पीएम मोदी का तमिलनाडु सरकार पर तंज, नेताओं को तमिल में हस्ताक्षर करने की दी सलाह

PM Modi: रामेश्वरम में एक सार्वजनिक भाषण के दौरान पीएम मोदी ने कहा कि केंद्र सरकार तमिल भाषा और संस्कृति को दुनिया भर में फैलाने के लिए काम कर रही है.;

Update: 2025-04-06 12:34 GMT

PM Modi dig at DMK government: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रविवार को तमिलनाडु की डीएमके-सरकार पर तंज कसते हुए कहा कि राज्य के नेताओं को कम से कम अपने नाम तमिल में हस्ताक्षर करने चाहिए. बता दें कि पीएम मोदी का यह बयान राज्य में चल रहे भाषा विवाद के बीच आया है.

रामेश्वरम में एक सार्वजनिक भाषण के दौरान पीएम मोदी ने कहा कि केंद्र सरकार तमिल भाषा और संस्कृति को दुनिया भर में फैलाने के लिए काम कर रही है. कभी-कभी मुझे हैरानी होती है जब मुझे तमिलनाडु के कुछ नेताओं से पत्र मिलते हैं, जो तमिल में साइन नहीं होते. उन्होंने कहा कि अगर हमें तमिल भाषा पर गर्व है तो मैं सभी से अनुरोध करूंगा कि कम से कम अपने नाम का साइन तमिल में करें.

इसके बाद पीएम मोदी ने तमिलनाडु सरकार से यह भी कहा कि वह राज्य में चिकित्सा पाठ्यक्रम तमिल भाषा में शुरू करे, ताकि गरीब परिवारों के बच्चे भी डॉक्टर बन सकें. पीएम मोदी ने कहा कि मैं तमिलनाडु सरकार से अनुरोध करता हूं कि तमिल में मेडिकल पाठ्यक्रम शुरू किया जाए, ताकि गरीब परिवारों के बच्चे भी डॉक्टर बनने का सपना पूरा कर सकें. उनका उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि हमारे देश के युवाओं को डॉक्टर बनने के लिए विदेश न जाना पड़े. उन्होंने कहा कि पिछले 10 वर्षों में तमिलनाडु में 11 नए चिकित्सा कॉलेज खोले गए हैं. प्रधानमंत्री का यह बयान केंद्रीय सरकार और तमिलनाडु राज्य सरकार के बीच राष्ट्रीय शिक्षा नीति (NEP) को लेकर चल रहे विवाद के बीच आया है.

बता दें कि तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एमके स्टालिन ने केंद्र सरकार पर हिंदी थोपने का आरोप लगाया है और NEP के तहत तीन-भाषा फॉर्मूला को लागू करने से इनकार किया है. NEP पर विवाद इस बात को लेकर है कि इसमें तीन भाषाओं का फॉर्मूला है, जिसके कारण तमिलनाडु को डर है कि हिंदी को राज्य में मजबूरी से लागू किया जा सकता है. स्टालिन का कहना है कि यह नीति हिंदी को बढ़ावा देती है, जिससे राज्य की भाषाई पहचान पर असर पड़ सकता है. हालांकि, केंद्र सरकार का कहना है कि NEP बहुभाषावाद को बढ़ावा देती है और राज्य अपनी पसंदीदा भाषा का चुनाव कर सकते हैं.

यह विवाद तब और बढ़ा जब केंद्र सरकार ने तमिलनाडु की समग्र शिक्षा योजना के लिए 2,152 करोड़ रुपये की राशि रोक दी. क्योंकि राज्य ने NEP को लागू करने से मना कर दिया था. तमिलनाडु ने पहले भी तीन-भाषा फॉर्मूला का विरोध किया है. क्योंकि उसे लगता है कि यह हिंदी को बढ़ावा देने के लिए है. जबकि केंद्र सरकार का कहना है कि यह नीति छात्रों को विभिन्न क्षेत्रों में नौकरी के अवसरों तक पहुंच बनाने में मदद करेगी.

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