2025 की तुलना 1971 के युद्ध से नहीं की जा सकती- शशि थरूर

कांग्रेस सांसद शशि थरूर ने कहा कि 2025 की तुलना 1971 से नहीं का जा सकती। तब हालात अलग तरह के थे। लेकिन आज की परिस्थिति अलग है।;

Update: 2025-05-11 07:58 GMT

भारत और पाकिस्तान के बीच हालिया संघर्षविराम समझौते के बाद कांग्रेस पार्टी ने पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के 1971 के नेतृत्व को उजागर कर केंद्र की मोदी सरकार पर परोक्ष हमला बोला। इस पर प्रतिक्रिया देते हुए कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और सांसद शशि थरूर ने कहा कि 1971 और 2025 की परिस्थितियाँ एक जैसी नहीं हैं।

न्यूज एजेंसी एएनआई से बातचीत में थरूर ने कहा कि वह कांग्रेस के सोशल मीडिया अभियान पर सीधी टिप्पणी नहीं करना चाहते, लेकिन उन्होंने यह ज़रूर कहा कि वर्तमान हालात में शांति ज़रूरी थी।

उन्होंने कहा, “मेरे विचार में हम ऐसे मुकाम पर पहुँच चुके थे जहाँ हालात अनावश्यक रूप से नियंत्रण से बाहर जा रहे थे। हमें शांति की ज़रूरत है। सच्चाई यह है कि 1971 की परिस्थितियाँ आज की परिस्थितियों से बिल्कुल अलग थीं।”


"भारत को चाहिए शांति, बदला लिया जा चुका है"

थरूर ने आगे कहा, “भारत के लोगों को शांति की ज़रूरत है। हमने बहुत कुछ झेला है, आप पूंछ के लोगों से पूछिए, कितने जान गंवा चुके हैं। मैं यह नहीं कह रहा कि युद्ध कभी नहीं होने चाहिए। जब ज़रूरी हों, तब चलाए जाने चाहिए। लेकिन यह वह युद्ध नहीं था जिसे हम जारी रखना चाहते थे। हमारा उद्देश्य केवल आतंकियों को सबक सिखाना था — और वह सबक दिया जा चुका है।”

उन्होंने भरोसा जताया कि सरकार पहलगाम आतंकी हमले में शामिल आतंकियों का पीछा करना जारी रखेगी, जिसमें 26 निर्दोष नागरिकों की जान गई थी।

“यह बेहद ज़रूरी है। इसमें समय लग सकता है — महीने, साल — लेकिन हमें यह करना होगा। निर्दोष भारतीय नागरिकों की हत्या करने वाले बचकर नहीं जाने चाहिए। लेकिन इसका यह मतलब नहीं कि हम पूरे देश को एक लंबे युद्ध में झोंक दें,” उन्होंने कहा।

"अब ज़रूरत है विकास और शांति की"

थरूर ने कहा कि पाकिस्तान के साथ मौजूदा टकराव में कोई ठोस उद्देश्य नहीं दिखता था।

“जितनी ज़िंदगियाँ, अंग और संसाधन दांव पर लग रहे थे, उसके लिए कोई स्पष्ट कारण नहीं था। हमें अब भारतीय नागरिकों की समृद्धि, कल्याण और देश की प्रगति पर ध्यान देना चाहिए। इस समय शांति ही सही दिशा है।”

"1971 की जीत गौरव का विषय, पर हालात बदल चुके हैं"

शशि थरूर ने स्वीकार किया कि 1971 में इंदिरा गांधी की जीत एक ऐतिहासिक उपलब्धि थी जिससे वह एक भारतीय नागरिक के रूप में गर्व महसूस करते हैं।

“इंदिरा गांधी ने उपमहाद्वीप का नक्शा बदल दिया था। लेकिन उस समय की परिस्थितियाँ अलग थीं। आज का पाकिस्तान अलग है — उनके उपकरण, सैन्य ताकत और तबाही की क्षमता सब अलग हैं।”

उन्होंने कहा कि बांग्लादेश मुक्ति युद्ध के समय भारत एक नैतिक लड़ाई लड़ रहा था — लोगों को आज़ादी दिलाने के लिए।

“लेकिन यह परिस्थिति अलग है। अगर यह टकराव जारी रहता, तो यह एक लंबी, थकाऊ जंग में तब्दील हो जाता, जिसमें दोनों ओर से भारी जानमाल का नुकसान होता। क्या आज के भारत की यह सबसे बड़ी प्राथमिकता है? नहीं।”

थरूर ने साफ़ कहा, “7 मई की कार्रवाइयों को भारत ने कभी एक लंबी जंग की शुरुआत के रूप में नहीं देखा था। अगर पाकिस्तान ने बढ़ावा नहीं दिया होता, तो हम भी नहीं देते। लेकिन जब उन्होंने बढ़ाया, तो हमें भी करना पड़ा। अब हम उस मोड़ पर थे जहाँ बिना किसी स्पष्ट लक्ष्य के एक लंबी लड़ाई में फँस सकते थे। बांग्लादेश को आज़ाद कराना एक स्पष्ट लक्ष्य था, लेकिन सिर्फ़ पाकिस्तान पर गोलाबारी करते रहना कोई लक्ष्य नहीं है — यही फर्क है।”

राजनीतिक प्रतिक्रिया: कांग्रेस बनाम बीजेपी

सीजफायर की घोषणा के कुछ ही समय बाद कांग्रेस नेताओं और पार्टी के आधिकारिक सोशल मीडिया अकाउंट ने इंदिरा गांधी की तस्वीरें साझा कीं, जिससे प्रधानमंत्री मोदी पर कटाक्ष माना गया।

इसके जवाब में बीजेपी प्रवक्ता गौरव भाटिया ने पूछा कि क्या कांग्रेस को पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह की याद नहीं आई? उन्होंने यह भी पूछा कि 26/11 मुंबई हमलों के बाद यूपीए सरकार ने क्या कार्रवाई की थी?

इस बीच कांग्रेस के संचार प्रमुख जयराम रमेश ने प्रधानमंत्री की अध्यक्षता में सभी दलों की बैठक की मांग की ताकि संघर्षविराम समझौते पर चर्चा हो सके। उन्होंने अमेरिका के विदेश मंत्री मार्को रूबियो द्वारा 'न्यूट्रल साइट' की चर्चा पर भी सवाल उठाए और पूछा कि क्या सरकार ने कश्मीर मुद्दे पर किसी तीसरे पक्ष की मध्यस्थता के लिए दरवाजे खोले हैं?

उन्होंने कहा, “भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस मानती है कि देश का इंदिरा गांधी को याद करना स्वाभाविक है — उनके 1971 में दिखाए गए असाधारण साहस और दृढ़ नेतृत्व के लिए।”

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