हैं. इन दोनों परियोजनाओं के ज़रिए कुल 318 किलोमीटर का रेल नेटवर्क तैयार होगा, जिसकी अनुमानित लागत ₹6,405 करोड़ बताई गई है. केंद्रीय रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव ने कहा कि ये काम अगले तीन वर्षों में पूरा कर लिया जाएगा.
कोडरमा–बरकाकाना रेल लाइन डबलिंग
इस परियोजना की लंबाई 133 किलोमीटर है और इसकी मंज़ूरी ₹3,063 करोड़ की लागत पर दी गई है. यह लाइन पटना और रांची के बीच सबसे छोटा रेल मार्ग है और यात्री परिवहन व लॉजिस्टिक्स के लिए बेहद अहम मानी जा रही है. यह रूट झारखंड के कोडरमा, चतरा, हज़ारीबाग और रामगढ़ ज़िलों से होकर गुजरेगा और लगभग 938 गांवों की 15 लाख आबादी को सीधा लाभ मिलेगा. योजना के तहत 17 बड़े पुल, 180 छोटे पुल, 42 रोड ओवर ब्रिज और 13 रोड अंडर ब्रिज का निर्माण किया जाएगा.
यह रेल लाइन हर साल 30.4 मिलियन टन अतिरिक्त माल ढुलाई करने में सक्षम होगी और इससे 163 करोड़ किलोग्राम CO₂ और 32 करोड़ लीटर डीज़ल की बचत होगी — जो पर्यावरणीय रूप से 7 करोड़ पेड़ लगाने के बराबर होगी.
बल्लारी–चिकजाजूर डबलिंग
इस परियोजना की कुल लंबाई 185 किलोमीटर है और इसकी लागत ₹3,342 करोड़ अनुमानित की गई है. यह लाइन मैंगलोर पोर्ट को सिकंदराबाद से जोड़ती है और इसमें लोहा, कोकिंग कोल, स्टील, खाद, पेट्रोलियम और अनाज जैसी अहम वस्तुओं की ढुलाई होती है.
यह प्रोजेक्ट कर्नाटक के बल्लारी और चित्रदुर्ग तथा आंध्र प्रदेश के अनंतपुर ज़िले को बेहतर कनेक्टिविटी प्रदान करेगा. इस मार्ग पर कुल 19 स्टेशन, 29 बड़े पुल, 230 छोटे पुल, 21 रोड ओवर ब्रिज और 85 रोड अंडर ब्रिज बनाए जाएंगे. इस परियोजना से 470 गांवों की 13 लाख आबादी को फायदा होगा और सालाना 18.9 मिलियन टन अतिरिक्त माल ढुलाई संभव हो सकेगी. इसके अलावा 101 करोड़ किलो CO₂ और 20 करोड़ लीटर डीजल की बचत होगी— जो लगभग 4 करोड़ पेड़ लगाने के बराबर है.
पर्यावरण और आर्थिक विकास
केंद्रीय मंत्री अश्विनी वैष्णव ने बताया कि ये दोनों परियोजनाएं न सिर्फ पर्यावरण संरक्षण में मददगार होंगी, बल्कि स्थानीय लोगों को रोजगार और बेहतर आर्थिक अवसर भी प्रदान करेंगी. खासकर आदिवासी समुदायों और ग्रामीण क्षेत्रों को इसका सीधा लाभ मिलेगा.