अब गाली गोली नहीं लगती है गुड़, राहुल गांधी का बदला अंदाज

लोकसभा में जातिगत जनगणना कराए जाने के मुद्दे पर अनुराग ठाकुर ने राहुल गांधी की जाति पूछी थी

By :  Lalit Rai
Update: 2024-07-31 05:08 GMT

Rahul Gandhi on Caste Remarks: मंगलवार को केंद्रीय मंत्री अनुराग ठाकुर ने संसद में राहुल गांधी पर टिप्पणी करते हुए कहा था कि जिसकी जाति का पता नहीं वो बड़ी बड़ी बात करते हैं. जाहिर सी बात थी कि कांग्रेस के सांसद हंगामा करते। उन्होंने किया भी। हालांकि इन सबके बीच समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव भी अपनी सीट से उठे और कहा आप ने जाति कैसे पूछ ली। आप जाति कैसे पूछ सकते हैं। यह कहते कहते वो आप से तुम पर आ गए। लेकिन राहुल गांधी ने क्या कुछ कहा उसे भी जानिए।

राहुल गांधी ने क्या कहा था

राहुल गांधी ने कहा कि अनुराग ठाकुर ने जो कहा वो उनकी संस्कृति है। वो कुछ भी नहीं कहेंगे। वो माफी के लिए भी नहीं कहेंगे। उन्हें उनकी गाली खराब नहीं लगती है। ये तो इतिहास है जो लोग गरीब वंचितों और पिछड़ों की बात करते हैं उन्हें गाली ही सुनने को मिलती है। लेकिन वो गाली को बुरा नहीं मानते। वो सजों कर रहेंगे और समाज के उस वर्ग के लिए काम करते रहेंगे जो सदियों से पिछड़ा है।

दिग्विजय बोले- बदतमीजी है

हालांकि कांग्रेस के कद्दावर नेता दिग्विजय सिंह ने इसे अनुराग ठाकुर की बदतमीजी बताया। भाजपा सांसद अनुराग ठाकुर की लोकसभा में की गई टिप्पणी पर कांग्रेस सांसद दिग्विजय सिंह ने कहा, "...'बदतमीजी है', उनसे यह उम्मीद नहीं थी और प्रधानमंत्री से भी उनका समर्थन करने की उम्मीद नहीं थी।"

क्या कहते हैं जानकार
राहुल गांधी के इस अंदाज पर विश्लेषक अलग तरह से टिप्पणी कर रहे हैं। गोरखपुर के वरिष्ठ पत्रकार अजीत सिंह कहते हैं कि भारत में अगर आप मतदाताओं के मिजाज को देखें तो उन्हें दंभ पसंद नहीं होता। राहुल गांधी ने जिस तरह से अपने आपको भारत जोड़ो और भारत जोड़ो न्याय यात्रा के दौरान पेश किया उसे जनता ने सराहा भी। राजनीतिक समीकरणों और गुणा गणित के जरिए कांग्रेस पार्टी 99 सीट पाने में कामयाब रही। अब नतीजों के बाद राहुल गांधी संवेदनशील मसलों पर मरहम लगाते नजर आते हैं. जैसे हाल ही में आप ने देखा भी होगा कि यूपी के सुल्तानपुर में जब वो पेशी पर गए थे तो वो एक मोची की दुकान पर गए और उसके दुख दर्द को सुना। उससे पहले रेलवे के लोको पायलट से मुलाकात की फिर रेहड़ी पटरी वालों से मिले। इस तरह की कवायद के जरिए वो संदेश देने की कोशिश करते हैं कि वो सिर्फ एयर कंडीश्नड कमरे में बैठकर आंकड़ों के जरिए बात नहीं करते हैं. बल्कि जमीनी स्तर पर लोगों के कष्ट को समझने की कोशिश करते हैं।
अगर आप देखें तो 2014 से पहले पीएम मोदी खुद को इसी तरह से पेश करते थे। आप मोदी की नकल मान सकते हैं। जिस तरह से वो सरकारी उदासीनता की बात किया करते थे। ठीक वैसे ही राहुल गांधी भी कर रहे हैं और उनकी बात जनता को पसंद भी आ रही है। 

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