19 दिसंबर की तारीख राहुल गांधी के लिए बेहद खास, आखिर क्या है मामला

दोहरी नागरिकता के आरोप के सिद्ध होने पर न केवल राहुल को अयोग्य ठहराया जा सकता है। बल्कि चुनाव आयोग को गुमराह करने और धोखाधड़ी का आपराधिक केस भी चलाया जा सकता है।

Update: 2024-11-28 02:20 GMT

Rahul Gandhi Dual Citizenship: कांग्रेस नेता राहुल गांधी का राजनीतिक भविष्य खतरे में है, क्योंकि उन पर दोहरी नागरिकता के आरोप एक बार फिर अदालतों में सामने आए हैं। इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने भाजपा नेता और अधिवक्ता विजय शिशिर द्वारा दायर याचिका की जांच के लिए 19 दिसंबर को सुनवाई निर्धारित की है, जिसमें आरोप लगाया गया है कि राहुल के पास भारतीय और ब्रिटिश दोनों नागरिकताएं हैं।कांग्रेस नेता के लिए एक उथल-पुथल भरे साल के बाद यह मामला सामने आया है, अगर आरोप सही साबित होते हैं तो इससे उनके राजनीतिक करियर पर गंभीर असर पड़ सकता है। लोकसभा में राहुल की सदस्यता और विपक्ष के नेता के रूप में उनकी स्थिति दांव पर है। द फेडरल के वरिष्ठ राजनीतिक पत्रकार पुनीत निकोलस यादव ने यूट्यूब पर पॉलिटिकल प्रिज्म के नवीनतम एपिसोड में इस मुद्दे पर चर्चा की।

आरोप

याचिकाकर्ता का दावा है कि राहुल ने कथित तौर पर ब्रिटिश नागरिकता धारण करके भारतीय कानूनों का उल्लंघन किया है। जनप्रतिनिधित्व अधिनियम और भारतीय संविधान दोहरी नागरिकता वाले व्यक्तियों को चुनाव लड़ने या सार्वजनिक पद धारण करने से रोकता है। याचिका में केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) से इस बात की जांच कराने की भी मांग की गई है कि गांधी को चुनाव लड़ने की अनुमति कैसे दी गई और क्या उन्होंने चुनाव आयोग और यूके अधिकारियों को जाली दस्तावेज प्रस्तुत किए थे।

ये आरोप गांधी से जुड़े एक कारोबारी उपक्रम के संबंध में ब्रिटेन के अधिकारियों को कथित तौर पर सौंपे गए दस्तावेजों से निकले हैं। इन दस्तावेजों में कथित तौर पर उन्हें ब्रिटिश नागरिक बताया गया है।

सरकार की प्रतिक्रिया और कानूनी घटनाक्रम

केंद्रीय गृह मंत्रालय, जिसे गांधी की नागरिकता के बारे में सबूत देने का निर्देश दिया गया है, ने अदालत को बताया कि वह वर्तमान में मामले की जांच कर रहा है। मंत्रालय द्वारा 19 दिसंबर की सुनवाई के दौरान अपने निष्कर्ष प्रस्तुत करने की उम्मीद है।याचिकाकर्ता ने दावा किया है कि उसके पास ब्रिटेन से आंशिक दस्तावेज हैं, लेकिन उसने भारत सरकार से आधिकारिक माध्यमों से आगे के साक्ष्य प्राप्त करने का आग्रह किया है।

कांग्रेस की प्रतिक्रिया

कांग्रेस ने अभी तक कोई आधिकारिक बयान जारी नहीं किया है। हालांकि, पार्टी सूत्रों का कहना है कि कथित दस्तावेजों में गांधी को ब्रिटिश नागरिक के रूप में उल्लेख करना एक लिपिकीय त्रुटि थी और अब इसे सुधार लिया गया है।कांग्रेस के एक सूत्र ने कहा, "राहुल गांधी को निशाना बनाने और वास्तविक मुद्दों से ध्यान भटकाने की यह पुरानी रणनीति है।" वहीं, पार्टी स्पष्ट रुख अपनाने के लिए अदालती कार्यवाही का इंतजार कर रही है।

राहुल और कांग्रेस के लिए बड़ा दांव

मौजूदा मामला पहले के मानहानि मुकदमे की याद दिलाता है, जिसमें राहुल को संसद से कुछ समय के लिए अयोग्य ठहराया गया था, लेकिन उसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने उनकी सजा पर रोक लगा दी थी। हालांकि, कानूनी विशेषज्ञों का सुझाव है कि इस बार दांव बहुत बड़ा है।एक कानूनी विशेषज्ञ ने कहा, "यदि दोहरी नागरिकता के आरोप साबित हो जाते हैं, तो इससे न केवल गांधी को अयोग्य ठहराया जा सकता है, बल्कि चुनाव आयोग और मतदाताओं को गुमराह करने के लिए धोखाधड़ी के आपराधिक आरोप भी लग सकते हैं।"

हाल ही में हुए चुनावों में मिली जीत के बाद अपनी स्थिति को फिर से मजबूत करने की कोशिश कर रही कांग्रेस के लिए संभावित नतीजे विनाशकारी हो सकते हैं। भाजपा नेताओं ने संकेत दिया है कि वे कांग्रेस की विश्वसनीयता पर सवाल उठाने के लिए गांधी के खिलाफ किसी भी सबूत का इस्तेमाल करेंगे।

आगे क्या छिपा है?

अगर आरोप सही साबित होते हैं, तो गांधी के राजनीतिक करियर को अपूरणीय क्षति हो सकती है। दूसरी ओर, अगर गृह मंत्रालय या ब्रिटेन के अधिकारियों को इन दावों का कोई आधार नहीं मिलता है, तो कांग्रेस पलटवार करते हुए भाजपा पर बदनामी का अभियान चलाने का आरोप लगा सकती है।अब सभी की निगाहें 19 दिसंबर की सुनवाई पर टिकी हैं, जहां केंद्रीय गृह मंत्रालय की दलीलें इस विवादास्पद मामले की दिशा तय कर सकती हैं।

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