क्या न्यायपालिका तय करेगी देशप्रेम की परिभाषा? प्रियंका ने उठाए सवाल
राहुल गांधी की सेना पर टिप्पणी पर कोर्ट की फटकार के बाद प्रियंका गांधी ने जवाब दिया—जज तय नहीं कर सकते कि कौन सच्चा भारतीय है या देशभक्त।;
सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को कांग्रेस नेता और लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी पर एक अहम टिप्पणी करते हुए उनसे पूछा कि आपको कैसे पता चला कि चीन ने 2000 वर्ग किलोमीटर तक भारत की जमीन हड़प ली है? अगर आप सच्चे भारतीय होते तो ऐसा नहीं कहते। यह टिप्पणी कोर्ट ने सेना पर राहुल गांधी की कथित टिप्पणी से जुड़े मानहानि मामले की सुनवाई के दौरान की।
अब इस पर राहुल गांधी की बहन और कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा ने जवाब दिया है। उन्होंने सुप्रीम कोर्ट के बयान पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि माननीय न्यायाधीशों के प्रति सम्मान रखते हुए मैं यह कहना चाहती हूं कि यह तय करना कि कौन सच्चा भारतीय है और कौन नहीं, न्यायपालिका के अधिकार क्षेत्र में नहीं आता। जज यह तय नहीं कर सकते कि कोई कितना देशभक्त है।
प्रियंका गांधी ने अपने भाई राहुल के बारे में बात करते हुए कहा कि राहुल गांधी के दिल में सेना के लिए बेहद सम्मान है। वह कभी भी सेना के खिलाफ नहीं बोल सकते। उनके बयान को तोड़-मरोड़ कर गलत तरीके से पेश किया गया है।
क्या है मामला?
यह विवाद राहुल गांधी की 2023 में ‘भारत जोड़ो यात्रा’ के दौरान दिए गए एक बयान से जुड़ा है। उन्होंने दावा किया था कि एक पूर्व सेना अधिकारी ने उन्हें बताया कि चीन ने 2,000 वर्ग किलोमीटर भारतीय क्षेत्र पर कब्जा कर लिया है। इस बयान को लेकर राजनीतिक हलकों में काफी विवाद हुआ और राहुल गांधी के खिलाफ मानहानि का मुकदमा दर्ज कराया गया।
इस मामले में निचली अदालत ने राहुल गांधी को समन जारी किया, जिसे उन्होंने सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी। उन्होंने मानहानि मामले को रद्द करने की मांग करते हुए याचिका दाखिल की थी।
सुप्रीम कोर्ट की कार्यवाही
सोमवार को सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई के दौरान न सिर्फ राहुल गांधी को फटकार लगाई, बल्कि उनकी याचिका पर उत्तर प्रदेश सरकार और शिकायतकर्ता को नोटिस जारी किया। साथ ही, निचली अदालत में चल रही मानहानि की कार्यवाही पर फिलहाल रोक लगा दी गई है और तीन हफ्ते में अगली सुनवाई तय की गई है।
यह मामला अब सिर्फ एक बयान तक सीमित नहीं रहा, बल्कि इससे न्यायपालिका, अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता और राष्ट्रवाद की परिभाषा जैसे बड़े सवाल भी खड़े हो गए हैं। क्या किसी नेता का आलोचनात्मक बयान देशभक्ति पर सवाल खड़ा करता है? और क्या न्यायपालिका को यह अधिकार है कि वह यह तय करे कि कौन सच्चा भारतीय है?