'ट्रंप' बोल भारत के लिए निराशाजनक, 4 प्वांइट्स के जरिए शशि थरूर की व्याख्या

कांग्रेस सांसद शशि थरूर ने कहा कि अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के बयान भारत के लिए निराश करने वाले हैं। उन्होंने चार बिंदुओं के जरिए विश्लेषण भी किया।;

Update: 2025-05-13 06:51 GMT
कांग्रेस सांसद शशि थरूर का कहना है कि अमेरिका ने भारत और पाकिस्तान दोनों को एक ही तराजू में तौलने का काम किया है जो किसी भी मायने में उचित नहीं है।

वरिष्ठ कांग्रेस नेता शशि थरूर ने अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के कश्मीर और भारत-पाक तनाव पर दिए हालिया बयानों की कड़ी आलोचना की है। थरूर ने आरोप लगाया कि ट्रंप के बयान भारत के राष्ट्रीय हितों को कमजोर करते हैं और पाकिस्तान के पक्ष में वैश्विक नैरेटिव को बढ़ावा देते हैं।

ट्रंप द्वारा कश्मीर मुद्दे पर मध्यस्थता की पेशकश करने और भारत-पाक तनाव को लेकर दिए गए बयानों पर प्रतिक्रिया देते हुए थरूर ने कहा कि ये टिप्पणियां “भारत के लिए गहराई से निराशाजनक” हैं और दशकों की मेहनत से कमाए गए कूटनीतिक लाभों को खतरे में डाल सकती हैं।

थरूर का चार-बिंदुओं वाला विश्लेषण

थरूर ने सोशल मीडिया पर एक सख्त बयान जारी करते हुए कहा कि ट्रंप के बयान चार महत्वपूर्ण बिंदुओं पर भारत की लंबे समय से चली आ रही नीतियों को कमजोर करते हैं। उन्होंने इन बिंदुओं को विस्तार से समझाया:



1. पीड़ित और हमलावर को एक तराजू में तौलना

शशि थरूर ने कहा कि ट्रंप की टिप्पणी भारत और पाकिस्तान के बीच एक झूठी समानता दर्शाती है, जो कि पाकिस्तान के सीमा-पार आतंकवाद में “दस्तावेज़ीकृत भूमिका” को नज़रअंदाज़ करती है। उन्होंने कहा:

“यह बयान पीड़ित और हमलावर को एक ही श्रेणी में रखता है और अमेरिका की पूर्ववर्ती स्पष्ट नीति को भी नज़रअंदाज़ करता है, जो पाकिस्तान के आतंक से संबंधों की निंदा करती रही है।”

2. पाकिस्तान को अनुचित वैधता देना

थरूर ने आरोप लगाया कि ट्रंप ने बातचीत की पेशकश कर के पाकिस्तान को एक ऐसी वैधता दे दी है जिसकी वह हकदार नहीं है। उन्होंने दो टूक लिखा:

“भारत कभी भी उस स्थिति में बातचीत नहीं करेगा जब उसके सिर पर आतंकवाद की बंदूक तनी हो।”

3. कश्मीर मुद्दे का अंतरराष्ट्रीयकरण

ट्रंप द्वारा भारत और पाकिस्तान के बीच कश्मीर मुद्दे पर मध्यस्थता की पेशकश को लेकर थरूर ने चेतावनी दी कि इससे उन आतंकवादी समूहों को बल मिलता है जो इस मुद्दे को अंतरराष्ट्रीय रंग देना चाहते हैं। थरूर ने कहा:

“भारत ने कभी किसी विदेशी देश से इस मसले पर मध्यस्थता नहीं मांगी है, और न ही ऐसा करने की कोई संभावना है।”

4. भारत-पाक को फिर से "हाइफ़नेट" करना

शशि थरूर ने कहा कि ट्रंप की टिप्पणी वैश्विक मंच पर भारत और पाकिस्तान को एक बार फिर एक ही फ्रेम में खड़ा करती है। उन्होंने याद दिलाया कि वर्ष 2000 से, जब तत्कालीन अमेरिकी राष्ट्रपति बिल क्लिंटन ने भारत और पाकिस्तान की यात्राओं को अलग-अलग रखा था, तब से किसी अमेरिकी राष्ट्रपति ने दोनों देशों को एक साथ नहीं जोड़ा है। उन्होंने कहा:

“यह एक गंभीर पिछड़ा कदम है और इससे भारत की स्वतंत्र पहचान को चोट पहुँचती है।”

ट्रंप ने क्या कहा था?

थरूर की यह प्रतिक्रिया ऐसे समय आई है जब डोनाल्ड ट्रंप ने हाल ही में दावा किया कि उन्होंने भारत और पाकिस्तान के बीच “परमाणु तनाव” को व्यापारिक दबाव डालकर रोका। व्हाइट हाउस में प्रेस को संबोधित करते हुए ट्रंप ने कहा कि उनके प्रशासन ने दोनों देशों के बीच “पूर्ण और तात्कालिक युद्धविराम” कराने में मदद की थी।

इसके साथ ही ट्रंप ने एक बार फिर कश्मीर पर मध्यस्थता की पेशकश की, जबकि भारत हमेशा से यह स्पष्ट करता रहा है कि कश्मीर एक द्विपक्षीय मुद्दा है और इस पर किसी तीसरे पक्ष की भूमिका स्वीकार्य नहीं है।

निष्कर्ष: कूटनीतिक संतुलन पर खतरा

शशि थरूर की आलोचना सिर्फ एक राजनीतिक बयान नहीं, बल्कि भारत की विदेश नीति की बुनियादी धारणाओं की रक्षा का आह्वान है। उनके मुताबिक ट्रंप की टिप्पणियां न केवल भारत की कूटनीतिक स्थिति को कमजोर करती हैं, बल्कि पाकिस्तान को गलत वैधता भी प्रदान करती हैं। ऐसे में यह ज़रूरी है कि भारत अपने रुख पर अडिग रहे और कश्मीर जैसे संवेदनशील मुद्दे पर किसी बाहरी हस्तक्षेप को स्पष्ट रूप से खारिज करता रहे।

Tags:    

Similar News