'ऑपरेशन सिंदूर' पर विदेश में शशि थरूर की ताल, कांग्रेस में भूचाल

कांग्रेस नेतृत्व का मानना ​​है कि थरूर भ्रामक तरह से तथ्यों को पेश कर पाकिस्तान के खिलाफ कांग्रेस की सरकारों के गलत तरह से पेश कर रहे हैं।;

Update: 2025-05-29 04:40 GMT
कांग्रेस नेता शशि थरूर के नेतृत्व में एक सर्वदलीय प्रतिनिधिमंडल बुधवार को पनामा सिटी, पनामा में नेशनल असेंबली के अध्यक्ष डाना कास्टानेडा और अन्य के साथ बैठक के दौरान। | पीटीआई

कांग्रेस नेता और सांसद शशि थरूर का ‘ऑपरेशन सिंदूर’ और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की पाकिस्तान नीति का जिस तरह से उन्होंने विदेश में मंच से समर्थन किया है, वह उन्हें भाजपा के समर्थक वर्ग में नई लोकप्रियता दिला सकता है। लेकिन इसने कांग्रेस नेतृत्व के साथ उनकी दूरी और बढ़ा दी है।

पनामा में बोले थरूर, दिल्ली में बढ़ी बेचैनी

पार्टी सूत्रों के मुताबिक थरूर की पनामा में भारतीय प्रवासी समुदाय के साथ बातचीत के दौरान की गई टिप्पणियों ने दिल्ली स्थित कांग्रेस नेतृत्व को एक बार फिर असहज कर दिया है। पनामा में थरूर ने कहा,“पिछले कुछ वर्षों में आतंकवादियों को यह अहसास हो गया है कि उन्हें इसकी कीमत चुकानी पड़ेगी। 2016 में उरी हमले के बाद पहली बार भारत ने नियंत्रण रेखा पार कर सर्जिकल स्ट्राइक की। 2019 के पुलवामा हमले के बाद हमने न केवल एलओसी, बल्कि अंतरराष्ट्रीय सीमा भी पार कर आतंकवादी ठिकानों पर हमला किया। और इस बार (ऑपरेशन सिंदूर में) हमने उससे भी आगे जाकर पाकिस्तान के पंजाबी दिल में हमला किया।”

थरूर इस समय 'ऑपरेशन सिंदूर' पर भारत की प्रतिक्रिया और पाकिस्तान प्रायोजित आतंक के खिलाफ प्रधानमंत्री का संदेश लेकर एक बहु-पक्षीय प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व कर रहे हैं। 23 मई को भारत से रवाना हुए इस दल ने अमेरिका के बाद गुयाना और अब पनामा का दौरा किया है। इसमें भाजपा, जेडीयू, शिवसेना (शिंदे गुट), कांग्रेस और अन्य दलों के नेता शामिल हैं। यह मिशन ब्राज़ील और कोलंबिया के बाद एक बार फिर अमेरिका लौटेगा।

पार्टी की पसंद नहीं थे थरूर

यह उल्लेखनीय है कि थरूर को कांग्रेस की ओर से नामित नहीं किया गया था। केंद्र सरकार ने सीधे उनसे संपर्क कर उन्हें सात प्रतिनिधिमंडलों में से एक का नेतृत्व करने को कहा था, जबकि राहुल गांधी द्वारा सुझाए गए अधिकतर नामों को अस्वीकार कर दिया गया था (केवल आनंद शर्मा को छोड़कर)। हालांकि कांग्रेस ने बाद में इस पर आपत्ति नहीं जताई और मान लिया कि एक सरकारी प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व करते हुए थरूर को सरकार का दृष्टिकोण रखना होगा।लेकिन पनामा की टिप्पणी ने खोली नई खाईथरूर की हालिया टिप्पणी पर कांग्रेस में भीतर ही भीतर तीखी प्रतिक्रिया उभरी है। पार्टी के एक वरिष्ठ नेता ने कहा, "यह जानबूझकर तथ्यों को तोड़-मरोड़ कर बीजेपी की उस कथा को बल देने की कोशिश है, जिसमें दिखाया जाता है कि कांग्रेस सरकारें पाकिस्तान और आतंकवाद पर कोई ठोस कार्रवाई नहीं करती थीं।

पूर्व सांसद उदित राज ने थरूर पर हमला करते हुए कहा कि मोदी उन्हें भाजपा का “सुपर प्रवक्ता” या अगला विदेश मंत्री घोषित कर दें। उन्होंने पूछा कि थरूर कैसे कह सकते हैं कि मोदी से पहले भारत ने एलओसी और अंतरराष्ट्रीय सीमा पार नहीं की? उन्होंने 1965, 1971 और यूपीए काल की सर्जिकल स्ट्राइक का हवाला देते हुए थरूर को "अपने ही दल के साथ बेईमानी" करने का आरोप लगाया।

पार्टी का शीर्ष नेतृत्व भी खफा

कांग्रेस के संचार प्रमुख पवन खेड़ा ने थरूर को टैग करते हुए कई पुरानी रिपोर्टें साझा कीं, जिनमें मनमोहन सिंह द्वारा दी गई वह टिप्पणी भी शामिल है जिसमें कहा गया था कि यूपीए सरकार के दौरान भी सर्जिकल स्ट्राइक हुए थे। साथ ही 2000 से 2014 के बीच विभिन्न NDA और UPA सरकारों के तहत की गई 6 सर्जिकल स्ट्राइक का भी उल्लेख किया गया।

एक कांग्रेस पदाधिकारी ने बताया, “थरूर ने उस मर्यादा का उल्लंघन किया है जो प्रतिनिधिमंडल के प्रमुख के रूप में उन्हें निभानी थी। उन्होंने न सिर्फ पार्टी की स्थिति के खिलाफ बोला बल्कि पूर्व प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह के बयानों से भी सीधा विरोध किया। यह अस्वीकार्य है।”

कांग्रेस नेतृत्व में असहजता

कांग्रेस के एक अन्य नेता ने बताया कि पार्टी के अन्य नेताओं जैसे सलमान खुर्शीद, मनीष तिवारी, अमर सिंह और आनंद शर्मा भी इसी प्रकार के प्रतिनिधिमंडलों में शामिल हैं लेकिन केवल थरूर ही ऐसी राजनीतिक टिप्पणियां कर रहे हैं जो सरकार की स्थिति नहीं बल्कि भाजपा के दृष्टिकोण को आगे बढ़ा रही हैं।पार्टी को आशंका है कि भाजपा थरूर की इस टिप्पणी का राजनीतिक लाभ उठाएगी, खासकर सोशल मीडिया और आगामी चुनावों में कांग्रेस को पाकिस्तान पर नरम दिखाने के लिए करेगी।

फूंक-फूंक कर कदम

फिलहाल पार्टी थरूर पर कोई सीधा अनुशासनात्मक कार्रवाई नहीं करना चाहती क्योंकि वह विदेश में सरकारी मिशन पर हैं। एक पार्टी पदाधिकारी ने कहा,"अगर हम अभी उनके लौटते ही कार्रवाई करते हैं, तो भाजपा इसे शहीद बनने की कहानी में बदल देगी। लेकिन यह तय है कि थरूर की हालिया बयानबाज़ी को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता।

पार्टी की रणनीति यह हो सकती है कि थरूर की वापसी के बाद उन्हें कारण बताओ नोटिस जारी कर जवाब मांगा जाए। लेकिन कुछ नेताओं का मानना है कि थरूर इसे चतुराई से टाल सकते हैं। इसलिए पार्टी उन्हें अगली चूक का इंतज़ार करके कठोर कार्रवाई करना चाहती है।इस पूरे घटनाक्रम से स्पष्ट है कि शशि थरूर का सार्वजनिक रूप से पार्टी लाइन से हटकर प्रधानमंत्री की रणनीति की प्रशंसा करना कांग्रेस के लिए राजनीतिक संकट बन गया है  और भाजपा के लिए एक और मौका।

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