अग्रिम जमानत सीधे हाई कोर्ट सुनेगा? सुप्रीम कोर्ट के 3 जजों की बेंच करेगी फैसला

High Court Anticipatory Bail: अदालत ने इस दौरान सीनियर वकील सिद्धार्थ लूथरा को एमिकस क्यूरी नियुक्त किया था। लूथरा ने पिछले महीने अपनी रिपोर्ट पेश की, जिसमें उन्होंने राय दी कि हाई कोर्ट को केवल चार असाधारण परिस्थितियों में ही सीधे अग्रिम जमानत याचिकाओं पर विचार करना चाहिए।

Update: 2025-11-12 11:36 GMT
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Supreme Court: सुप्रीम कोर्ट अब यह तय करेगा कि क्या हाई कोर्ट सीधे अग्रिम जमानत (Anticipatory Bail) की याचिकाओं पर विचार कर सकता है, जब मामला पहले से सेशन कोर्ट में नहीं गया हो। बुधवार को सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले को तीन जजों की बेंच को भेजने का आदेश दिया।

सुप्रीम कोर्ट का आदेश

सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस विक्रम नाथ और जस्टिस संदीप मेहता की दो सदस्यीय पीठ ने यह निर्देश दिया कि इस मामले पर तीन जजों की बेंच विचार करे। यह मामला सितंबर में शुरू हुआ था, जब मोहम्मद रसाल सी बनाम केरल राज्य के केस में सुप्रीम कोर्ट ने केरल हाई कोर्ट द्वारा सीधे अग्रिम जमानत याचिकाएं सुनने की प्रथा पर असहमति जताई थी।

सीआरपीसी का समान अधिकार

अदालत ने पहले ही स्पष्ट किया था कि सीआरपीसी की धारा 438 (जो अब भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता की धारा 482 के तहत आती है) हाई कोर्ट और सेशन कोर्ट को समान अधिकार देती है। हालांकि, अदालत ने यह भी कहा कि सामान्य परिस्थितियों में अग्रिम जमानत के लिए आवेदन पहले सेशन कोर्ट में ही दायर किए जाने चाहिए। सीधे हाई कोर्ट का सहारा केवल असाधारण परिस्थितियों में ही लिया जाना चाहिए।

एमिकस क्यूरी की रिपोर्ट

अदालत ने इस दौरान सीनियर वकील सिद्धार्थ लूथरा को एमिकस क्यूरी (amicus curiae) नियुक्त किया था। लूथरा ने पिछले महीने अपनी रिपोर्ट पेश की, जिसमें उन्होंने राय दी कि हाई कोर्ट को केवल चार असाधारण परिस्थितियों में ही सीधे अग्रिम जमानत याचिकाओं पर विचार करना चाहिए।

अब तीन जजों की बेंच करेगी फैसला

बुधवार को लूथरा ने सुझाव दिया कि इस मामले को तीन जजों की बेंच को भेजा जाए, जिसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने मामले को उसी बेंच के सामने भेज दिया। अब अदालत यह स्पष्ट करेगी कि क्या हाई कोर्ट सीधे अग्रिम जमानत याचिकाओं पर विचार कर सकता है या नहीं।

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