इस तस्वीर पर ठाकरे गुट को ऐतराज, CJI चंद्रचूड़ की निष्पक्षता पर शक
सीजेआई डी वाई चंद्रचूड़ के साथ पीएम मोदी की तस्वीर पर शिवसेना उद्धव गुट ने ऐतराज जताया है। प्रवक्ता संजय राउत ने कहा कि सीजेआई को सेना बनाम केस से अलग कर लेना चाहिए।
Shivsena UBT Vs Eknath Shinde: शिवसेना अब दो धड़ों में है, एक गुट की अगुवाई उद्धव ठाकरे तो दूसरे गुट की अगुवाई एकनाथ शिंदे कर रहे हैं। इस समय महाराष्ट्र की सत्ता पर शिंदे गुट काबिज है। शिवसेना में जब बगावत का झंडा बुलंद कर शिंदे गुवाहाटी गए उसके बाद यह मामला सुप्रीम कोर्ट में गया। अदालत की लड़ाई में उद्धव कैंप की इस मायने में हार हुई कि उसने बिना लड़े हथियार डाल दिए थे जिसके बारे में सुप्रीम कोर्ट ने टिप्पणी भी की थी। इस बीच असली शिवसेना किसकी इसे लेकर अदालत में लड़ाई चल रही है हालांकि चुनाव आयोग की नजर में असली शिवसेना शिंदे गुट वाली है। यानी की चुनाव आयोग की लड़ाई में उद्धव गुट को शिकस्त मिली। अब जबकि महाराष्ट्र में इसी साल चुनाव होने हैं उसके बीच एक तस्वीर सामने आई है जिसमें पीएम मोदी, सीजेआई डी वाई चंद्रचूड़ के घर गणेश चतुर्थी में शामिल हुए। अब इसी तस्वीर ठाकरे गुट के प्रवक्ता संजय राउत ने ऐतराज जताया है।
ठाकरे गुट के ऐतराज की वजह
राउत ने कहा कि हमारा मामला चंद्रचूड़ साहब के समक्ष लंबित है और हमें इसकी निष्पक्षता पर संदेह है। प्रधानमंत्री जो हमारे मामले में एक पक्ष हैं उन्होंने मुख्य न्यायाधीश से उनके घर पर मुलाकात की। इस वजह से मुख्य न्यायाधीश को इस मामले से खुद को अलग कर लेना चाहिए। विपक्ष की यह प्रतिक्रिया प्रधानमंत्री मोदी द्वारा गणपति पूजा में भाग लेने के लिए सीजेआई चंद्रचूड़ के आवास पर जाने के एक दिन बाद आई है। सीजेआई ने अपनी पत्नी कल्पना दास के साथ अपने आवास पर पीएम का स्वागत किया। सीजेआई जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ जी के आवास पर गणेश पूजा में शामिल हुआ। भगवान श्री गणेश हम सभी को आशीर्वाद दें।
अब यहां दो सवाल है कि क्या सीजेआई के घर पीएम मोदी के जाने की वजह से उनका मन बदल जाएगा। या संवैधानिक संस्थाओं को भी राजनीति की भेंट चढ़ना पड़ रहा है। इस सवाल के जवाब में जानकार कहते हैं कि दरअसल जिस तरह से राजनीतिक स्तर में क्षरण हुआ है वैसी सूरत में आप इससे इतर सोच नहीं सकते। लेकिन सवाल यहां ये है कि इसी तरह की धारणा राजनीतिक दल खुद के लिए भी पेश क्योें नहीं करते। जब विपक्ष, सरकार में होता है तो उसे अपना हर काम तर्कसंगत, न्यायसंगत और सुसंगत लगता है। जब विपक्ष में होता है उस वक्त सरकारी मशीनरी का हर काम संविधान के खिलाफ लगता है। दरअसल राजनेता अपनी सुविधा के हिसाब से तर्क खोजने और गढ़ने का काम करते हैं।