क्या अब बुलडोजर कल्चर पर लगेगा ब्रेक, सुप्रीम कोर्ट ने की सख्त टिप्पणी

कुछ राज्य सरकारों द्वारा बुलडोजर एक्शन पर सुप्रीम कोर्ट ने कड़ी टिप्पणी की। अदालत ने कहा कि अगर कोई दोषी हो भी तो घर नहीं गिराया जा सकता है।

By :  Lalit Rai
Update: 2024-09-02 08:54 GMT

Supreme Court on Bulldozer Action:  देश में कानून का राज है और आरोपी को सजा कानून के हिसाब से मिले। हाल ही में उदयपुर चाकूबाजी मामले में आरोपी के किराए के घर पर प्रशासन ने बुलडोजर चलाया था। इस तरह के मामले देश के अलग अलग सूबों से भी आते रहे हैं। हाल के वर्षों में यूपी और देश के कुछ हिस्सों में बुलडोजर संस्कृति ने जोर पकड़ी है। समाज का एक धड़ा इस तरह की कार्रवाई को सही बताता है। लेकिन इसके विरोध में राय रखने वाले कहते हैं कि एक आरोपी की वजह से किसी के घर को उजाड़ दीजिए यह कहां तक सही है। अगर किसी एक व्यक्ति ने अपराध किया है तो उसकी सजा दूसरों को आप आशियान उजाड़ कर क्यों दे रहे हैं। उदयपुर मसले में सुप्रीम कोर्ट में अर्जी लगाई गई थी और अदालत ने सख्त टिप्पणी भी की है। कोर्ट ने कहा कि पहली बात तो ये कि किसी के आरोपी मात्र होने से घर नहीं गिरा सकते। दूसरी बात कि अगर कोई दोषी हो तो भी घर नहीं गिराया जा सकता।

दलील पर तीखी टिप्पणी
जस्टिस गवई और जस्टिस के वी विश्वनाथन की बेंच के सामने सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने दलील पेश की थी। मेहता ने कहा कि कार्रवाई नियम के मुताबिक थी। जिस मकान को गिराया गया उसके लिए नोटिस दी गई थी। अदालत के सामने एसजी ने कहा कि यह बात सच है कि कोई अगर दोषी हो तो भी घर नहीं गिराया जा सकता है। लेकिन जिस मामले की सुनवाई हो रही है उसमें घर के अवैध हिस्से को गिराया गया उसका आरोपी से लेना देना नहीं है। जमीयत उलेमा ए हिंद ने यूपी, मध्य प्रदेश और राजस्थान सरकार पर आरोप लगाते हुए कहा था कि यहां पर अल्पसंख्यकों के घरों को गिराया जा रहा है। एक तरह से अल्पसंख्यक समाज को टारगेट किया जा रहा है। बुलडोजर की संस्कृति पर लगाम लगनी चाहिए। इन सबके बीच सुप्रीम कोर्ट से स्पष्ट किया कि अगर कोई अवैध निर्माण सड़क निर्माण जैसी गतिविधियों में बाधा बन रही हो तो उसे किसी तरह की सुरक्षा नहीं मिलेगी।

टिप्पणी पर नजरिया बंटा
एमनेस्टी इंटरनेशनल ने फरवरी 2024 में एक रिपोर्ट जारी की थी जिसके मुताबिक 2022 में अप्रैल के महीने से जून 2023 के बीच दिल्ली, असम, गुजरात, मध्य प्रदेश और यूपी में सांप्रदायिक हिंसा के बाद 100 से अधिक संपत्तियों पर बुलडोजर के जरिए कार्रवाई हुई। बीजेपी शासित राज्यों में होने वाली कार्रवाई को विपक्षी दल विद्वेष की राजनीति बताता रहा है। इस मामले में सियासी जानकार कहते हैं कि बुलडोजर कार्रवाई के दो पक्ष हैं। इस तरह की कार्रवाई से अपराधी के दिल और दिमाग में खौफ होता है। अपराध की घटनाओं पर लगाम लगाने के लिए इसे डेटरेंट कह सकते हैं। लेकिन इसके विरोध में कहते हैं कि अगर ऐसा होता तो रेप, छिनैती जैसी वारदात नहीं होती। इससे भी बड़ा सवाल है कि अगर किसी के परिवार में कोई भी शख्स अपराध करता है तो क्या उसके मां-बाप सजा दी जानी चाहिए। एक आदमी बड़ी मेहनत और जतन से घर बनाता है आखिर उसे कोई कैसे छीन सकता है। 

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