'ये तो देशद्रोह है', मोहन भागवत पर क्यों बिफरे राहुल गांधी
RSS Chief Mohan Bhagwat ने कहा था कि देश को सच्ची आजादी राम मंदिर निर्माण के बाद मिली। इस बयान को नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी ने राज द्रोह करार दिया।;
Rahul Gandhi Vs Mohan Bhagwat: किताबों में हम सबने पढ़ा है कि देश को अंग्रेजों से आजादी 15 अगस्त 1947 को मिली थी। लेकिन देश में विमर्श चलता है कि सही आजादी कब मिली। इस विषय पर हाल ही में आरएसएस के मुखिया मोहन भागवत ने कहा कि देश को सही मायने में आजादी राम मंदिर के निर्माण (Ram Mandir Temple Construction) के बाद मिली। अब आरएसएस चीफ के इस बयान के बाद लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी हमलावर हुए और राजद्रोह करार दिया। राहुल गांधी ने कहा कि अगर किसी दूसरे देश में मोहन भागवत बयान देते तो गिरफ्तारी हो जाती।
गांधी ने इस बयान को देशद्रोह और भारत के स्वतंत्रता आंदोलन (India Independent Movements) और संविधान के प्रति अपमानजनक बताया। भागवत (Mohan Bhagwat) ने दावा किया कि 1947 में राजनीतिक स्वतंत्रता के बावजूद, राम मंदिर के निर्माण के साथ ही भारत की संप्रभुता सही मायने में स्थापित हुई।
जब राहुल हुए हमलावर
इंदिरा भवन (Congress New Office Indira Bhawan) के उद्घाटन के बाद पार्टी कार्यकर्ताओं को संबोधित करते हुए राहुल गांधी ने कहा कि भागवत का यह कहना कि भारत को 1947 में आजादी नहीं मिली, सभी भारतीयों का अपमान है। "मोहन भागवत में इतनी हिम्मत है कि वे हर दो या तीन दिन में देश को बताते हैं कि वे स्वतंत्रता आंदोलन के बारे में क्या सोचते हैं, संविधान (Indian Constitution) के बारे में क्या सोचते हैं। वास्तव में, उन्होंने जो कहा वह देशद्रोह है क्योंकि वे कह रहे हैं कि संविधान अमान्य है। वे कह रहे हैं कि अंग्रेजों के खिलाफ लड़ाई में जो कुछ भी हुआ वह अमान्य था। और वे सार्वजनिक रूप से यह कहने की हिम्मत रखते हैं। किसी और देश में होते तो उन्हें गिरफ्तार कर लिया जाता और उन पर मुकदमा चलाया जाता। यही सच्चाई है। है न?"
हर एक भारतीय का अपमान
राहुल गांधी (Rahul Gandhi) ने कहा, "यह कहना कि भारत को 1947 में स्वतंत्रता नहीं मिली, हर एक भारतीय व्यक्ति का अपमान है। और अब समय आ गया है कि हम इस बकवास को सुनना बंद कर दें, क्योंकि ये लोग सोचते हैं कि वे बस रटते रहेंगे और चिल्लाते रहेंगे, है न? यही इसका सार है। कांग्रेस पार्टी ने भारतीय लोगों के साथ मिलकर काम किया है। इसने इस देश की सफलता का निर्माण किया है और इसने इस देश की सफलता का निर्माण संविधान की नींव पर किया है," उन्होंने कहा।
'धर्म निरपेक्षता पर उपदेश ना दें'
इंदौर में एक कार्यक्रम में भागवत ने सदियों के पराचक्र के बाद भारत की संप्रभुता को चिह्नित करते हुए प्रतिष्ठा द्वादशी के रूप में अभिषेक दिवस मनाने का सुझाव दिया। आरएसएस प्रमुख ने पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी (Pranab Mukherjee) से मुलाकात को याद किया जब संसद में घर वापसी पर चर्चा हुई थी। उन्होंने भारत के संविधान के दुनिया में सबसे धर्मनिरपेक्ष होने के बारे में मुखर्जी के शब्दों को दोहराया और भारत को धर्मनिरपेक्षता के बारे में उपदेश देने के दूसरों के अधिकार पर सवाल उठाया। मोहन भागवत ने कहा, "15 अगस्त 1947 को भारत को अंग्रेजों से राजनीतिक आजादी मिलने के बाद उस विशिष्ट दृष्टि के दिखाए मार्ग के अनुसार एक लिखित संविधान बनाया गया, जो देश के "स्व" से निकलता है, लेकिन उस समय दृष्टि की भावना के अनुसार दस्तावेज नहीं चलाया गया उन्होंने कहा, "भारत की सच्ची स्वतंत्रता, जिसने कई शताब्दियों तक उत्पीड़न का सामना किया, उस दिन (राम मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा के दिन) स्थापित हुई थी। भारत को स्वतंत्रता मिली थी, लेकिन यह स्थापित नहीं हुई थी।