क्या सचमुच है 'वोटर डिलीशन स्कैम'? विशेषज्ञ ने बताया सच और झूठ

राहुल गांधी ने चुनाव आयोग पर मतदाता सूची घोटाले का आरोप लगाया है। कांग्रेस का दावा है कि सॉफ्टवेयर से कांग्रेस गढ़ों के वोटर हटाए जा रहे हैं।

By :  Neelu Vyas
Update: 2025-09-19 01:22 GMT
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दिल्ली में एक हाई-प्रोफाइल प्रेस कॉन्फ्रेंस में कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने चुनाव आयोग (EC) पर गंभीर आरोप लगाया। राहुल ने दावा किया कि देशभर में कांग्रेस के गढ़ माने जाने वाले इलाकों में मतदाताओं के नाम जानबूझकर हटाए जा रहे हैं। उन्होंने इस पूरे ऑपरेशन को “सेंट्रली कोऑर्डिनेटेड वोटर डिलीशन स्कैम” बताया और कहा कि इसके पीछे सॉफ्टवेयर-आधारित सिस्टम काम कर रहा है।

राहुल ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा कि उनकी पार्टी जल्द ही इस मामले में हाइड्रोजन बम जैसे सबूत सामने लाएगी। यह राहुल की लगातार दूसरी विस्फोटक प्रेस कॉन्फ्रेंस थी, जिसमें उन्होंने चुनावी प्रक्रिया में “वोट चोरी” के संगठित प्रयासों का आरोप लगाया।

कांग्रेस गढ़ों में वोटरों की हटाई जा रही लिस्ट

राहुल ने कर्नाटक की आलंद विधानसभा सीट का उदाहरण दिया और कहा कि वहाँ कम से कम 6,018 वोटर डिलीट किए गए। उन्होंने एक महिला ‘गोदाबाई’ का केस पेश किया, जिनके नाम और पहचान का इस्तेमाल कर फर्जी लॉगिन बनाए गए और उनकी जानकारी के बिना 12 वोटरों के नाम हटा दिए गए।


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इसी तरह महाराष्ट्र की राजोरा सीट में राहुल ने उलटा ट्रेंड दिखाया – वहाँ 6,850 नए नाम मतदाता सूची में जोड़े गए। उनका आरोप था कि यह सब योजनाबद्ध तरीके से कांग्रेस को नुकसान पहुँचाने के लिए किया जा रहा है।

फर्जी लॉगिन और संदिग्ध मोबाइल नंबर

दूसरा बड़ा आरोप राहुल ने फर्जी लॉगिन और संदिग्ध मोबाइल नंबरों के इस्तेमाल पर लगाया। एक केस में ‘सुरिका’ नामक शख्स ने महज़ 14 मिनट में 12 वोटरों को डिलीट किया।वहीं ‘नागराज’ नामक व्यक्ति ने रात 4:07 बजे सिर्फ 38 सेकंड में दो डिलीशन फॉर्म सबमिट कर दिए। राहुल ने कहा, “यह इंसानी तौर पर संभव ही नहीं। राहुल ने सुरिका और एक डिलीट की गई वोटर बबीता चौधरी को मंच पर बुलाकर सबूत पेश किया।

कर्नाटक CID की चिट्ठियां और EC की चुप्पी

राहुल ने खुलासा किया कि कर्नाटक CID ने पिछले 18 महीनों में चुनाव आयोग को 18 चिट्ठियां लिखीं। इनमें आईपी एड्रेस, डिवाइस पोर्ट और ओटीपी ट्रेल जैसी तकनीकी जानकारी माँगी गई थी। लेकिन EC ने कोई जवाब नहीं दिया। राहुल ने सीधे मुख्य चुनाव आयुक्त ज्ञानेश कुमार पर आरोप लगाया कि वे घोटाले को ढक रहे हैं।

तकनीकी विशेषज्ञ की राय मानवीय नहीं, सेंट्रलाइज्ड ऑपरेशन

बराक ओबामा प्रशासन में तकनीकी सलाहकार रहे माधव अरविंद देशपांडे ने कहा कि चुनाव आयोग के सर्वर सुरक्षित हैं और हर लॉगिन, IP और OTP का रिकॉर्ड रखते हैं। यदि यह डेटा जाँच एजेंसियों को मिले तो पता चल सकता है कि हेराफेरी कहां हुई। देशपांडे ने माना कि सार्वजनिक लोग डिलीशन नहीं कर सकते, केवल अधिकृत अधिकारी (ERO) ऐसा कर सकते हैं।यदि उनकी लॉगिन जानकारी चोरी या साझा की गई हो, तभी यह गड़बड़ी संभव है।

उन्होंने इसे ब्रीच ऑफ ट्रस्ट बताया और कहा कि कुछ सेकंडों में वोटर डिलीशन होना तकनीकी रूप से संभव नहीं जब तक कि ऑटोमेशन या सेंट्रलाइज्ड टूल का इस्तेमाल न हो।

पारदर्शिता और जवाबदेही पर सवाल

देशपांडे ने कहा कि यह मामला हैकिंग से ज़्यादा अधिकृत एक्सेस के दुरुपयोग का है। उन्होंने चुनाव आयोग की पारदर्शिता पर सवाल उठाते हुए कहा कि आरोपों को फेक बताकर खारिज करना गैर-जिम्मेदाराना है। पूर्व मुख्य चुनाव आयुक्तों ओपी रावत और एसवाई कुरैशी ने भी कहा है कि आयोग को इसकी जाँच के लिए स्वतंत्र समिति बनानी चाहिए।

लोकतंत्र पर खतरे की आहट

राहुल के आरोपों और सबूतों ने चुनाव आयोग की विश्वसनीयता पर बड़ा सवाल खड़ा कर दिया है। नागरिक समाज संगठन Vote for Democracy पहले से मतदाता सूची में हेरफेर के आरोप लगाते रहे हैं, लेकिन किसी राष्ट्रीय पार्टी ने पहली बार इतने विस्तार से मामला उठाया है।देशपांडे ने चेतावनी दी कि यदि यह संगठित साजिश साबित होती है तो यह राष्ट्रविरोधी कृत्य होगा, जो भारतीय लोकतंत्र की नींव को हिला सकता है।

अब सबकी नज़र चुनाव आयोग पर है कि वह आरोपों को मानकर स्वतंत्र जांच करवाता है या फिर महज़ खंडन तक सीमित रहता है। आने वाले दिनों में यही तय करेगा कि भारत के चुनावी तंत्र की विश्वसनीयता कितनी बची रहती है।

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