पंजाब में हिंसा को खालिस्तान आंदोलन से जोड़ना ठीक नहीं, इनसाइड स्टोरी
Punjab Violence: पंजाब में पिछले महीने पुलिस स्टेशनों को निशाना बनाकर किए गए आठ ग्रेनेड हमले शामिल हैं, इससे खालिस्तान आंदोलन के फिर से उभरने की आशंका बढ़ गई है।;
Khalistan Movement: द फेडरल के साथ एक विशेष साक्षात्कार में, इंस्टीट्यूट फॉर कॉन्फ्लिक्ट मैनेजमेंट और साउथ एशिया टेररिज्म पोर्टल के कार्यकारी निदेशक डॉ. अजय साहनी ने पंजाब में हाल ही में हुई हिंसा में वृद्धि का विश्लेषण किया। उन्होंने खालिस्तान आंदोलन (Khalistan Movement in Punjab) के फिर से उभरने की आशंकाओं को खारिज करते हुए इन घटनाओं को सामूहिक वैचारिक लामबंदी के बजाय संगठित अपराध और बाहरी साजिशों से जोड़ा। ग्रेनेड विस्फोटों और लक्षित हत्याओं के बीच, डॉ. साहनी ने पंजाब में गिरोहों, विदेशी संचालकों और सामाजिक-राजनीतिक गतिशीलता के बीच परस्पर क्रिया पर प्रकाश डाला।
पंजाब में हिंसा: संगठित गिरोह या खालिस्तान विचारधारा?
पंजाब में हाल ही में हुई घटनाओं, जिसमें पिछले महीने पुलिस स्टेशनों को निशाना बनाकर किए गए आठ ग्रेनेड हमले शामिल हैं, ने चिंता बढ़ा दी है। जबकि कुछ लोग खालिस्तान के फिर से उभरने की अटकलें लगा रहे हैं, डॉ. साहनी स्पष्ट करते हैं ये विचारधारा से प्रेरित कैडर नहीं हैं। ज़्यादातर नशे के आदी, निचले स्तर के गिरोह के सदस्य या पैसे की तलाश में रहने वाले गरीब व्यक्ति हैं। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि ये कृत्य विदेशी तत्वों द्वारा वित्तपोषित आपराधिक नेटवर्क द्वारा समन्वित किए जाते हैं, लेकिन जमीनी स्तर पर अंजाम देने वालों का खालिस्तानी विचारधारा से कोई वास्तविक संबंध नहीं है।
संगठित अपराध; विदेशी संचालकों की भूमिका
डॉ. साहनी के अनुसार, ऐसी गतिविधियों की योजना और वित्तपोषण विदेशों में संचालित हैंडलरों के व्यापक नेटवर्क से होता है, जिसमें कनाडा, यूके, जर्मनी और पाकिस्तान शामिल हैं। उन्होंने बताया कि साजिश अंतरराष्ट्रीय स्तर पर आयोजित की जाती है, लेकिन इसे अंजाम देने का काम भारत के निचले स्तर के गैंगस्टर करते हैं। सीमा पार (Cross Border Terrorism) से अक्सर ड्रोन के ज़रिए AK-सीरीज़ की राइफलों और ग्लॉक पिस्तौलों सहित हथियारों की आमद खुफिया एजेंसियों के सामने चुनौती को उजागर करती है।
क्या पंजाब खालिस्तान की बात कर रहा है?
डॉ. साहनी ने पंजाब में खालिस्तान के लिए बड़े पैमाने पर समर्थन के दावों को भी खारिज किया। उन्होंने व्यापक वैचारिक लामबंदी की कमी का हवाला देते हुए कहा, "बहुत कम लोग खालिस्तान के लिए हथियार उठाने की बात करते हैं। उन्होंने बताया कि अमृतपाल सिंह (Amritpal Singh) की संक्षिप्त प्रसिद्धि जैसी घटनाएं वास्तविक जमीनी स्तर के आंदोलनों की तुलना में अवसरवादी राजनीतिक तत्वों और राज्य एजेंसियों की देन हैं। उन्होंने कहा, "जब अमृतपाल को गिरफ्तार किया गया, तो कोई विद्रोह नहीं हुआ - केवल हंसी और उपहास हुआ।
'किसानों के विरोध प्रदर्शन और खालिस्तान का आपस में कोई संबंध नहीं'
विशेषज्ञ ने किसानों के विरोध प्रदर्शन (Farmers Protest) को खालिस्तान आंदोलन से जोड़ने वाले दावों को सरासर झूठ बताया। उन्होंने कहा, "किसान संघ, जो कि मुख्य रूप से वामपंथी हैं, ऐतिहासिक रूप से खालिस्तानियों से लड़ते रहे हैं, यहां तक कि उनके खिलाफ हथियार भी उठाते रहे हैं। डॉ. साहनी ने कहा कि खालिस्तानी तत्वों से जोड़कर किसानों के आंदोलन को बदनाम करने की कोशिशें राजनीति से प्रेरित हैं। उन्होंने जोर देकर कहा कि दोनों आंदोलनों के बीच कोई संबंध नहीं है।
पंजाब का जटिल राजनीतिक परिदृश्य
पंजाब का अस्थिर राजनीतिक परिदृश्य स्थिति को और जटिल बनाता है। डॉ. साहनी ने विभिन्न दलों द्वारा विभाजनकारी बयानबाजी और धार्मिक और राजनीतिक भावनाओं के शोषण की आलोचना की। आम आदमी पार्टी (Aam Aadmi Party) ने भारी बहुमत हासिल करने के बावजूद उम्मीदों पर खरी न उतरने के कारण बढ़ते असंतोष का सामना किया है। डॉ. साहनी ने बताया, "पारंपरिक दलों के प्रति लोगों की निराशा अक्सर तथाकथित खालिस्तानी उम्मीदवारों के लिए वोट के रूप में प्रकट होती है, लेकिन यह अलगाववाद के समर्थन से कहीं अधिक मुख्यधारा की राजनीति पर तमाचा है।"
कानून प्रवर्तन, सीमा सुरक्षा के लिए चुनौतियां
पंजाब में हथियार और ड्रग्स का आना जारी है, जिससे कानून लागू करने के प्रयास और भी जटिल होते जा रहे हैं। डॉ. साहनी ने कहा, "ड्रोन से रोजाना हथियार गिरते हैं और पिछले संघर्षों से हथियारों का जखीरा पूरे राज्य में छिपा हुआ है। हालांकि पुलिस (Punjab Police) और खुफिया एजेंसियों ने अपनी पता लगाने की क्षमताओं में सुधार किया है, लेकिन हथियारों का आना एक बड़ी चुनौती बनी हुई है। उन्होंने कहा, "दुनिया में कहीं भी, हिंसा करने के इच्छुक अपराधियों को हथियार मिल ही जाएंगे।"
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