क्या 'लैंड फॉर जॉब' घोटाले में फंस जाएगा लालू परिवार?
लालू प्रसाद यादव के परिवार को लगातार 2 दिन ED की पूछताछ का सामना हुआ। नौकरी के बदले जमीन मामले का ये 'जिन्न' आखिर उनके पीछे क्यों पड़ा है? विस्तार से यहां समझिए;
एक दिन पहले राबड़ी देवी, उनकी सांसद बेटी मीसा भारती और उनके बड़े बेटे तेज प्रताप यादव की ED के सामने पेशी हुई और अगले ही दिन खुद लालू प्रसाद यादव को भी ED के सामने पूछताछ के लिए हाजिर होना पड़ा।
ED ने लालू परिवार को एक पुराने मामले में ऐसे समय में पूछताछ के लिए बुलाया है जबकि बिहार में यह चुनावी साल है और यहां राजनीतिक सरगर्मियां बहुत तेज हैं।आरजेडी ईडी की इस कार्रवाई को चुनाव से जोड़कर देख रही है और बदले की भावना से की गई कार्रवाई बता रही है, लेकिन क्या वाकई ऐसा है?
इसके लिए यह समझना जरूरी है कि आखिर ये पूरा मामला है क्या? कैसे इस केस में 77 साल के लालू प्रसाद यादव और उनका पूरा परिवार लपेटे में आ गया? आखिर इस मामले की जांच में देश की दो बड़ी एजेंसियां क्यों लगी हुई हैं?
क्या है 'लैंड फॉर जॉब' केस?
ये समझने से पहले यह जानना जरूरी है कि आखिर ये लैंड फॉर जॉब यानी नौकरी के बदले जमीन वाला घोटाला है क्या? इस केस के लिए ये टर्म इस्तेमाल क्यों हुआ? दरअसल ये मामला उस समय का है जब लालू प्रसाद यादव केंद्र में यूपीए सरकार के समय रेल मंत्री हुआ करता थे। वह समय था 2004 से 2009 के बीच का। सीबीआई ने चार्जशीट में आरोप लगाया है कि रेल मंत्री रहते हुए लालू यादव ने नियमों को ताक पर रखते हुए भर्तियां की थीं।
आरोप है कि लालू यादव ने रेल मंत्री रहते हुए रेलवे के मुंबई, जबलपुर, कोलकाता, जयपुर और हाजीपुर में स्थित विभिन्न क्षेत्रीय रेलवे में में ग्रुप-डी की नौकरियां बांटी और जिन्हें नौकरी दी, उनसे इसके बदले अपने परिवार के सदस्यों और अन्य के नाम उनकी जमीन ट्रांसफर करवा दी।
जिनको रेलवे में नौकरी दी गई, जमीनें या तो उनसे या उनके सगे-संबंधियों से ट्रांसफर करवाई गईं। आरोप है कि जमीनें या तो गिफ्ट के तौर पर ली गईं या बहुत की कम दरों पर खरीदी गईं। इसीलिए इस मामले को 'लैंड फॉर जॉब स्कैम' यानी नौकरी के बदले जमीन घोटाला कहा जाता है।
ये भी आरोप है कि इन नौकरियों के लिए न तो कोई विज्ञापन निकाला गया और न ही कोई सार्वजनिक नोटिस जारी किया गया। लेकिन क्षेत्रीय रेलवे में नियुक्तियां कर दी गईं। आरोप है कि रेलवे अधिकारियों ने आवेदन करने के 3 दिन के भीतर ही उम्मीदवारों को नियुक्त कर दिया। हालांकि तब वो पक्की नौकरी नहीं थी।
जब उम्मीदवारों ने स्वयं या उनके परिवार के सदस्यों ने अपनी जमीन लालू प्रसाद यादव के परिवार को ट्रांसफर करवा दी तो बाद में उन लोगों को रेलवे में नियमित कर दिया गया।
पूछताछ ED क्यों कर रही है?
एक प्रश्न ये उठता है कि जब यह रेलवे में नियुक्तियों में घपले का मामला है तो आखिर इसमें प्रवर्तन निदेशालय यानी ED की एंट्री क्यों और कैसे हुई? ईडी इस मामले की जांच क्यों कर रहा है? क्योंकि ईडी तो आम तौर पर मनी लॉन्ड्रिंग और विदेशी मुद्रा कानूनों के उल्लंघन की जांच करता है।
दरअसल ईडी नौकरी के बदले जमीन के घोटाले में मनी लॉन्ड्रिंग की ही जांच कर रही है। इसलिए यह मामला उसके अधिकार क्षेत्र में भी आ गया। पिछले साल यानी 2024 में ईडी ने इस मामले में लालू प्रसाद यादव, उनके परिवारजनों और अन्य के खिलाफ दिल्ली की कोर्ट में चार्जशीट दायर की थी।
ED से पहले जांच एजेंसी कौन थी?
लेकिन ऐसा नहीं है कि सीधे ईडी ने ही इस मामले की जांच शुरू की हो। इस भर्ती घोटाले की जांच सीबीआई कर रही है। सीबीआई की जांच भी समानांतर चल रही है। सीबीआई ने 18 मई 2022 में इस मामले में लालू प्रसाद यादव, उनकी पत्नी राबड़ी देवी, बेटी मीसा भारती और हेमा यादव और बेटे तेज प्रताप यादव समेत 17 लोगों के खिलाफ मुकदमा दर्ज कराया था।
3 जुलाई, 2023 को सीबीआई ने जमीन के बदले नौकरी घोटाला मामले में नई चार्जशीट दायर की थी। इस चार्जशीट में लालू यादव के छोटे बेटे और बिहार विधानसभा ने नेता विपक्ष तेजस्वी यादव को पहली बार आरोपी बनाया गया । तेजस्वी यादव से पिछले साल लंबी पूछताछ हो चुकी है।
सीबीआई ने लैंड फॉर जॉब केस में दायर अपनी चार्जशीट में 30 सरकारी अधिकारियों समेत कुल 78 लोगों को आरोपी बनाया था।
CBI जांच में दावा
सीबीआई के हवाले से जो मीडिया रिपोर्ट्स प्रकाशित हुई हैं उनके मुताबिक रेलवे में नौकरी के बदले जिन्होंने जमीन दान की या सस्ते में बेची, उनमें पटना के कुछ लोग भी थे। यही नहीं, एक ऐसी प्राइवेट कंपनी के नाम भी जमीन हस्तांतरित की गई, जिसका नियंत्रण लालू प्रसाद यादव और उनके परिवार के पास था।
सीबीआई का आरोप है कि 5 सेल डीड और 2 गिफ्ट डीड के जरिये लालू यादव और उनके परिवार द्वारा पटना में 1 लाख 5 हजार 292 वर्ग फीट जमीन और अचल संपत्ति अर्जित की गई।
तेजस्वी भी लपेटे में आ चुके हैं
इस मामले की जो शुरुआती एफआईआर हुई थी, उसमें तेजस्वी यादव का नाम नहीं था। लेकिन ईडी लालू प्रसाद यादव के छोटे बेटे और पूर्व उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव से भी पूछताछ कर चुकी है।
हालांकि इस बात को साल भर से ज्यादा समय हो गया है। जनवरी 2024 को दिल्ली और पटना टीम ने लालू यादव और उनके बेटे तेजस्वी यादव से मैराथन पूछताछ की थी।
जांच कब शुरू हुई?
नौकरी के बदले जमीन घोटाले में सीबीआई ने भले ही मई 2022 में मुकदमा दर्ज कर दिया था, लेकिन इस मामले की जांच उससे करीब सालभर पहले ही शुरू हो गई थी। उस वक्त लालू प्रसाद यादव चारा घोटाले के केस में सजा काट रहे थे। सीबीआई ने इस मामले की शुरुआती जांच सितंबर 2021 में ही शुरू कर दी थी।
साल 2022 में लालू प्रसाद यादव के चारा घोटाले में जमानत पर छूटने के कुछ हफ्ते बाद ही सीबीआई ने उन पर और उनके परिवार के सदस्यों के खिलाफ लैंड फॉर जॉब घोटाले में नई FIR दर्ज कर दी थी। सीबीआई इस मामले में आपराधिक षडयंत्र और भ्रष्टाचार से जुड़े मामले की जांच कर रही है तो ईडी मनी लॉन्ड्रिंग को खंगाल रही है।