'यह निजी नहीं बल्कि देश का मामला है', अडानी मुद्दे पर पीएम मोदी के जवाब पर राहुल का हमला
पिछले साल अमेरिकी न्याय विभाग ने अडानी पर सौर ऊर्जा अनुबंधों के लिए अनुकूल शर्तों के बदले भारतीय अधिकारियों को लगभग 2,100 करोड़ रुपये की रिश्वत देने की योजना का हिस्सा होने का आरोप लगाया था.;
Rahul Gandhi criticised PM Modi: कांग्रेस सांसद राहुल गांधी ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा अडानी समूह विवाद को लेकर अमेरिकी प्रेस को दिए गए जवाब की आलोचना करते हुए हमला बोला. उन्होंने कहा कि यह "व्यक्तिगत मामला" नहीं है बल्कि यह देश से संबंधित मामला है.
दरअसल, अमेरिकी दौरे के दौरान एक प्रेस कांफ्रेंस में अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के साथ प्रधानमंत्री मोदी से अडानी समूह पर अमेरिकी सरकार की ओर से लगाए गए रिश्वतखोरी के आरोपों पर सवाल पूछा गया था. इस पर प्रधानमंत्री मोदी ने कहा था कि भारत एक लोकतांत्रिक देश है और हमारी संस्कृति 'वसुधैव कुटुम्बकम' में विश्वास रखती है. जब दो वैश्विक नेता मिलते हैं तो वे ऐसे व्यक्तिगत मुद्दों पर चर्चा नहीं करते.
वहीं, अब राहुल गांधी ने प्रधानमंत्री के इस जवाब पर सवाल उठाते हुए कहा कि भ्रष्टाचार से जुड़ा यह मामला भारत की छवि और आर्थिक नीतियों से जुड़ा है. इसे निजी बताकर नजरअंदाज नहीं किया जा सकता है. उन्होंने आरोप लगाया कि प्रधानमंत्री मोदी ने अमेरिकी प्रेस को बताया कि उद्योगपति गौतम अडानी उनके दोस्त हैं और वह ट्रंप से इस बारे में कुछ नहीं पूछेंगे.
राहुल का आरोप
राहुल गांधी ने आरोप लगाया कि अडानी के खिलाफ अमेरिका में "भ्रष्टाचार और चोरी" का मामला लंबित है और हमारे पीएम कहते हैं कि यह एक व्यक्तिगत मामला है और हम इस पर चर्चा नहीं करते! अगर वह सच में भारत के प्रधानमंत्री होते तो वह ट्रंप से इस मामले के बारे में पूछते और कहते कि वह इसकी जांच करवाएंगे और अगर जरूरत पड़ी तो अडानी को (अमेरिका) भेजकर जांच करवाई जाएगी. लेकिन नहीं, उन्होंने कहा कि यह व्यक्तिगत मामला है.
अमेरिकी सुरक्षा आयोग की जांच
14 फरवरी को पीएम मोदी ने कहा था कि उन्होंने अमेरिकी सरकार द्वारा लगाए गए रिश्वतखोरी के आरोपों के बारे में अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप से कोई बात नहीं की. जो उन्होंने उद्योगपति गौतम अडानी और उनके प्रमुख सहयोगियों के खिलाफ न्यूयॉर्क कोर्ट में लगाए थे.
अमेरिकी न्याय विभाग के आरोप
पिछले साल पूर्व राष्ट्रपति जो बाइडेन के तहत अमेरिकी न्याय विभाग ने अडानी के खिलाफ आरोप लगाया था कि वह एक ऐसे घोटाले का हिस्सा थे, जिसमें भारतीय अधिकारियों को सोलर पावर कॉन्ट्रैक्ट्स के लिए अनुकूल शर्तों के बदले 250 मिलियन डॉलर (लगभग ₹2,100 करोड़) की रिश्वत दी गई थी. इस घोटाले को अमेरिकी बैंकों और निवेशकों से छिपाया गया था, जिनसे अडान समूह ने इस परियोजना के लिए अरबों डॉलर जुटाए थे. अभियोजकों ने पिछले साल अमेरिकी FCPA कानून का हवाला देते हुए यह आरोप लगाए थे. जो विदेशी भ्रष्टाचार के आरोपों की जांच करने की अनुमति देता है अगर वे अमेरिकी निवेशकों या बाजारों से जुड़े होते हैं. हालांकि, अडानी समूह ने इन आरोपों को बेमानी और निराधार बताया था.