संसद में 'सिंदूर' पर बहस से दूर थरूर- तिवारी, कांग्रेस पार्टी के भीतर उठे सवाल
संसद में ऑपरेशन सिंदूर बहस के बीच शशि थरूर और मनीष तिवारी बोलते हुए नजर नहीं आए। ऐसे में भाजपा को कांग्रेस पर हमले का मौका मिला।;
जब संसद में ऑपरेशन सिंदूर पर बहस चल रही है और कांग्रेस नरेंद्र मोदी सरकार को घेरने की कोशिश कर रही है, तभी पार्टी के भीतर के अंतर्विरोध सार्वजनिक मंच पर आ गए हैं। खासकर, वरिष्ठ नेता शशि थरूर और मनीष तिवारी को बहस से दूर रखे जाने पर उठे सवालों ने मुख्य विपक्षी दल को असहज स्थिति में डाल दिया है।
आज आनंदपुर साहिब से कांग्रेस सांसद और पूर्व केंद्रीय मंत्री मनीष तिवारी ने एक मीडिया रिपोर्ट का स्क्रीनशॉट साझा किया, जिसमें बताया गया कि उन्हें और शशि थरूर को बहस से 'बेंच' कर दिया गया है। तिवारी ने इस पोस्ट के साथ 1970 की फिल्म पूरब और पश्चिम के देशभक्ति गीत की लाइनें लिखीं:
"है प्रीत जहाँ की रीत सदा, मैं गीत वहाँ के गाता हूँ, भारत का रहने वाला हूँ, भारत की बात सुनाता हूँ। जय हिंद।"
इस इशारे को राजनीतिक हलकों में पार्टी के प्रति असंतोष और खुद को 'पार्टी लाइन' से ऊपर बताने की कोशिश के रूप में देखा जा रहा है।
गौरतलब है कि ऑपरेशन सिंदूर के बाद भारत की अंतरराष्ट्रीय कूटनीतिक पहल के हिस्से के रूप में कई सांसदों को विदेशी दौरों पर भेजा गया था। इनमें मनीष तिवारी, शशि थरूर और फतेहगढ़ साहिब से सांसद अमर सिंह शामिल थे। दिलचस्प यह है कि इनमें से कोई भी नेता अब संसद में चल रही बहस में बोलने वालों की कांग्रेस सूची में शामिल नहीं है। वहीं, आनंद शर्मा और सलमान खुर्शीद जैसे दिग्गज कांग्रेस नेता भी विदेश गए थे, लेकिन वे फिलहाल संसद सदस्य नहीं हैं।
पत्रकारों ने शशि थरूर से संसद भवन के बाहर पूछा कि वह बहस में क्यों नहीं बोल रहे हैं, तो उन्होंने मुस्कुराते हुए सिर्फ एक शब्द कहा मौनव्रत। बताया जाता है कि थरूर ने पार्टी लाइन के अनुसार बोलने से इनकार कर दिया था और साफ कहा था कि वे सिर्फ पार्टी मैसेजिंग के लिए अपने विचारों से समझौता नहीं करेंगे।इस घटनाक्रम ने न सिर्फ कांग्रेस के आंतरिक मतभेदों को उजागर किया है, बल्कि भाजपा को भी एक बार फिर हमला बोलने का मौका दे दिया है। ऐसे समय जब विपक्ष को एकजुटता दिखानी चाहिए थी, कांग्रेस के अंदर से उठती आवाज़ें उसकी रणनीति पर सवाल खड़े कर रही हैं।